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कुरुक्षेत्र में पंचजन्य स्मारक शंख और गीता श्लोक से महाभारत अनुभव केंद्र का उद्घाटन
DKDARSHAN KAIT
Nov 25, 2025 10:01:11
Kurukshetra, Haryana
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में पंचजन्य स्मारक हुआ तैयार, 11 फुट के बेस पर 21 फीट का अष्टधातु शंख हुआ स्थापित,
5300 किलोग्राम का ख़ास शंख बढ़ाएगा कुरुक्षेत्र का मान
महाभारत अनुभव केंद्र के पहले ब्लॉक के ठीक सामने हुआ स्थापित
शंख के बेस के चारों ओर के पत्थरों पर गीता के श्लोक
शंख पर सजेगा भगवान श्री कृष्ण का मुकुट की तरह मोर पंख भी
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में कल 25 नवंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी समागम में भाग लेने के लिए पहुँच रहे हैं। इस समागम में शिरकत करने के साथ-साथ वे कुरुक्षेत्र में गीता की जन्मस्थली ज्योतिसर तीर्थ स्थित महाभारत थीम अनुभव केंद्र का भी उद्घाटन करेंगे इसी अनुभव केंद्र में मुख्य द्वार के साथ ही पंचजन्य स्मारक शंख भी स्थापित किया गया है। पिछले 20 दिनों से लगातार इस स्मारक का निर्माण कार्य जारी है जो कि अब अंतिम चरण में है। करीब 32 फुट ऊंचे इस शंख को स्थापित करने पर करीब 2 करोड रुपए की लागत आई है।
आपको बता दे कि इस स्मारक स्थल का बेस 11 फीट तैयार किया गया है। इस बेस के चारों ओर लाइटिंग का काम पूरा होने के बाद इस पर पत्थर लगाया गया है। इस शंख के बेस पर चारों ओर जो पत्थर लगाए जा रहे हैं इन पत्थरों पर गीता का गूढ़ रहस्य समझाने वाले श्लोक गाड़े गए हैं। इतना ही नहीं इस बेस के चारों ओर लगे पत्थर भी गीता का संदेश लोगों तक पहुंचाएंगे। इसी बेस पर करीब 21 फीट का अष्टधातु का शंख रखा गया है। इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण के मुकुट की तरह इस शंख पर एक मोर पंख भी सजाया जाएगा। पंचजन्य स्मारक शंख का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अब इसे फाइनल टच दिया जा रहा है करीब 5300 किलोग्राम का ये खास शंख कुरुक्षेत्र की सुन्दरता और मान बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाएगा।
कुरुक्षेत्र का ब्रह्मा सरोवर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थों में से एक है। इसका इतिहास वेदों, पुराणों और महाभारत काल तक फैला हुआ है। यहाँ इसका संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली इतिहास प्रस्तुत है
- ब्रह्मा सरोवर का प्राचीन इतिहास सृष्टि-स्थल की मान्यता
पुराणों के अनुसार, यही वह स्थान है जहाँ भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना करने से पहले यज्ञ किया था। इसी कारण इसे ब्रह्मा सरोवर कहा जाता है।
कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने यहीं पर प्रथम बार गायत्री मंत्र की रचना भी की।
वेद–पुराणों में उल्लेख
स्कंद पुराण
वामन पुराण मनुस्मृति
और कई अन्य ग्रंथों में ब्रह्मा सरोवर का वर्णन मिलता है।
* इसे विश्व के सबसे पवित्र सरोवरों में माना गया है—यहाँ स्नान करने से सहस्र अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होने का वर्णन है।
. महाभारत काल में महत्व
कुरुक्षेत्र वह भूमि है जहाँ श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। ब्रह्मा सरोवर, कुरुक्षेत्र तीर्थों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि
* युद्ध से पहले कई राजाओं ने यहाँ स्नान कर पूजा-अर्चना की।
* इसे मुक्ति-स्थल कहा जाता था, जहाँ आत्मिक शांति और पापनाश की मान्यता थी। धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व
यहाँ अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव आयोजित होता है।
सरोवर के मध्य में ब्रह्मा मंदिर स्थित है।सूर्योदय और सूर्यास्त के समय होने वाली आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है।
- मध्यकाल से आधुनिक समय तक
* प्राचीन काल से ही यह तीर्थराज कुरुक्षेत्र का मुख्य केंद्र रहा है।
* कई राजाओं ने समय–समय पर इसकी मरम्मत और विस्तार कराया।
* आज भारत सरकार और हरियाणा सरकार द्वारा इसे विश्व–स्तरीय आध्यात्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जा चुका है।
सारांश
ब्रह्मा सरोवर सिर्फ एक जलाशय नहीं, बल्कि
सृष्टि की शुरुआत, गीता की भूमि, और अतुलनीय आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। यहाँ की मिट्टी में हजारों वर्षों की संस्कृति, तप और इतिहास समाया हुआ है।
यदि चाहें तो मैं ब्रह्मा सरोवर की पौराणिक कथाएँ कुरुक्षेत्र के अन्य 48 तीर्थों का इतिहास ब्रह्मा सरोवर का आधुनिक स्वरूप और संरचना
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