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राम मंदिर में टाइटेनियम खिड़कियों का अनोखा प्रयोग, जानें कैसे!
Ayodhya, Uttar Pradesh
Anchor - राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र निर्माण समिति की बैठक में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचे हैं। बैठक के पहले दिन शामिल होने की पूर्व सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होने कहा की मंदिर और परकोटा जिसमें 14 लाख क्यूबिक फीट बंसी पहाड़पुर का पत्थर लगना था उसमें 13 लाख क्यूबिक फीट पत्थर लग चुका है। अब केवल एक लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगना बाकी है। मंदिर के लोअर प्लिंथ राम कथा जिसकी कुल लंबाई लगभग 800 फिट है जिसमें 500 फीट पत्थर पर म्यूरल बन चुके हैं। परकोटा में ब्रांज के लगने वाले 80 म्यूरल में 45 म्यूरल लग चुके हैं। नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी मंदिर में लगने वाले खिड़की में टाइटेनियम धातु का इस्तेमाल किया जा रहा है। भूतल प्रथम तल द्वितीय तल में जो खिड़कियां लग रही है उनमें टाइटेनियम की जाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो अपने में अनोखी है। टाइटेनियम की लाइफ 1000 वर्ष से ऊपर होती है। तीनों जगह पर 32 जाली लगाई जा रही है। टाइटेनियम की एक जाली लगाकर उसका अनुभव कर लिया गया है वह कसौटी पर खरी उतरी है। उसी के अनुसार अब बाकी जालियां लगाई जा रही है। उम्मीद है कि 15 अगस्त के पहले पहले सभी जालियां लग जाएगी। राम मंदिर निर्माण को लेकर नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि उम्मीद है कि जुलाई के अंत तक सभी निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएंगे। अस्थाई मंदिर में विराजमान राम लला के मंदिर को लेकर नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि अस्थाई मंदिर को भी संरक्षित किया जाएगा। उसे टीक वुड पर बनाया जाएगा और ऐसे ग्लास से कवर किया जाएगा जो सभी मौसम के प्रति अनुकूल होगा। श्रद्धालु जान सकेंगे की राम लला अस्थाई मंदिर से अपने स्थाई मंदिर में कैसे पहुंचे हैं।
Byte - नृपेंद्र मिश्र,चेयरमैन राम मंदिर निर्माण समिति
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