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आजमगढ़ घाटों पर छठ पूजा की धूम, सूर्यदेव को अर्घ्य देने लिए उमड़ा जनसैलाब
VPVEDENDRA PRATAP SHARMA
Oct 28, 2025 03:37:31
Azamgarh, Uttar Pradesh
आस्था का महापर्व सूर्यषष्ठी (छठ पर्व) को लेकर रही रौनक, उगते सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की ललक व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजन। जनपद आज़मगढ़ में जहां कल सोमवार की शाम को नदियों व पोखरों के घाट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद आज मंगलवार को तड़के उगते सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की ललक व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजनों में दिखाई दी। छठ घाटों पर हर आम व खास सभी ने छठी मइया की श्रद्धापूर्वक पूजा कर रहे। उस दौरान तड़के जन सैलाब के उमड़ने को लेकर स्वयंसेवक भी जुटे रहे। यह पर्व बिहार में मुख्य रूप से मनाया जाता रहा लेकिन जिस तरह से पर्व की धूम है यह छठ पर्व अब विश्व के कई देशों में मनाये जाने लगा है। बता दें की आजमगढ़ जिले में प्रशासन व संगठनों द्वारा घाटों पर अर्घ्य के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा को देखते हुए इंतजाम किये गये। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने भी विभिन्न घाटों का निरीक्षण करते नजर आये। जहां जनपद में करीब 9 सौ स्थानों समेत शहर के नगर पालिका क्षेत्र में 14 प्रमुख स्थानों पर नदी के घाट, तालाबों पर छठ का पर्व मनाया जा रहा। हर जगह छठ को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिला। जहाँ गलि- मोहल्लों में छठ गीत गूंज रहे गीतों में, सेईं ले चरण तोहार ऐ छठी मइया, सुनी लेहु अरज हमार। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में नदी व पोखरों के घाट को जाने वाले रास्ते खचाखच भरे रहे। पुरुष सिर पर बांस की टोकरी में फलों को सजा कर ले जा रहे थे, जबकि व्रती महिलाओं के चेहरे पर भगवान को अर्घ्य देते संतुष्टि झलक रही है। इस उत्सव के केंद्र में छठ व्रत जो की एक कठिन तपस्या की तरह है। यह प्राय: महिलाओं द्वारा किया जाता किंतु पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। चार दिनों के इस व्रत में व्रती 36 घंटे लगातार उपवास करते हैं, जिसका सूर्योदय के बाद समापन होता है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते। छठ पर्व को शुरू करने के बाद सालों साल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला को इसके लिए तैयार न कर लिया जाये। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है। विशेष रूप से ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति व पूरे परिवार की समृद्धि के लिए होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएं यह व्रत रखती हैं। किंतु पुरुष भी यह व्रत पूरी निष्ठा से रखते हैं। लोगों का मानना है कि छठ माता सबकी मनोकामना पूर्ण करती है। सुबह के समय पानी में खड़ा रहकर सूर्यदेव के उदय होने का इंतजार करना पड़ता है, इसके बाद परिवार के बड़े व छोटे हर लोग सूर्यदेव को अर्घ देते हैं।
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