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करोड़िध्वज सूर्य मंदिर: आस्था, इतिहास और चमत्कार का जीवंत प्रतीक
STSharad Tak
Nov 10, 2025 08:18:57
Sirohi, Rajasthan
सूर्य — सृष्टि की आत्मा, ऋग्वेद का ये श्लोक ‘सूर्य आत्मा जगतस्त’ हमें याद दिलाता है उस ऊर्जा की, जिससे जीवन संभव है। और जब बात होती है सूर्य भगवान की आराधना की, तो देशभर में कुछ ही ऐसे मंदिर हैं जो उनकी दिव्यता का प्रतीक हैं। राजस्थान के सिरोही जिले में भी ऐसा ही एक प्राचीन और पवित्र स्थान है — अनादरा गांव का करोड़ीध्वज सूर्य मंदिर। कहा जाता है, इस मंदिर में भगवान सूर्य स्वयं विराजमान हैं, और इसके हर पत्थर में आस्था की कहानी छिपी है। आइए, आपको लेकर चलते हैं इस आस्था और चमत्कार से भरे स्थल की ओर।
अरावली की पहाड़ियों की गोद में बसा — अनादरा गांव का करोड़ीध्वज सूर्य मंदिर....जहां आस्था का सूरज हर रोज़ नई ऊर्जा के साथ उदित होता है। यह मंदिर भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है, और इसकी स्थापना के पीछे जुड़ी हैं कई ऐतिहासिक और आध्यात्मिक कथाएं। कहा जाता है, 1356 ईस्वी में जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने यहां रुककर कठोर तपस्या की थी और इसी स्थान पर वैष्णव पीठ की स्थापना की थी। यही कारण है कि यह स्थान सप्तऋषियों की तपोस्थली भी कहलाता है।”
इस मंदिर का नाम ‘करोड़ीध्वज’ भी एक अनोखी घटना से जुड़ा हुआ है। कई वर्षों पहले एक बंजारा व्यक्ति को कोढ़ की बीमारी थी। मंदिर के कुंड से नहाकर निकले एक कुत्ते ने जब अपने शरीर का पानी उसके ऊपर झटका, तो उसके शरीर पर वह पवित्र जल गिरा और उसका कोढ़ ठीक होने लगा। भगवान सूर्य के प्रति आभार जताने के लिए उसने यहां एक करोड़ ध्वजाएं चढ़ाईं। तभी से इस मंदिर का नाम पड़ा — करोड़ीध्वज सूर्य मंदिर।
मंदिर परिसर में बना सूर्यकुंड आज भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि इस जल से स्नान करने पर सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है। यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, और अपने जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
मंदिर में भगवान सूर्य के साथ-साथ भगवान महादेव, हनुमानजी और विष्णु भगवान की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। कुंड के पास बनी भगवान विष्णु की शयनावस्था में मूर्ति इस मंदिर की विशेष पहचान है। साथ ही यहाँ दो प्राचीन शिलालेख भी हैं, जो मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं।
सिरोही जिले के अनादरा गांव में स्थित यह प्राचीन करोड़ीध्वज सूर्य मंदिर, सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि इतिहास और संस्कृति का जीवंत प्रमाण है। कहा जाता है, यहाँ आने वाले हर भक्त को न सिर्फ आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि सूर्य भगवान की कृपा से उसके जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। सूर्यकुंड का पवित्र जल, मंदिर का शांत वातावरण और अरावली की गोद में बसी यह पवित्र भूमि हर व्यक्ति के मन को भक्ति भाव से भर देती है。
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