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कोविड वैक्सीन से सडन डेथ का खतरा कम, डॉ नारंग का बड़ा दावा!
Delhi, Delhi
जिन लोगों ने कोविड का वैक्सीन लिया है उनमें सडन डेथ होने की संभावना कम है डॉ राजीव नारंग, चीफ ऑफ कारिडयोलॉजी एम्स
वैक्सीन सेफ है यह दावा एम्स और आईसीएमआर के सर्वे में सामने आया। इसके साथ ही यह भी दावा किया गया कि जिन लोगों ने वैक्सीन लिया है वह वैक्सीन नहीं लेने वालों की तुलना में अधिक सेफ है। एम्स में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ राजीव नारंग ने गावै किया कि जिन लोगों ने वैक्सीन लिया है उनमें सडन डेथ का संभावना काफी कम है।
डॉ संजय राय ने कहा कि 16 जनवरी 2021 के हमने कोविड बनाने की शुरूआत की ... कोवीशील्ड और को वैक्सीन का हमने इस्तेमाल किया। अभी तक 32 वैक्सीन एप्रूव हो चुके हैं। कई तरह के तकनीक से वैक्सीन डेवलप हुआ है। कई जगह पर चौथा डोज भी दिया जा रहा है। डब्लूएचओ ने सभी को वैक्सीन देने की बात की है।
वैक्सीव डेथ की वजह नहीं
डॉ राजीव नारंग ने कहा कि कार्डियोलॉजिस्ट सडन एरेस्ट युवाओं में जो हो रहा है वह दो तरीके का है। एक रिदम प्रॉब्लम है। दूसरा हायपरट्रॉफी कार्डियो मायोपथी। इसके इतर ब्लड क्लॉट की वजह से क्लासिकल हार्ट अटैक हो रहे हैं। हर डेथ की वजह अलग हो सकती है। कोविड के बाद लोगों ने सोशलमीडिया पर भी काफी एक्टिव हुए है। सडन डेथ को लेकर काफी तेजी से चीजें वायरल हो रही है। ऐसे में लोग काफी तेजी से अवेयर हो रहे हैं। जहां तक कोविड वैक्सीन के बाद की बात है इससे कोई डेथ नहीं है।
मौत की वजह यह है
डॉ नारंग ने कहा कि स्टडी में यह पाया गया है कि फैमली हिस्ट्री वालों की डेथ हुई है। जिन्होंने एल्कोहल लिया है 24 घंटे पहले या परफार्मेंस इन्हासिंस एजेंट जिन्होंने लिया हो, यह सब ऐसी बाते हैं जिनसे मौत हुई है।
वैक्सीन के फायदे अधिक हैं
एम्स में पल्मुनरी विभाग के डॉ करन मदान ने कहा कि जितनी भी कोविड वैक्सीन यूज हुइ है उसमें कहीं से यह नहीं दिखा है कि वैक्सीन वजह से सडन डेथ है। कोविड वैक्सीन की बेनिफिट काफी अधिक है।
वैक्सीन मौत की वजह नहीं
एम्स और आईसीएमआर के सर्वे में शामिल एम्स के पैथेलॉजी विभाग के डॉ सुधीर अरावा ने कहा कि हमने केविड से जो मरे उनका एनालिसिस किया। अधिकतर लोग लंग्स के डैमेज होने से हुआ। अधिकतर युवा की जो मौत हुई है वह हार्ट की वजह से हुई है। खासकर सडन डेथ के बारे में। हमने सभी युवाओं के भी हार्ट चेक किए जिनकी सडन डेथ हुई। एक साल के सर्वे में 300 लोगों को शामिल किया गया है। जिसमें 98 से 100 केस ऐसे थे जिसमें सडन डेथ था। इस सर्वे में यह पाया गया कि कार्डियो वास्कुलर सिस्टम में परेशानी थी। कुछ के हार्ट में इन्फैक्शन था। कोरोनरी आर्ट्री डिजीज की वजह से अधिकतर डेथ थी। हमने शरीर के सभी शरीर अंग का एक्जामिनेशन किया। कई केस ऐसे भी हुए जिसमें सब सही था फिर भी हुई मौत। हमने कोविड से पहले और बाद के सडन डेथ का सर्वे किया। कई केस में अटॉप्सी निगेटिव आया।
इनकी वजह से होती है हार्ट अटैक
डॉ राजीव नारंग ने कहा कि आठ जरूरी चीजों को अगर मोडिफाइ किया जाए तो हार्ट अटैक कम किया जा सकता है। इनमें स्मोकिंग, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कॉलेस्ट्रॉल, साइकेसोशल स्ट्रेस, एबडॉबिनल ओबिसिटी शामिल है। रेगुलर एक्सरसाइज और फ्रूट वेजिटेरोबल डाइट से रिस्को के कम किया जा सकता है।
जो सप्लीमेंट हम यूज करते हैं उसका भी हमारे शरीर पर विपरीत असर करता है। अगर अधिक मात्रा में लम्बे समय तक लिया जाए तो उसका अधिक खतरनाक होता है।
रिक्स कम और फायदा अधिक
डॉ संजय राय ने कहा कि वैक्सीन देने से रिस्क कम था और फायदा अधिक। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के ट्रायल में किसी भी तरह का कोई कॉम्परमाइज नहीं हुआ है।
कोविड मरीज के ब्लड क्लाटिंग को कम करना मुश्किल
डॉ तुलिका सेठ एचओडी हिमेटॉलिजी विभाग की अध्यक्ष ने कहा कि हमारे यहां बल्ड क्लॉटिंग के लिए एक स्पेशल क्लिनिक है। थ्राम्बोसिस को लेकर हमारे डिपार्टमेंट ने काफी रिसर्च भी किया है। वैक्सीन का नेचर है जिसमे बल्ड क्लॉटिंग हो सकता है। थ्राम्बोसिस यंग लोगों के बीच भी होता है। कई बार हमें क्लाट की वजह नहीं पता चल पाता। कोविड में बल्ड क्लॉटिंग बहुत सिवियर होता था जिसे सामान्य मेडिसिन से दूर नहीं किया जा सकता था।
बाइट डॉ तूलिका सेठ हिमेटोलॉजी dept
बाइट डॉ अभिषेक यादव
फॉरेंसिक डिपार्टमेंट
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