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बरडिया में देव-दानव संग्राम: 90 वर्षीय परंपरा फिर जीवंत
HUHITESH UPADHYAY
Oct 02, 2025 06:32:48
Pratapgarh, Rajasthan
हेडर/हेडलाईन : बरडिया में देव-दानव संग्राम का भव्य मंचन, 90 वर्षों से निभाई जा रही परंपरा
एंकर/इंट्रो : नवरात्रि की नवमी पर प्रतापगढ़ जिले के बरडिया गांव में सदियों पुरानी परंपरा एक बार फिर जीवंत हो उठी।गांववासियों और आसपास के क्षेत्रों से उमड़े श्रद्धालुओं ने देवताओं और दानवों के बीच हुए प्रतीकात्मक युद्ध—देवासुर संग्राम—का साक्षी बने। नीमच रोड स्थित देवनारायण मंदिर परिसर में हुए इस मंचन ने लोगों को पौराणिक काल की झलक दिखा दी। खास बात यह रही कि इस आयोजन के दौरान पूरे गांव में भक्तिभाव, उल्लास और परंपरा का अनोखा संगम दिखाई दिया। बरडिया गांव में नवरात्र की शुरुआत में बोए गए जवारे की शोभायात्रा गांव के प्रमुख मंदिरों से ढोल-नगाड़ों के साथ रवाना होकर देवनारायण मंदिर पहुंची। यहीं देवासुर संग्राम का मंचन किया गया, जिसमें देवताओं और राक्षसों के बीच आधे घंटे तक चले मल्लयुद्ध का प्रदर्शन हुआ। मंचन के अनुसार, महिषासुर नामक राक्षस माता अंबे को मारने के लिए आता है और मां दुर्गा से उसका भयंकर युद्ध होता है। अंततः जब देवी ने महिषासुर का वध करने के लिए प्रहार किया तो राक्षस ने मोक्ष की प्रार्थना की। माता ने उसे वरदान देते हुए कहा कि उसका नाम सदा उनके नाम के साथ अमर रहेगा। इसी कथा के आधार पर बरडिया गांव में मां महिषासुर मर्दिनी देवी का मंदिर स्थापित है और उसी के सामने यह आयोजन वर्षों से होता आ रहा है। बरडिया को मंदिरों का गांव कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यहां पांच प्रमुख मंदिर एक साथ स्थित हैं, जिनमें महिषासुर मर्दिनी देवी मंदिर, बाबा रामदेवजी मंदिर, अंजनी माता के गोद में हनुमान जी का मंदिर, देवनारायण मंदिर और भोलेनाथ का मंदिर शामिल हैं। ग्रामीण बताते हैं कि खाखर देव देवनारायण मंदिर सबसे प्राचीन है और यहां विशेष आस्था जुड़ी हुई है। बाबा रामदेवजी का मंदिर करीब 25 वर्ष पूर्व भादवी बीज के अवसर पर स्थापित किया गया, वहीं हनुमान और अंजनी माता की प्रतिमा 17 वर्ष पूर्व विराजित की गई। संत रमणदास, जिन्होंने बरडिया में महिषासुर मर्दिनी देवी मंदिर की स्थापना की थी, 2017 में देह त्याग कर गए लेकिन उनकी स्मृतियां आज भी ग्रामीणों के हृदय में जीवित हैं。
देवनारायण मंदिर के पुजारी भेरूलाल गुर्जर बताते हैं कि यह परंपरा करीब 90 वर्षों से चली आ रही है। उन्होंने स्वयं 80 वर्षों से इस देवासुर संग्राम को अपनी आंखों से देखा है। उनका कहना है कि यह केवल एक आयोजन नहीं बल्कि सनातन धर्म की जीवंत झांकी है, जिसमें धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष और अंततः धर्म की विजय का संदेश मिलता है।
बरडिया का यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि समाज को एकजुट करने वाला पर्व भी है। नवरात्र के पावन अवसर पर यहां की धरती श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक धरोहर की मिसाल पेश करती है。
बाइट- ग्रामीण
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