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Firozpur152001

एडवांस लैंडिंग ग्राउंड घोटाला: उषा और नवीन अंसल पर मुकदमा!

RAJESH KATARIA
Jun 30, 2025 08:00:46
Firozpur, Punjab
एडवांस लैंडिंग ग्राउंड घोटाला: एयरफोर्स की जमीन की धोखाधड़ी से बिक्री के मामले में उषा अंसल और नवीन चंद अंसल पर मुकदमा दर्ज भारतीय वायुसेना के ऐतिहासिक एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) की जमीन की धोखाधड़ी से बिक्री के मामले में पुलिस ने एक लम्भे समय की एनक्वारी के बाद दो लोगो उषा अंसल और नवीन चंद अंसल, निवासी डुमनी वाला गांव (वर्तमान में दिल्ली निवासी) — के खिलाफ IPC की धारा 419, 420, 465, 467, 471 और 120-B के तहत कुलगढ़ी थाना में एफआईआर नंबर 91 दिनांक 28.06.25 दर्ज की है। जांच अधिकारी डीएसपी करण शर्मा ने बताया कि यह कार्रवाई एक शिकायत के आधार पर की गई है, जो कि रिटायर्ड कानगूं निशान सिंह द्वारा चीफ डायरेक्टर, विजिलेंस ब्यूरो को दी गई थी। इस शिकायत की जांच इंस्पेक्टर जगनदीप कौर (विजिलेंस ब्यूरो) द्वारा की गई थी और रिपोर्ट एसएसपी कार्यालय को सौंपी गई, जिसके आधार पर FIR दर्ज की गई। जांच में यह सामने आया कि आरोपियों ने कुछ निचले स्तर के राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से वायुसेना की जमीन को निजी व्यक्तियों को बेच दिया था। गौरतलब है कि यह मामला उस समय प्रकाश में आया था जब फत्तूवाला गांव में स्थित 118 कनाल 16 मरला जमीन की फर्जी बिक्री का पता चला। इसके बाद 16 अप्रैल, 2021 को एयरफोर्स स्टेशन हलवारा के कमांडेंट ने स्टेशन हेडक्वार्टर फिरोजपुर के माध्यम से तत्कालीक डीसी को शिकायत भेजी थी और जांच की मांग की थी। इस मामले की जांच और राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव करने में प्रशासन को करीब पांच साल लग गए। शिकायतकर्ता निशान सिंह ने जब जांच में देरी पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तो पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर, 2023 को फिरोजपुर के डीसी को छह माह के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए थे। इसके जवाब में डीसी फिरोजपुर ने एक तीन पन्नों की रिपोर्ट दी थी जिसमें कहा गया था कि जमीन आज भी 1958-59 के राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार भारतीय सेना के कब्जे में है। लेकिन निशान सिंह इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने एक और याचिका दायर की जिसमें आरोप लगाया गया कि कई अहम तथ्यों को जानबूझकर छुपाया गया और जमीन का म्युटेशन वर्ष 2001 में कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से निजी व्यक्तियों के नाम कर दिया गया। मई 2025 में, जिला प्रशासन की जांच के बाद जमीन का वह हिस्सा जिसे कथित तौर पर निजी व्यक्तियों को स्थानांतरित कर दिया गया था, उसे रक्षा मंत्रालय को वापस सौंप दिया गया।
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