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पुष्कर मेले का 2025: रंग-संस्कृति और धार्मिक दौरों का महोत्सव शुरू
ADAbhijeet Dave
Oct 24, 2025 13:30:54
Ajmer, Rajasthan
पुष्कर मेला 2025 : रंग, संस्कृति और परंपरा का संगम शुरू, कार्यक्रमों की झलक हुई जारी अजमेर जिले के पुष्कर में विश्व प्रसिद्ध पशु मेला 22 अक्टूबर से औपचारिक रूप से शुरू हो गया है। दीपावली के बाद से ही पशु और पशुपालकों की आवक तेज हो गई है, जिससे तीर्थनगरी में रौनक लौट आई है। पशुपालन विभाग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, 22 अक्टूबर को पशु मेला कार्यालय की स्थापना के साथ मेले का शुभारंभ हुआ। 24 अक्टूबर को नए मेला मैदान सहित शहर के सभी प्रवेश मार्गों पर पशु चौकियों की स्थापना की गई। 30 अक्टूबर को मेला स्टेडियम में ध्वजारोहण समारोह होगा, जो सांस्कृतिक और खेलकूद गतिविधियों की शुरुआत का प्रतीक रहेगा। इसी दिन से "वॉइस ऑफ पुष्कर" जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेल प्रतियोगिताओं की श्रृंखला शुरू होगी। पशु प्रतियोगिताओं में सफेद चिट्टी का आयोजन 30 अक्टूबर और रवन्ना काटा 31 अक्टूबर को होगा। 2 नवंबर को कार्तिक एकादशी स्नान के साथ धार्मिक मेले की शुरुआत होगी, जबकि 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर सरोवर में होने वाले पारंपरिक महास्नान के साथ इसका समापन होगा। इस बार धार्मिक मेला 4 दिनों का रहेगा। जिला कलेक्टर लोकबंधु के अनुसार, 2 से 4 नवंबर तक विकास और गीर प्रदर्शनी के साथ-साथ पशु प्रतियोगिताएं, लोक नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। जिला प्रशासन, पशुपालन विभाग और पर्यटन विभाग की देखरेख में आयोजित यह मेला इस बार 30 अक्टूबर से 5 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान पुष्कर के सरोवर घाटों से लेकर मेला मैदान तक देशी-विदेशी पर्यटकों का सैलाब उमड़ेगा, जो राजस्थान की लोक संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। बाइट -- लोकबंधु, जिला कलेक्टर मेले की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अजमेर पुलिस प्रशासन ने व्यापक तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। इस बार मेले में लगभग दो हज़ार पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे, जो भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। एडिशनल एसपी ग्रामीण, दीपक शर्मा, मेले की सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मेले क्षेत्र में 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निरंतर नजर रखी जाएगी। साथ ही, ट्रैफिक जाम और अतिक्रमण से निपटने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वीआईपी कल्चर को खत्म करने का निर्णय लिया गया है, ताकि सभी आगंतुक समान रूप से कार्यक्रमों का आनंद ले सकें। धार्मिक गतिविधियों और सरोवर क्षेत्र में सुरक्षा के लिए एसडीआरएफ टीम, गौताख़ोर और पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। पुलिस प्रशासन ने कहा कि सुरक्षा के सभी मानकों का पालन करते हुए मेले को शांति और सुव्यवस्था के साथ सम्पन्न किया जाएगा। आम जनता से अपील की गई है कि वे पुलिस और प्रशासन द्वारा दी गई गाइडलाइन्स का पालन करें। बाइट -- दीपक शर्मा, additional SP अजमेर के पुष्कर में आयोजित होने वाला ऐतिहासिक पशु मेला हर साल न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि व्यापारिक दृष्टि से भी देशभर के पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण अवसर बनता जा रहा है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घीया के अनुसार, वर्ष 2024 में कुल 8,366 पशु पुष्कर मेले में पहुंचे थे। इनमें 3,202 ऊंट, 5,016 अश्ववंश, 134 गौवंश और 14 भैंसवंश शामिल थे। इनमें से ऊंट और अश्ववंश की मुख्य रूप से खरीद-फरोख्त हुई, जबकि गौवंश और भैंसवंश प्रदर्शनी और प्रतियोगिताओं के लिए लाए गए थे।2024 के मेला आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान 274 ऊंटों की बिक्री हुई, जिनसे 76 लाख 10 हजार रुपए का कारोबार हुआ। वहीं, 1,157 अश्ववंश पशुओं की बिक्री से 10 करोड़ 29 लाख 73 हजार 625 रुपए का सौदा हुआ। कुल मिलाकर मेले में 11 करोड़ 5 लाख 83 हजार रुपए का व्यापार दर्ज किया गया। सबसे महंगी बिक्री में ऊंट 37,500 रुपए में बिका, जबकि पंजाबी नुकरी नस्ल की एक घोड़ी 4 लाख 30 हजार रुपए में खरीदी गई। इस वर्ष 2025 के पुष्कर पशु मेले में पशुपालन विभाग को उम्मीद है कि पशुओं की आवक पिछले वर्ष की तुलना में अधिक होगी। दीपोत्सव के बाद से ही ऊंटों और घोड़ों के जत्थे राजस्थान के विभिन्न इलाकों से पुष्कर की ओर रवाना हो चुके हैं। यदि पिछले 25 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि ऊंट और घोड़ों की संख्या में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। वर्ष 2001 में 15,460 ऊंट और1,923 घोड़े आए थे, जबकि वर्ष 2024 में ऊंटों की संख्या घटकर 3,202 और घोड़ों की 5,016 रही। वर्ष 2010 में 5,339 घोड़ों की सबसे अधिक आवक दर्ज की गई थी, वहीं ऊंटों की सबसे अधिक संख्या 2004 में 15,499 रही थी। बीते कुछ वर्षों में ऊंटों की संख्या में गिरावट का कारण सीमित व्यापारिक मांग, परिवहन प्रतिबंध और पशु रोग (जैसे लंपी और ग्लैंडर) रहे हैं। 