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टैटू ने पहचाना: 16 साल बाद पंकज अपने भाई से मिला
AKArpan Kaydawala
Sept 13, 2025 09:50:19
Ahmedabad, Gujarat
NOTE TAKE FEED FROM ZEE 24 KALAK VSAT
*1209ZK_LIVE_AHD_TATTOO_BOY*
एंकर
आमतौर पर फिल्मों में दिखने वाली कहानी अहमदाबाद के नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन में देखने मिली... 15 साल पहले परिवार से बिछड़े ए. युवक को उसके ही दोस्त ने हाथ पर बने गुदने यानी टैटू के सहारे पहचान लिया और आखिरकार वह युवक अपने परिवार से मिल पाया... जिसमें अहमदाबाद पुलिस की बेहद सराहनीय भूमिका सामने आई है।
वॉइस ओवर
मामला यह है कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के नारायणी तहसील के थनैल गांव से करीब 16 साल पहले पंकज उर्फ राहुल सदल उगदेव यादव, घर में किसी बात पर डांट मिलने के बाद घर छोड़कर निकल गया था। गांव से छूटने वाली ट्रेन पकड़कर वह अहमदाबाद के कालूपुर रेलवे स्टेशन पहुंच गया था। कुछ दिन रेलवे स्टेशन पर भटकने के बाद रेलवे पुलिस की उस पर नजर पड़ी। दुखद बात यह है कि पंकज सुन और बोल नहीं सकता। इसी वजह से उस समय रेलवे पुलिस ने पंकज को नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन के पास स्थित बधिर-मूक स्कूल में दाखिल कराया था। लेकिन कुछ साल वहां रहने के बाद वह वहां से निकल गया और किसी तरह पास के नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन पहुंचा। तभी से लेकर आज तक पंकज को नवरंगपुरा पुलिस के स्टाफ ने ही पाला-पोसा है। पिछले सात सालों से पंकज नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन में रहकर बड़ा हुआ है। उसके खाने-पीने और कपड़ों का सारा खर्च नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन का स्टाफ ही उठा रहा है।
बाइट: के. ए. गढ़वी, पीआई – नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन
इस बीच पुलिस कमिश्नर जी.एस. मालिक के आदेश अनुसार नवरंगपुरा पुलिस लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलवाने की कार्रवाई कर रही थी। इसी दौरान कुछ दिन पहले नवरंगपुरा की मुस्लिम सोसाइटी में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम कर रहे पंकज के बचपन के दोस्त निरज यादव ने पंकज को नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन के बाहर देखा। तभी उसकी नजर पंकज के दाहिने हाथ पर बने "राम सीता" लिखे टैटू पर पड़ी। टैटू देखते ही निरज दंग रह गया। टैटू देखकर निरज ने पंकज से बात करने की कोशिश की, लेकिन किस्मत ने पंकज को आवाज नहीं दी थी। जैसे ही यह सच सामने आया, निरज की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि वह कोई और नहीं बल्कि उसका बचपन का दोस्त पंकज ही था। दोनों ने ए. साथ गांव के मेले में यही टैटू बनवाए थे। देखिए दोनों के हाथों पर ए. जैसे टैटू... निरज ने पंकज को पहचान तो लिया, लेकिन पंकज पुलिस स्टेशन में रहता था, इसलिए वह 10 दिन तक पुलिस से संपर्क करने में झिझकता रहा। आखिरकार निरज ने हिम्मत जुटाकर नवरंगपुरा पुलिस को पूरी बात बताई। इसके बाद पुलिस ने पंकज के परिवार से संपर्क किया और वीडियो कॉल के जरिए पुष्टि भी की कि यह वही पंकज है, जो 16 साल पहले उत्तर प्रदेश से घर छोड़कर अहमदाबाद आया था।
आखिरकार पुलिस ने परिजनों को अहमदाबाद बुलाया, जहां पंकज का बड़ा भाई नथ्थू यादव उसे लेने नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन पहुंचा।
बाइट: के. ए. गढ़वी, पीआई – नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन
जैसे ही नथ्थू भाई पंकज से मिले, भावुक दृश्य सामने आ गए। देखिए, अपने छोटे भाई से 16 साल बाद मिलने वाला बड़ा भाई और उसका बचपन का दोस्त... बाइट: निरज यादव, पंकज का बचपन का दोस्त
वॉइस ओवर
भले ही ए. टैटू की मदद से दोस्त ने अपने बचपन के साथी को पहचान लिया हो, लेकिन इस पूरे मामले में नवरंगपुरा पुलिस की मानवता भी कम नहीं है। जिसने पिछले 7 सालों से पंकज को पाल-पोसकर बड़ा किया है।
नोटः पुलिस की हिंदी बाइट है।
अर्पण क़ायदावाला, ज़ी मीडिया, अहमदाबाद
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