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सोनभद्र पत्थर खदान हादसा: रोक से मजदूरों और आमजन की जीवनरेखा खतरे में
ADArvind Dubey
Dec 13, 2025 11:18:54
Obra, Uttar Pradesh
पत्थर खदान में हुए भीषण हादसे के बाद जहां सात मजदूरों की दर्दनाक मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया, वहीं उसके बाद लगी रोक ने सोनभद्र की लाइफ लाइन कहे जाने वाले खनन व्यवसाय को पूरी तरह ठप कर दिया। 37 खदानों पर एक साथ लगी रोक का असर अब सिर्फ खनन क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा। हजारों मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है, व्यवसायियों की पूंजी फंसी है और सरकार को भी करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, पत्थर खदानें बंद होने का सीधा असर आम आदमी की ज़िंदगी पर भी पड़ रहा है। मकान बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली गिट्टी के दाम आसमान छूने लगे हैं, जो अब आम व्यक्ति की पहुंच से बाहर होती जा रही है। इस बढ़ती महंगाई का असर सड़क निर्माण समेत अन्य सरकारी विकास कार्यों पर भी साफ नजर आने लगा है। इसी बेहद संवेदनशील हालात के बीच आज पहली बार सोनभद्र पहुंचीं राज्य की खनन निदेशक माला श्रीवास्तव। उनके इस दौरे को सिर्फ जांच नहीं, बल्कि सोनभद्र की खनन व्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की उम्मीद से भी जोड़कर देखा जा रहा है। अब सवाल यही है क्या यह दौरा जिले की लाइफ लाइन को फिर से रफ्तार देगा, या हालात और भयावह मोड़ पर जाएंगे। 15 नवंबर को सोनभद्र की एक पत्थर खदान में हुआ हादसा आज भी जिले के हालात पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। हादसे में सात मजदूरों की दर्दनाक मौत के बाद खान सुरक्षा निदेशालय ने जनपद में पत्थर खनन पर रोक लगा दी। इस रोक के तहत फिलहाल सोनभद्र की 37 खदानों का संचालन पूरी तरह बंद है। सोनभद्र, जिसे प्रदेश का प्रमुख खनन केंद्र माना जाता है, जहां खनन सिर्फ एक उद्योग नहीं बल्कि जिले की आर्थिक रीढ़ है आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है। खनन बंद होते ही हजारों मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों के लिए अब रोज़ी-रोटी का सवाल दिन-ब-दिन गंभीर होता जा रहा है। वहीं खनन से जुड़े व्यवसायी, स्टोन क्रशर संचालक, मोटर मालिक और ट्रांसपोर्टर भारी आर्थिक दबाव में हैं। रॉयल्टी जमा करने की मजबूरी, बैंकों की किस्तें, मजदूरी और वाहनों की देनदारियां हर महीने का खर्च अब संकट का रूप ले चुका है। इस पूरी स्थिति का असर सरकार के राजस्व पर भी दिखाई दे रहा है। खनन बंद होने से राजय सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व नुकसान की आशंका है। लेकिन संकट यहीं नहीं रुकता। पत्थर खदानों के बंद हो जाने से गिट्टी की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। नतीजा यह है कि मकान निर्माण में इस्तेमाल होने वाली गिट्टी के दाम तेजी से बढ़ गए हैं, जो अब आम व्यक्ति की पहुंच से काफी दूर हो चुकी है। इस महंगाई की मार प्रदेश की जनता पर सीधा असर डाल रही है। साथ ही सड़क निर्माण समेत अन्य सरकारी विकास कार्यों की लागत भी बढ़ गई है, जिससे कई परियोजनाओं पर असर पड़ने की आशंका है। इसी पृष्ठभूमि में आज खनन निदेशक हादसे के बाद पहली बार सोनभद्र पहुंचीं। सर्किट हाउस पहुंचते ही डीएम, एडीएम समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बंद कमरे में समीक्षा बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक, खनन निदेशक हादसे वाली खदान के साथ-साथ अन्य खदानों की भी जांच कर सकती हैं, और सुरक्षा मानकों के आधार पर आगे का फैसला लिया जाएगा। अब पूरे जिले की निगाहें इस दौरे पर टिकी हैं। देखना यह होगा कि क्या खनन व्यवस्था सुरक्षा के साथ दोबारा पटरी पर लौटेगी, या फिर मजदूरों की रोज़ी, व्यवसायियों का भविष्य और आम जनता की जेब पर यह संकट और गहराएगा।
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