2022 में लंपी रोग के चलते पशुओं की आवक लगभग शून्य रही थी। वहीं, 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते मेला आयोजित ही नहीं हुआ था। पशुपालन विभाग के अनुसार, 2025 में ऊंट व्यापार को पुनर्जीवित करने और अश्व नस्लों के प्रदर्शन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। पशुपालक भी उम्मीद जता रहे हैं कि इस बार मेले में ऊंटों और घोड़ों की बिक्री का कारोबार पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम 20 प्रतिशत अधिक रहेगा। बाइट -- सुनील घीया, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग प्रमोद पाराशर,पशु व्यापारी वही पुष्कर मेले में इस बार कई अनोखे रंग देखने को मिल रहे हैं । पुष्कर मेले के मौके पर पुष्कर के रेतीले धोरों में लोकदेवता तेजाजी महाराज की भव्य सैंड आर्ट तैयार की गई है। प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट अजय रावत ने करीब 1 लाख टन बालू मिट्टी का उपयोग कर गौषक और लोक देवता वीर तेजाजी महाराज की शानदार कलाकृति बनाई। अजय रावत ने बताया कि इस कलाकृति को बनाने की तैयारी उन्होंने मेले से लगभग एक माह पूर्व ही शुरू कर दी थी। पूरी कलाकृति में उनके अद्वितीय शिल्प कौशल और कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस सैंड आर्ट को तैयार करने में उन्हें करीब एक महीने का समय लगा।पुष्कर मेले में आगंतुक इस अनूठी कलाकृति का नजारा देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। अजय रावत की इस कला ने न केवल मेले के आकर्षण को बढ़ाया है, बल्कि लोक देवता वीर तेजाजी महाराज के प्रति श्रद्धा और सम्मान को भी दर्शाया है। इस भव्य सैंड आर्ट की वजह से अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेला अब और भी अधिक कला और संस्कृति प्रेमियों के लिए आकर्षक बन गया है। बाइट -- अजय रावत,सेंड आर्टिस्ट वियो -- विश्वप्रसिद्ध पुष्कर मेला हर वर्ष हजारों विदेशी और लाखों देशी पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन इस बार 2025 के अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले की शुरुआत के बावजूद पर्यटकों की रफ्तार सुस्त दिखाई दे रही है। पुष्कर कस्बे के होटल और रिसॉर्ट व्यवसायी, जो आमतौर पर मेले से कई दिन पहले तक ‘हाउसफुल’ का बोर्ड टांग देते थे, उस बार बुकिंग के खाली रहने से चिंतित हैं। होटल संचालकों का कहना है कि आम तौर पर अक्टूबर के मध्य तक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर लगभग सभी होटल, होमस्टे और रिसॉर्ट अग्रिम बुक हो जाते थे, लेकिन इस बार 20 से 25 प्रतिशत कमरे अभी भी खाली हैं। कुछ कारोबारी इस गिरावट का कारण ऊंटों की संख्या में कमी और मेले के पारंपरिक आकर्षण में आई गिरावट को मानते हैं, तो कुछ इसे वैश्विक आर्थिक मंदी, रूस-यूक्रेन और मध्यपूर्व युद्ध तथा बढ़ती हवाई किराए और महंगाई से जोड़ रहे हैं। यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि पुष्कर मेला अब भी देशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, लेकिन विदेशी पर्यटकों की संख्या में बीते कुछ वर्षों से गिरावट आई है। 2024 में विदेशी पर्यटकों की संख्या में हल्की बढ़ोतरी जरूर दर्ज की गई थी, लेकिन 2018–19 के स्वर्णकाल की तुलना में यह अब भी लगभग 30 से 40 प्रतिशत कम है। वहीं, घरेलू पर्यटक संख्या ने स्थिरता बनाए रखी है और 2024 में यह 6 लाख के आंकड़े को पार कर गई थी। होटल संचालकों के अनुसार “विदेशी सैलानियों की संख्या में कमी का सीधा असर मिड-रेंज और लग्जरी होटल व्यवसाय पर पड़ रहा है। वहीं, भारतीय पर्यटक ज्यादातर एक या दो दिन के लिए आते हैं और बजट आवास को प्राथमिकता देते हैं।” हालांकि होटल व्यवसायियों की नजर अब नवंबर के पहले सप्ताह पर टिकी है, जब पारंपरिक रूप से विदेशी पर्यटक पुष्कर सरोवर और ऊंट मेले का अनुभव लेने पहुंचते हैं। फिलहाल 2025 का पुष्कर मेला मेजबानों की उम्मीदों और पर्यटकों की प्राथमिकताओं के बीच एक नए संतुलन की तलाश में है। बाइट -- पवन कुमार, होटल व्यवसाई
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ASAshok Singh Shekhawat
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