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उज्जैन: 70 साल की बुज़ुर्ग को पेंशन मिली, कमिश्नर की संवेदनशीलता ने बदला परिवार का हाल
ASANIMESH SINGH
Dec 23, 2025 13:10:40
Ujjain, Madhya Pradesh
संवेदनशील प्रशासन की मिसाल, 70 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला को मिला उसका हक़
पोते की मौत, बेटे-बहू की टूटती हालत और माँ का संघर्ष—अब मिली राहत
उज्जैन-70 साल की उम्र… घर में बेटा-बहू हैं, लेकिन परिवार की कमाई की पूरी ज़िम्मेदारी इकलौती बुज़ुर्ग माँ के कंधों पर है। पोते की मौत के बाद बेटे-बहू की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, जिसके चलते वे घर पर ही रहते हैं। लम्बे समय से वृद्धा पेंशन के लिए भटक रही इस माँ की लड़ाई को नगर निगम कमिश्नर की संवेदनशीलता ने आखिरकार मंज़िल तक पहुँचा दिया। उज्जैन की 70 वर्षीय राजन बाई भदोरिया…घर में बेटा-बहू लेकिन पोते की मौत ने उन्हें, गहरा सदमा दिया जिसके बाद दोनों अपना मानसिक संतुलन खो बैठे, बावजूद परिवार की रोज़ी-रोटी की ज़िम्मेदारी अकेले वही निभा रही हैं।
रोज़ 8 से 9 घंटे मेहनत कर घर का खर्च चलाने वाली राजन बाई लंबे समय से अपनी वृद्धा पेंशन के लिए नगर निगम के चक्कर काट रही थीं। जैसे ही यह मामला नगर निगम कमिश्नर के संज्ञान में आया, उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल विशेष निर्देश दिए। कमिश्नर के आदेश पर ज़ोन स्तर की टीम सक्रिय हुई और फील्ड टीम के माध्यम से बुज़ुर्ग महिला से सीधे संपर्क किया गया। जांच में सामने आया कि राजन बाई की समग्र आईडी में बीपीएल श्रेणी अपडेट नहीं थी,इसी तकनीकी कमी के कारण उनका वृद्धा पेंशन आवेदन ऑनलाइन रिटर्न हो रहा था। कमिश्नर के निर्देश पर यह कमी हाथों-हाथ दूर की गई और वृद्धा पेंशन का आवेदन तुरंत ऑनलाइन दर्ज कर दिया गया।
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार अब यह प्रकरण सामान्य प्रक्रिया में है, जिसमें लगभग 24 घंटे का समय लगता है। वृद्धा पेंशन स्वीकृत होते ही यह ऑटोमेटिक सिस्टम के ज़रिये सीधे बैंक खाते में चालू हो जाएगी, और अब राजन बाई को किसी भी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राजन बाई ने बताया की मैं बहुत परेशान थी। घर में बेटा-बहू हैं, लेकिन कमाने वाली मैं ही हूँ। आज कमिश्नर साहब ने मेरी समस्या सुनी और हल कराई। मैं उनका दिल से धन्यवाद करती हूँ। यह कहानी सिर्फ़ एक वृद्धा पेंशन की नहीं… बल्कि उस प्रशासनिक संवेदनशीलता की है, जहाँ एक त्वरित निर्णय ने एक पूरे परिवार को राहत दी।
नगर निगम कमिश्नर की यह दरियादिली यह भरोसा दिलाती है कि अगर प्रशासन चाहे, तो सिस्टम सबसे ज़रूरतमंद के लिए भी इंसानियत के साथ काम कर सकता है। परिवार की इकलौती कमाने वाली बुज़ुर्ग माँ को नगर निगम कमिश्नर की संवेदनशीलता से मिला उसका हक़। यह मामला प्रशासन की दरियादिली का एक मज़बूत उदाहरण बनकर सामने आया है।
बाइट – अभिलाष मिश्रा, नगर निगम कमिश्नर
बाइट – राजन बाई भदोरिया (वृद्ध महिला)
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