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गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर पूंछरी के लोठा का रहस्य उजागर
AMAnurag Mishra
Dec 30, 2025 16:40:31
Goverdhan Brahmnan, Uttar Pradesh
गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर स्थित पूँछरी का लोठा का रहस्य लोकेशन गोवर्धन मथुरा धनि धनि रे पुंछरी का लोठा… हम खडें हैं परिक्रमा के दूसरे पड़ाव में, यह इलाक़ा पड़ता है राजस्थान में गोवर्धन परिक्रमा का राजस्थान और उत्तर प्रदेश सीमा पर लगा इलाक़ा यहां hजारी लगाना ज़रूरी पूँछरी का लोठा का रहस्य बहुत चौंकाने वाला है। यहां लगाए बिना गोवर्धन परिक्रमा का फल नहीं मिलता है और गोवर्धन परिक्रमा पूरी नहीं मानी जाती है। बाइट-कर्ण योगी पुजारी पूँछरी का लोँठा कभी भगवान कृष्ण की लीला स्थली रहा गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में पूंछरी का लौठा मंदिर की कहानी बहुत दिलचस्प है। बाइट-भगवान कृष्ण ने कहा कि जो भी भक्त गिर्राज जी की परिक्रमा लगाएगा, उनकी हाजिरी आपको लेनी है और गिर्राज जी को बताना है कि इसने आपकी परिक्रमा की है। बाइट- मोटे से साधु जो भस्म लगाए हैं उसी समय सखा पूँछरी का लौठा ने भगवान कृष्ण से कहा था कि मैं हाजिरी तो ले लूंगा, लेकिन आपको दर्शन देने आना होगा। इस पर भगवान कृष्ण राजी हो गए। कहा जाता है कि भगवान एकादशी के दिन मधुमंगल यानी कि पूर्वी खेल उठा से मिलने आते हैं। बाइट पूँछरी कालोनी की अलग अलग युगों में अलग अलग कहानियां है वो हर युग में ख़ास रूप लेकर अवतरित हुए। बाइट-शंकर हनुमान और मधुमंगल बनें भगवान कृष्ण जब अपने सखा मधुमंगल को दर्शन देने आने का वादा करके चले गए तो इसकी जानकारी गोपियों को हुई तो वह कृष्ण को खोजने लगीं, लेकिन वो कहीं नहीं मिले। फिर गोपियों को कृष्ण के सखा मधुमंगल के बारे में जानकारी हुई और वह उनको ढूंढ़ती हुई पहुंचीं। मध्मंगल भगवान श्रीकृष्ण से बढ़े हैं लिहाज़ा सभी गोपियां उन्हें जेठ के रूप में मानती थी इसलिए सीधे उनसे बात नहीं करती थी। यहां आकर एक सखी ने दूसरी सखी से मधुमंगल से कान्हा के बारे में पूछने को कहा। दूसरी ने तीसरी सखी से कान्हा के बारे में पूछरी कहा। इस तरह एक से दूसरी, दूसरी से तीसरी सखी कहती रही तू पूंछरी...तू पूंछरी। इसके बाद गोपियां लौट गईं। पूंछरी के कारण इस जगह का नाम पूंछरी का लौठा पड़ गया। जिसका मतलब कान्हा के बारे में जानकारी लेने के बाद लौटना। बाइट-यहाँ मन्नत पूरी होने हैं को लेकर भी एक बड़ा रहस्य उजागर होता है बाइट-एक महिला बता रही है कि 11 पूर्णमासी पूर्णिमा का व्रत पूँछरी के लौटाया में मन्नत पूरी होने के बाद गोबर से स्वास्तिक बनाया जाता है जिनको संतान प्राप्ति नहीं होती वो संतान पाने के लिए उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं जबकि बाक़ी कामनाओं के लिए सीधा स्वास्तिक बनाते हैं बाइट- छोटी बच्ची पीले रंग के स्वेटर में अपनी मन्नत पूरी करने के लिए देश के दूर दूर इलाकों से राज्यों से लोग यहाँ आते हैं बाइट एक बुजुर्ग सज्जन जो महाराष्ट्रा से पिछले चार साल से हर महीने परिक्रमा करने आ रहे।
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