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Madhubani847211

मधुबनी में श्मशान घाट पर पंचायत भवन बनाए जाने के खिलाफ सैकड़ों लोगों ने किया प्रदर्शन

Oct 18, 2024 08:43:11
Madhubani, Bihar

मधुबनी में शमशान घाट की जमीन पर पंचायत सरकार भवन बनाए जाने के विरोध में जिरौल गांव के महादलितों जमकर किया प्रदर्शन। सैकड़ों लोगों ने अंचल कार्यालय में घुसकर सीओ के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए जमकर नारे भी लगाए। ग्रामीणों का कहना है कि जिरौल गांव में सदियों से महादलित बस्ती के लोगों का शमशान घाट है। जिसपर सीओ ने पंचायत सरकार भवन बनाने की अनुमति दे दी है और विभागीय अधिकारी एवं कर्मी वहां अंतिम संस्कार कार्य करने से रोक रहे हैं। विरोध करने पर महिलाओं से धक्कामुक्की और अभद्र व्यवहार भी किया।

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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:22:51
Noida, Uttar Pradesh:
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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:22:38
Noida, Uttar Pradesh:
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ABAmit Bhardwaj1
Dec 22, 2025 11:22:25
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NSNAVEEN SHARMA
Dec 22, 2025 11:21:29
Bhiwani, Haryana:बाईट : स्टैंड विद नेचर के अध्यक्ष लोकेश भिवानी। भिवानी के तोशाम में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने किया उपवास -आरावली के अस्तित्व पर संकट के खिलाफ जनसंगठनों का एक दिवसीय उपवास -आरावली विरासत जन अभियान के तहत अनेक जनसंगठनों ने बुलंद की आवाज -नई परिभाषा लागू होने से अरावली क्षेत्र की 90 प्रतिशत से अधिक पहाडिय़ां संरक्षण से बाहर हो जाएंगी : पर्यावरण प्रेमी डा. लोकेश -अरावली केवल पत्थरों की श्रृंखला नहीं बल्कि भूजल रिचार्ज, स्वच्छ हवा, जैव-विविधता और उत्तर-पश्चिम भारत की जलवायु संतुलन की रीढ : पर्यावरण प्रेमी भिवानी,भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला अरावली के संरक्षण और उसके अस्तित्व पर मंडरा रहे गंभीर खतरों के विरोध में भिवानी जिला के कस्बा तोशाम पहाड़ पर अरावली विरासत जन अभियान के अंतर्गत एक दिवसीय उपवास एवं जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान तोशाम स्थित मुंगीपा धर्मशाला के मुख्य द्वार पर विभिन्न सामाजिक, पर्यावरणीय और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों, युवाओं, किसानों, ग्रामीणों एवं बुद्धिजीवियों का जमावड़ा शुरू हो गया। इसके पश्चात सभी प्रतिभागी शांतिपूर्ण ढंग से पहाड़ पर चढ़े और अरावली के संरक्षण का संकल्प लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हाल ही में स्वीकार की गई अरावली की नई परिभाषा के दुष्परिणामों की ओर सरकार, प्रशासन और समाज का ध्यान आकर्षित करना था। इस नई परिभाषा के अंतर्गत 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाडिय़ों को अरावली क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है, जिससे इस ऐतिहासिक पर्वतमाला का बड़ा हिस्सा कानूनी संरक्षण से वंचित हो जाएगा। इस मौके पर स्टैंड विद नेचर के अध्यक्ष डा. लोकेश भिवानी ने कहा कि नई परिभाषा लागू होने से अरावली क्षेत्र की 90 प्रतिशत से अधिक पहाडिय़ां संरक्षण से बाहर हो जाएंगी। इसका सीधा दुष्परिणाम पर्यावरण, जल-स्रोतों, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य पर घातक साबित होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि अरावली केवल पत्थरों की श्रृंखला नहीं बल्कि भूजल रिचार्ज, स्वच्छ हवा, जैव-विविधता और उत्तर-पश्चिम भारत की जलवायु संतुलन की रीढ़ है। यदि इसे कमजोर किया गया तो हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में जल संकट, वायु प्रदूषण और मरुस्थलीकरण की समस्या और अधिक भयावह हो जाएगी। उन्होंने कहा कि खनन के कारण खेतों की उर्वरता घट रही है और ग्रामीण इलाकों में बीमारियां बढ़ रही हैं। युवा कल्याण संगठन के संयोजक कमल प्रधान ने युवाओं से इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने का आह्वान किया。 उपवास के दौरान पर्यावरण प्रेमियों ने मांग रखी कि 20 नवंबर 2025 को लिए गए उस निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए, जिसमें अरावली की नई परिभाषा को स्वीकार किया गया है। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में फैली लगभग 692 किलोमीटर लंबी अरावली पर्वतमाला को महत्वपूर्ण पारिस्थितिक क्षेत्र घोषित किया जाए। मानव बस्तियों, कृषि भूमि, जल-स्रोतों और वन्यजीव संवेदनशील क्षेत्रों के आसपास खनन एवं अन्य विनाशकारी गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। वैकल्पिक निर्माण सामग्री को प्रोत्साहित कर अरावली क्षेत्र में पत्थर खनन को पूरी तरह बंद किया जाए।
