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बाड़मेर मेडिकल कॉलेज में 9 करोड़ के कथित घोटाले की जांच शुरू
DSDurag singh Rajpurohit
Oct 27, 2025 10:30:47
Barmer, Rajasthan
बाड़मेर मेडिकल कॉलेज में ₹9 करोड़ का कथित घोटाला — प्रशासन ने शुरू की जांच
बाड़मेर मेडिकल कॉलेज में लगभग ₹9 करोड़ के कथित घोटाले ने जिले के चिकित्सा तंत्र और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला मैनपावर सप्लाई के नाम पर एक निजी एनजीओ के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्तियों से जुड़ा बताया जा रहा है। आरोप है कि कॉलेज में दिखाए गए कई कर्मचारी वास्तव में काम पर नहीं थे या सेवाएँ मानकों के अनुरूप नहीं दी जा रही थीं।
जांच की शुरुआत
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम और आईएएस अधिकारी यथार्थ शेखर के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गई है। टीम ने कॉलेज परिसर में मौजूद रिकॉर्ड रूम और एकाउंट्स ऑफिस को सील कर दस्तावेजों की पड़ताल शुरू कर दी है। यह कार्रवाई जिला कलेक्टर के आदेश पर की गई है। प्रशासन का कहना है कि प्रारम्भिक जांच में वित्तीय अनियमितताओं के संकेत मिले हैं, जिन्हें पुख्ता करने के लिए सभी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं।
विवाद और प्रतिक्रियाएँ
जांच टीम की कार्रवाई के दौरान कॉलेज के कुछ डॉक्टरों और कर्मचारियों ने एसडीएम के रवैये पर आपत्ति जताई। उनका आरोप है कि जांच के दौरान अधिकारियों ने उनसे अभद्र व्यवहार किया। इस संबंध में कई डॉक्टरों ने जिला कलेक्टर टीना डाबी से मुलाकात कर अपनी शिकायत दर्ज करवाई है। सोशल मीडिया पर भी इस घटना के कई वीडियो और पोस्ट वायरल हुए, जिससे मामला और तूल पकड़ गया।
घोटाले की प्रकृति
मैनपावर सप्लाई में यह अनियमितता कथित तौर पर एनजीओ और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से हुई बताई जा रही है। सरकारी रिकॉर्ड में जिन कर्मचारियों को दिखाया गया है, वे या तो काम पर नहीं थे या उनके नाम पर भुगतान हो चुका था। प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार, यह रकम करीब ₹9 करोड़ तक पहुंचती है। यह धनराशि मरीजों की सेवा, सफाई कर्मियों और अस्पताल स्टाफ की वेतन व्यवस्था में गड़बड़ी के रूप में सामने आई है।
प्रशासनिक चुनौतियाँ और संभावनाएँ
इस घोटाले ने यह स्पष्ट किया है कि स्वास्थ्य संस्थानों में मैनपावर ठेकों की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। ठेकेदारों का चयन, भुगतान की प्रक्रिया और वास्तविक कार्य की निगरानी अक्सर लापरवाही का शिकार होती है। जिला प्रशासन अब इस मामले को एक “टेस्ट केस” की तरह देख रहा है ताकि भविष्य में इस तरह के अनुबंधों में सख्ती और जवाबदेही बढ़ाई जा सके。
आगे का रास्ता
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से यह संदेश गया है कि अब सरकारी संस्थानों में गड़बड़ियों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। जांच पूरी होने के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की संभावना है। यह मामला न केवल बाड़मेर के लिए बल्कि पूरे राजस्थान के चिकित्सा संस्थानों के लिए एक सीख साबित हो सकता है कि जनहित से जुड़ी योजनाओं में भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
बाइट: यशार्थ शेखर , IAS, SDM बाड़मेर
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