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प्रतापगढ़ में पत्रों की राजनीति: कलेक्टर बनाम भाजपा नेताओं की खुली जंग
HUHITESH UPADHYAY
Dec 26, 2025 09:35:27
Pratapgarh, Rajasthan
प्रतापगढ़ में जिला कलेक्टर डॉ. अंजलि राजोरिया लगातार विवादों के केंद्र में हैं। कभी सभापति पति पर पत्र, कभी सभापति से टकराव, फिर विधायक प्रतिनिधि, पार्षद और भाजपा नेताओं पर कार्रवाई और अब सीधे उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत से आमना-सामना। खास बात यह है कि पहले सांसद रावत ने कलेक्टर के खिलाफ मुख्य सचिव को पत्र लिखा, जिसके बाद कलेक्टर ने उसी पत्र का कड़ा जवाब भेजा। पूरे विवाद पर सांसद का यह कहना कि कुछ बोलूंगा तो विवाद खड़ा हो जाएगा, इस टकराव को और रहस्यमय बना देता है। इस बीच शिकर मामले में गोविंद सिंह डोटासरा का नौकरशाही हावी है वाला बयान भी सियासी बहस को हवा दे रहा है। प्रतापगढ़ जिला कलेक्टर डॉ. अंजलि राजोरिया का कार्यकाल बीते कुछ महीनों से लगातार विवादों में रहा है। खास बात यह है कि सामने आए लगभग हर बड़े विवाद में भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि या नेता किसी न किसी रूप में शामिल रहे हैं। यही कारण है कि जिले में यह चर्चा आम हो गई है कि प्रतापगढ़ प्रशासन और भाजपा नेताओं के बीच टकराव लगातार गहराता जा रहा है। इस सिलसिले की शुरुआत नगर परिषद सभापति रामकन्या गुर्जर के पति प्रह्लाद गुर्जर से जुड़े मामले से हुई। सोशल मीडिया पर टिप्पणियों और प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप के आरोपों को लेकर कलेक्टर ने एसपी को पत्र लिखा कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद खुद सभापति रामकन्या गुर्जर खुलकर सामने आईं और कलेक्टर पर विकास कार्य रोकने, भ्रष्टाचार और अनावश्यक दखल के गंभीर आरोप लगाए। मामला यहीं नहीं थमा। इसके बाद राजस्व मंत्री व स्थानीय विधायक हेमंत मीणा के विधायक प्रतिनिधि और पूर्व पार्षद रितेश सोमानी पर फर्जी पहचान, अवैध दबाव और भू-माफिया गतिविधियों जैसे आरोपों को लेकर कलेक्टर ने पुलिस को पत्र लिखा। सोमानी ने पलटवार करते हुए इसे राजनीतिक विद्वेष बताया और कहा कि कलेक्टर भाजपा को बदनाम करने की भूमिका में काम कर रही हैं। इसके बाद भाजपा के अन्य पार्षदों और नेताओं को लेकर भी पत्राचार और कार्रवाई की चर्चाएं सामने आती रहीं। 69-ए पट्टा प्रकरण, एम्पावर्ड कमेटी का रजिस्टर चोरी और अवैध भूमि आवंटन जैसे मामलों ने इस विवाद को और बड़ा बना दिया। कलेक्टर द्वारा एसीएस गृह को लिखे गए पत्र में भू-माफिया नेटवर्क और फर्जी पहचान के उल्लेख के बाद भाजपा खेमे में नाराजगी खुलकर सामने आई। भाजपा जिलाध्यक्ष तक ने इस तरह के पत्राचार को अनुचित बताते हुए आपत्ति जताई। इस पूरी कड़ी में सबसे अहम मोड़ तब आया, जब उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने जिला कलेक्टर के खिलाफ मुख्य सचिव को पत्र लिखा। सांसद ने डीएमएफटी फंड, विकास कार्यों और प्रशासनिक प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए। इसके बाद कलेक्टर डॉ. अंजलि राजोरिया ने उसी पत्र का विस्तृत जवाब मुख्य सचिव को भेजते हुए सांसद के आरोपों को तथ्यविहीन बताया और पत्राचार की भाषा, मर्यादा और महिला अधिकारी की गरिमा का मुद्दा उठाया। इस पूरे मामले पर जब सांसद मन्नालाल रावत से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने साफ कहा मैं इस पर कुछ बोलूंगा तो विवाद खड़ा हो जाएगा। उनका यह बयान यह संकेत देता है कि मामला सिर्फ प्रशासनिक नहीं रहा, बल्कि गहरे राजनीतिक तनाव में बदल चुका है। इन घटनाओं के बीच कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का शिकर से जुड़ा हुआ यह बयान कि राज्य में नौकरशाही हावी है, प्रतापगढ़ की स्थिति से जुड़ता हुआ नजर आता है। सवाल उठ रहा है कि क्या जिले में प्रशासन अपनी कानूनी जिम्मेदारी निभा रहा है, या फिर राजनीतिक संतुलन बिगड़ने से टकराव लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच सरकार के दो अहम मंत्रियों की एंट्री ने इस टकराव को और वजनदार बना दिया है। राजस्व मंत्री व स्थानीय विधायक हेमंत मीणा ने राजनीति और प्रशासन में सामंजस्य की बात कहते हुए मामले को सरकार के स्तर पर सुलझाने का भरोसा दिलाया है, वहीं नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने दो टूक कहा है कि नौकरशाही को जनता और जनप्रतिनिधियों पर हावी नहीं होने दिया जाएगा। इन बयानों के बाद यह सवाल और गहरा हो गया है कि क्या प्रतापगढ़ में कलेक्टर भाजपा नेताओं के घेरे में हैं, या फिर यह नौकरशाही बनाम जनप्रतिनिधि की खुली जंग बन चुकी है? ओर मामला यह नहीं थमा जिले में कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों के बीच चल रहे विवादों से जुड़ी लगातार खबरों के सामने आने के बाद जिला कलेक्टर डॉ. अंजलि राजोरिया द्वारा मीडिया से संबंधित एक नया आदेश भी जारी किया गया था आदेश के अनुसार जिला प्रशासन से जुड़े किसी भी समाचार, टिप्पणी या तथ्य को प्रकाशित करने से पहले आधिकारिक पुष्टि आवश्यक होगी। हालांकि आदेश जारी होने के बाद जिला कलेक्टर ने इस विषय पर चुप्पी साध ली है। मीडिया द्वारा संपर्क किए जाने पर कलेक्टर ने किसी भी प्रकार का वर्जन देने से इनकार कर दिया, जिससे इस आदेश को लेकर सवाल और बहस तेज हो गई है। स्पष्ट है कि प्रतापगढ़ में कलेक्टर और भाजपा नेताओं के बीच यह संघर्ष अब केवल विकास कार्यों या पत्राचार तक सीमित नहीं रह गया है। यह लड़ाई प्रशासन बनाम जनप्रतिनिधि और नौकरशाही बनाम राजनीति की शक्ल ले चुकी है—जिसके असर आने वाले समय में जिले की सियासत और प्रशासन दोनों पर साफ दिखाई दे सकते हैं।
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