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TSTripurari Sharan
Dec 22, 2025 11:20:44
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SKShivam Kumar1
Dec 22, 2025 11:19:35
Noida, Uttar Pradesh:
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Dec 22, 2025 11:18:42
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VKVINOD KANDPAL
Dec 22, 2025 11:18:11
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KLKANHAIYA LAL SHARMA
Dec 22, 2025 11:17:52
Mathura, DARWAJAMATHURA, Uttar Pradesh:यूपी में बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट कानून लागू: राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद प्रशासन में बड़े बदलाव की तैयारी मथुरा: धार्मिक नगरी वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी जी मंदिर के प्रबंधन को लेकर एक ऐतिहासिक अध्याय की शुरुआत हो गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद से पारित होने के बाद, 'उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक, 2025' को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपनी आधिकारिक मंजूरी दे दी है। इस हस्ताक्षर के साथ ही अब यह विधेयक राज्य में एक पूर्ण कानून के रूप में प्रभावी हो गया है। प्रशासन और पारदर्शिता पर ज़ोर इस नए कानून का प्राथमिक उद्देश्य मंदिर के दैनिक प्रशासन में पारदर्शिता लाना और देश-विदेश से आने वाले लाखों भक्तों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं सुनिश्चित करना है। अब तक मंदिर की व्यवस्थाएं निजी हाथों और अदालती दिशा-निर्देशों के बीच संचालित होती थीं, लेकिन अब एक 18 सदस्यीय आधिकारिक ट्रस्ट इसकी कमान संभालेगा। इस ट्रस्ट में ज़िलाधिकारी (मथुरा) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जैसे पदेन अधिकारियों के साथ-साथ स्वामी हरिदास जी के वंशजों और सनातन परंपरा के विद्वानों को भी शामिल किया जाएगा。 धार्मिक परंपराओं का संरक्षण सरकार ने कानून में स्पष्ट प्रावधान किया है कि मंदिर की सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं, सेवा-पूजा की पद्धति और रीति-रिवाजों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। ट्रस्ट का कार्य मुख्य रूप से श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करना, भीड़ प्रबंधन (Crowd Management), और मंदिर की चल-अचल संपत्तियों का संरक्षण करना होगा。 वर्तमान स्थिति और भविष्य की राह वर्तमान में मंदिर की व्यवस्थाओं की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक 'हाई पावर्ड कमेटी' कर रही है। नए कानून के लागू होने से प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण और मंदिर परिसर के विस्तार को गति मिलने की उम्मीद है। इस कानून के माध्यम से वीआईपी कल्चर को नियंत्रित करने और दिव्यांगों व वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुलभ दर्शन की व्यवस्था को कानूनी जामा पहनाया गया है। यह कदम ब्रज क्षेत्र के पर्यटन और आध्यात्मिक विकास की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है.
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ASArvind Singh
Dec 22, 2025 11:17:20
Noida, Uttar Pradesh:उत्तराखंड में जंगल की ज़मीन पर अवैध कब्जे को रोकने को लेकर राज्य सरकार के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जंगल की ज़मीन पर कब्ज़े को मूक दर्शक बनकर देख रही है उत्तराखंड सरकार. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में जंगल की ज़मीन पर निजी संस्थाओं के अवैध कब्ज़े के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है. चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हमारे लिए बेहद हैरत की बात है कि उत्तराखंड सरकार और उसके अधिकारी अपनी आँखों के सामने जंगल की ज़मीन पर हो रहे कब्ज़ों को मूक दर्शक बनकर देख रहे हैं. कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को एक जांच कमेटी बनाने का निर्देश दिया है. कमेटी पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी. इस दरम्यान कोर्ट ने विवादित ज़मीन को बेचना और ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी है. इस दरम्यान इस ज़मीन पर किसी भी प्रकार का नया निर्माण कार्य भी नहीं होगा. रिहायशी मकानों को छोड़कर जो जंगल की ज़मीन खाली है, उसे वन विभाग अपने कब्ज़े में लेगा. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी.
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SKShivam Kumar1
Dec 22, 2025 11:17:07
Noida, Uttar Pradesh:
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