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तुलसी श्याम मंदिर: विज्ञान-आस्था के मिलन की रहस्यमयी कहानी
SVShweta Verma
Dec 25, 2025 14:04:31
Noida, Uttar Pradesh
स्क्रिप्ट: "तुलसी श्याम - जहाँ विज्ञान थमता है, विश्वास जागता है"\nइंट्रो (Introduction)\n(बैकग्राउंड में गिर के घने जंगलों, प्राचीन मंदिर के शिखर और गरम पानी के कुंडों के विजुअल्स)\nएंकर: आज हम आपको ले चल रहे हैं गुजरात के सौराष्ट्र में, गिर के उन घने जंगलों के बीच, जहाँ प्रकृति का नियम बदल जाता है। एक ऐसी जगह जहाँ पानी खौलता है पर आग नहीं जलती... जहाँ गाड़ियां अपने आप पहाड़ चढ़ती हैं... और जहाँ 3000 साल पुराना इतिहास आज भी जीवंत है। हम बात कर रहे हैं— तुलसी श्याम की।\nदृश्य 2: मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा \n(मंदिर की नक्काशी, काले पत्थर की भगवान श्याम की मूर्ति और भक्तों के शॉट्स)\nVO: अमरेली और गिर सोमनाथ जिले की सीमा पर स्थित 'तुलसी श्याम' मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था का अटूट केंद्र है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहाँ भगवान विष्णु ने जलंधर राक्षस का वध किया था।\nकहा जाता है कि यहाँ की मुख्य मूर्ति करीब 3000 साल पुरानी है, जो काले पाषाण से बनी है। इस स्थान का नाम 'तुलसी श्याम' इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ भगवान कृष्ण (श्याम) और देवी तुलसी का मिलन हुआ था। यहाँ की हर दीवार, हर पत्थर कृष्ण की उपस्थिति का एहसास कराता है।\nदृश्य 3: गर्म पानी के रहस्यमयी कुंड\n(लोग उसमें स्नान करते हुए और पानी के क्लोज-अप)\nVO: लेकिन इस मंदिर की सबसे बड़ी पहेली है— यहाँ के तप्त कुंड। मंदिर के पास तीन सात फीट गहरे कुंड हैं, जिनमें पानी हमेशा गरम रहता है।\nचौंकाने वाली बात यह है? कि इन कुंडों का तापमान अलग-अलग रहता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि यह सल्फर की वजह से है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह भगवान का चमत्कार है। लोग मानते हैं कि इस गर्म पानी में स्नान करने से चर्म रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं। आखिर घने जंगलों के बीच, बिना किसी स्रोत के यह पानी उबलता कैसे है? यह आज भी एक कौतूहल है।\nदृश्य 4: मैग्नेटिक हिल - गुरुत्वाकर्षण को चुनौती\n(सड़क पर खड़ी कार जो न्यूट्रल गियर पर इंजन बंद होने के बाद भी ऊपर की तरफ जा रही है)\nVO: रहस्य यहीं खत्म नहीं होता। मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है 'मैग्नेटिक हिल'।\nयहाँ न्यूटन के नियम फेल हो जाते हैं! अगर आप अपनी कार को न्यूट्रल में खड़ा कर दें, तो वह नीचे जाने के बजाय अपने आप पहाड़ की चढ़ाई चढ़ती है। लोग इसे 'एंटी-ग्रेविटी' कहते हैं। क्या यह ज़मीन के नीचे छिपा कोई विशाल चुंबक है? या फिर इस पवित्र भूमि की कोई अदृश्य शक्ति?\nदृश्य 5: उपसंहार\nVO: विज्ञान इसे 'ऑप्टिकल इल्यूजन' या 'जियोथर्मल एनर्जी' का नाम दे सकता है। शोधकर्ता अपनी थ्योरी ला सकते हैं। लेकिन तुलसी श्याम की मिट्टी में जो अनुभव है, वह किसी लैब में नहीं मिल सकता।\nअंत में, सच तो यही है कि ब्रह्मांड के हर रहस्य को मापना इंसान के बस की बात नहीं। जहाँ विज्ञान की सीमा खत्म होती है, वहीं से भगवान श्री कृष्ण की 'दिव्य लीला' शुरू होती है। ये गर्म कुंड और पहाड़ों का खिंचाव महज़ एक घटना नहीं, बल्कि उस परम सत्ता का संकेत है जो हमें याद दिलाती है कि दुनिया में अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो 'अनजाना' है, 'अनसुलझा' है और पूरी तरह से जादुई है। यह श्री कृष्ण की शुद्ध भक्ति और उनकी माया का वह स्वरूप है, जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है, समझा नहीं जा सकता।\n
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