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Bilaspur495001

बिलासपुर हाईकोर्ट ने 6 साल की बच्ची की गवाही को माना 'पर्याप्त सबूत'!

SSSHAILENDAR SINGH THAKUR
Jul 13, 2025 07:34:18
Bilaspur, Chhattisgarh
बिलासपुर हाईकोर्ट से आई एक बड़ी और अहम कानूनी मिसाल।6 साल की मासूम बच्ची की गवाही को कोर्ट ने हत्या के मामले में ‘पर्याप्त सबूत’ माना है, और इसी के आधार पर मां और एक अन्य आरोपी की आजीवन सजा को बरकरार रखा गया है। मामला उत्तर बस्तर कांकेर का है,जहां 13 दिसंबर 2016 को राज सिंह पटेल ने पुलिस को सूचना दी कि गांव का मानसाय ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है।लेकिन 8 जनवरी 2017 को केस ने लिया नया मोड़,जब मृतक की 6 साल की बेटी ने पुलिस को बताया कि ये आत्महत्या नहीं, बल्कि उसके पिता की हत्या है।बच्ची के मुताबिक आरोपी पंकू ने उसके पिता के पेट में लात मारी,फिर मां के दुपट्टे से गला घोंट कर कमरे में ले जाकर लटका दिया।इस दौरान उसकी मां पास ही चूल्हे के सामने बैठी रही... लेकिन कुछ नहीं किया।पुलिस ने बच्ची की गवाही के आधार पर पंकू और मृतक की पत्नी सगोर बाई के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया।अपर सत्र न्यायालय ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।जब आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की,तो उन्होंने कहा कि बच्ची की गवाही अविश्वसनीय और देर से दर्ज हुई है।लेकिन जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट कहा बाल गवाह की आँखों देखी घटना की गवाही ही पर्याप्त है।और किसी अतिरिक्त पुष्टिकरण की जरूरत नहीं।कोर्ट ने कहा मासूम की गवाही सच्ची, सटीक और स्वतः विश्वसनीय है।कोर्ट ने अपील खारिज कर सजा को बरकरार रखा है,साथ ही आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट में अपील का विकल्प भी दिया है।इस केस ने ये साबित कर दिया है कि इंसाफ की कोई उम्र नहीं होती चाहे गवाह 6 साल का बच्चा ही क्यों न हो।
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