Back
फर्रुखाबाद में प्रीमेच्योर डिलीवरी का आंकड़ा बढ़ रहा है, जानें कारण!
ASARUN SINGH
FollowJul 16, 2025 02:02:02
Farrukhabad, Uttar Pradesh
फर्रुखाबाद
अरुण सिंह
पिछले 3 महीने में 187 प्रीमेच्योर डिलीवरी डिलीवरी
प्रीमेच्योर डिलीवरी का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा
स्वास्थ्य की बेहतर सेवाओं के बावजूद भी बच्चा और जच्चा कमजोर
अप्रैल में 61 तो मैं मई 47 और जून में 77 हुई प्रि मेच्योर डिलीवरी
अभी भी लोग कुंठित मानसिकता के शिकार पंडित से देख कर करते हैं जन्म
प्रदूषण खराब खान पान और हमारे धार्मिक शास्त्र भी इसके जिम्मेदार
पंडित जी बताते हैं दिन गृह और होता है बच्चे का प्रीमेच्योर जन्म
वातावरण में फैला प्रदूषण तो कहीं बीमारी भी इसका कारण
पंडित की सलाह पर भी बच्चों को जन्म देने का ट्रेंड शुरू
पंडित बताते हैं दिन ग्रह और डॉक्टर करते हैं ऑपरेशन यानी की जन्म से पहले ही बच्चों के ग्रह और कुंडली देखने का होता है योग
फर्रुखाबाद 9 माह में बच्चों का प्राकृतिक जन्म होता है लेकिन अब यह आंकड़ा घटता जा रहा है कारण कई है जैसे वातावरण, प्रदूषण,ग्रह,माँ का कुपोषण,
उत्तर प्रदेश में प्री-मैच्योर डिलीवरी के आंकड़े
2024-25 की स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बच्चों की मृत्यु दर बड़ रही है , जिसमें प्रमुख कारणों में प्री-मैच्योर डिलीवरी (35%) शामिल है।
2025 के स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 13% बच्चे प्री-मैच्योर (समय से पहले) जन्म लेते हैं।
2019-2022 के आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में प्री-मैच्योर डिलीवरी की दर में गिरावट आई है; 2019-20 में 23.18%, 2020-21 में 16.81%, और 2021-22 में 10.75% रही।
राष्ट्रीय औसत के अनुसार, 2022-23 में भारत में 4.1% बच्चे प्री-मैच्योर (<37 सप्ताह) जन्मे।
फर्रुखाबाद में प्री-मैच्योर डिलीवरी के आंकड़े 2017 में फर्रुखाबाद के जिला अस्पताल में एक महीने में 49 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई थी, जिनमें से 19 डिलीवरी के समय (stillbirths) और 30 नवजात यूनिट में हुई। इनमें से कई मामलों में प्री-मैच्योर डिलीवरी और perinatal asphyxia (जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी) को कारण माना गया। फर्रुखाबाद में प्री-मैच्योर बच्चों के लिए NICU (Neonatal Intensive Care Unit) की सुविधा उपलब्ध है, जहाँ ऐसे बच्चों का इलाज किया जाता है।
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में स्वास्थ्य जोखिम इसलिए बढ़ जाते हैं क्योंकि उनके शरीर के कई अंग पूरी तरह विकसित नहीं होते हैं। इससे निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:
फेफड़ों का अविकसित होना: सांस लेने में परेशानी, श्वसन संकट सिंड्रोम (RDS) जैसी स्थितियां हो सकती हैं।
हृदय संबंधी समस्याएं: पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (PDA) और निम्न रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है।
मस्तिष्क का अधूरा विकास: दिमाग में रक्तस्राव (इंट्रावेंट्रिकुलर हैमरेज), सांस लेने और दूध पीने में समन्वय की समस्या, और आगे चलकर बौद्धिक या मोटर विकास में देरी हो सकती है।
तापमान नियंत्रण में कठिनाई: कम वसा के कारण शरीर का तापमान बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
पाचन तंत्र की समस्याएं: नेक्रोटाइजिंग एंटेरोकोलाइटिस (NEC) जैसी गंभीर आंतों की बीमारी का खतरा रहता है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।
बाइट--पंडित राम प्रकाश तिवारी ज्योतिष विशेषज्ञ
बाइट-- डॉ प्रमोद कुमार सीएमएस लोहिया जिला हॉस्पिटल
बाइट-- डॉ अमरेंद्र कुमार मुख्य चिकित्सा अधिकारी
14
Report
हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|
Advertisement