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योगी ने मूक-बधिर खुशी को सुरक्षा और शिक्षा का आश्वासन देकर प्रेरक उदाहरण बनाया
RRRakesh Ranjan
Nov 27, 2025 11:36:26
Noida, Uttar Pradesh
एक भावनात्मक कहानी पढ़कर योगी आदित्यनाथ खुद आगे आए — ‘खुशी’ को दिया सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान का भरोसा
लखनऊ।
22 नवंबर को एक मूक-बधिर लड़की अपने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए कानपुर से लखनऊ तक पहुँच गई। हाथ में योगी जी का बनाया हुआ चित्र और दिल में एक ही इच्छा—“मुख्यमंत्री जी से मिलना है。”
जब यह संवेदनशील कहानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुँची, उन्होंने किसी अधिकारी को आगे नहीं बढ़ाया…
वे स्वयं आगे आए।
उन्होंने निर्देश दिया—“उस बच्ची और उसके परिवार को तुरंत मेरे आवास पर बुलाया जाए।”
यहही वह मानवीय पहल थी जिसने इस पूरी घटना को प्रशासनिक कार्यवाही से आगे बढ़ाकर एक भावनात्मक अध्याय बना दिया।
मुख्यमंत्री आवास पर योगी जी ने खुशी को पास बुलाकर उसके बनाए चित्र देखे—प्रधानमंत्री मोदी और स्वयं उनका चित्र। खुशी बोल नहीं सकती थी, पर योगी जी ने उसके भावों को पढ़ लिया।
फिर उन्होंने एक-एक कर समाधान दिए—
• मूक-बधिर कॉलेज में शिक्षा
• स्किल डेवलपमेंट के लिए मोबाइल व टैबलेट
• कानों के इलाज की व्यवस्था
• परिवार के लिए आवास सहायता
एक लड़की की छोटी-सी इच्छा को मुख्यमंत्री ने बड़े संकल्प में बदल दिया।
घटना की शुरुआत 22 नवंबर को हुई थी खुशी बिना बताए अकेली घर से निकल पड़ी। उसका उद्देश्य था अपने मुख्यमंत्री को वह चित्र देना जिसे उसने स्वयं बनाया था। खुशी को चित्र बनाने का शौक है। वह कानपुर स्थित अपने घर से पैदल निकली। उसके पिता ने बताया कि वह न जाने कैसे लखनऊ पहुंची। वहां पहुंचने के बाद वह रास्ता भटक गई। मुख्यमंत्री से मिल पाने में असमर्थ होने पर खुशी लोकभवन के बाहर बैठकर रोने लगी। हजरतगंज पुलिस ने उसे संभाला। पुलिस की ओर से खुशी के परिवार को उसकी सूचना दी। हालांकि खुशी को घर में न देखकर उसके पिता ने अपने स्थानीय थाने में उसके मिसिंग की शिकायत दे दी थी। खुशी पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन वह अपने पिता का नाम उनका मोबाइल नंबर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिख लेती है।
जब मुख्यमंत्री को खुशी की यह कहानी पता चली तो उन्होंने इसका संज्ञान लेते हुए तुरंत उसके परिवार को अपने आवास पर बुलाने के निर्देश दिए। योगी आदित्यनाथ ने उसके लिए कानपुर स्थित मूकबधिर कॉलेज में शिक्षा की व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया। साथ ही उसकी पढ़ाई और स्किल डेवलपमेंट में सहायक मोबाइल और टैबलेट भी उपलब्ध कराया गया। राज्य सरकार की ओर से खुशी के कान के इलाज की भी व्यवस्था की जा रही है। खुशी के परिवार के लिए आवास की व्यवस्था का भी आश्वासन प्रदेश सरकार की ओर से दिया गया है। सरकार द्वारा प्राप्त सहायता और सहायता के आश्वासन से पूरा परिवार प्रसन्नता से भर गया है।
इस पूरी घटना में केंद्र बिंदु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वह स्नेह रहा जिसने इस परिवार को सम्मान, सुरक्षा और भविष्य की नई दिशा का एहसास कराया। उनके इस व्यवहार ने यह स्पष्ट किया कि सरकार केवल प्रशासनिक संस्थान नहीं बल्कि संवेदना और सीमातीत मानवीयता का आधार है।
खुशी ने अपने सरल विश्वास से यह दिखाया कि प्रेम और सम्मान की भावना किसी बाधा में नहीं फंसती और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी संवेदना और व्यवहार से यह स्थापित किया कि, जनता और शासन के बीच संबंध केवल औपचारिक नहीं बल्कि आत्मीय हो सकता है। यह कहानी उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक संवेदनशील प्रशासन की मिसाल के रूप में याद रखी जाएगी।
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