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सरना धर्म कोड मांग पर आदिवासी नेताओं की प्रेस वार्ता, आरक्षण बचाने की कोशिश
UMUJJWAL MISHRA
Dec 17, 2025 12:37:22
Ranchi, Jharkhand
आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद की ओर से आज एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता रखी गई,
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी और मूल बात यह है कि जो आदिवासी समाज मूल रूप से सरना धर्म को मानता है, वह शुरू से ही अपने धर्म की रक्षा के लिए सरना धर्म कोड की मांग करता आ रहा है। आदिवासी समाज केंद्र सरकार से यह स्पष्ट मांग कर रहा है कि उसे उसका अलग धार्मिक कोड दिया जाए।
जब तक सरना धर्म कोड नहीं मिलेगा, तब तक यह कैसे तय होगा कि आदिवासियों का वास्तविक धर्म क्या है? आज कोई आदिवासी हिंदू के रूप में दर्ज है, कोई ईसाई, कोई बौद्ध, कोई जैन तो कोई मुस्लिम के रूप में पहचाना जा रहा है। आदिवासी समाज भौगोलिक रूप से अलग-अलग क्षेत्रों में बंटा जरूर है, लेकिन उसकी मूल आस्था सरना धर्म ही है।
मेरा स्पष्ट मानना है कि पहले सरना धर्म कोड दीजिए, उसके बाद ही किसी भी तरह की लिस्टिंग या वर्गीकरण की बात कीजिए। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि मांग पूरी करने से पहले ही समाज को लूटने, बर्बाद करने और खत्म करने की साजिश रची जा रही है।
मैं तमाम पत्रकार बंधुओं के माध्यम से यह साफ कहना चाहता हूं कि डीलिस्टिंग की जो मांग उठाई जा रही है, उसका असली मकसद आदिवासियों के आरक्षण को समाप्त करना है।
आज कहा जाएगा कि ईसाई आदिवासियों को अलग करो, कल कहा जाएगा कि हिंदू आदिवासियों को अलग करो। अंत में जो सरना धर्म मानने वाले बचेंगे, उनकी संख्या दो-चार प्रतिशत रह जाएगी। फिर यह कहकर कि संख्या कम है, उनके संवैधानिक अधिकार और आरक्षण को भी खत्म कर दिया जाएगा।
यही असली साजिश है, जिसे समझने की जरूरत है। आदिवासी समाज को संविधान से मिला आरक्षण और अधिकार पूरी तरह समाप्त करने की योजना बनाई जा रही है। इसी उद्देश्य से आज सरना के नाम पर आदिवासियों को आपस में लड़ाने की कोशिश की जा रही है—कभी हिंदू-मुस्लिम, कभी सरना-ईसाई के नाम पर।
मैं इस तरह की राजनीति का घोर विरोध करता हूं। क्योंकि इससे आदिवासी समाज के बीच बनी आपसी समझ, सौहार्द और शांति को तोड़ने की साजिश की जा रही है। नफरत फैलाने वाले लोग समाज को बांटना चाहते हैं, और ऐसे लोगों से मुझे स्पष्ट शब्दों में नफरत है।
आदिवासी समाज को तोड़ने नहीं, बल्कि उसकी पहचान, धर्म और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है—और सरना धर्म कोड इसी संघर्ष की पहली और सबसे जरूरी कड़ी है।
बाइट: अजय तिर्की (अध्यक्ष केंद्रीय सरना समिति)
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