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सुकमा में 20 साल बाद फिर से खुला राम मंदिर, श्रद्धा की लहर!
Sukma, Chhattisgarh
सुकमा-
रिपोर्टर - अमन भदौरिया
एंकर- जहां एक ओर सरकार और सुरक्षाबल छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त करने की दिशा में बढ़ रहे हैं ,वहीं सुकमा जैसे संवेदनशील इलाकों से बदलाव की बयार की सकारात्मक तस्वीरें निकलकर आ रही है । सुकमा ज़िले का अति संवेदनशील इलाका केरलापेंदा, जहां एक 70 साल पुराना राम मंदिर नक्सली भय के चलते 20 सालों तक बंद रहा आज फिर से श्रद्धा का केंद्र बन चुका है। ये वही मंदिर है, जहां हर शाम भक्ति की गूंज सुनाई देती है, और स्थानीय आदिवासी राम नाम में लीन होकर भजन कीर्तन करते हैं।
विओ
" यह दृश्य आज से कुछ साल पहले तक संभव नहीं था। साल 2006 में जब सलवा जुडुम अभियान के दौरान नक्सलियों ने इस मंदिर को बंद करने का फरमान सुनाया था, तो पूरे गांव पर भय का साया छा गया था। ग्रामीणों को पूजा-पाठ से दूर कर दिया गया, और करीब 20 साल तक इस मंदिर के दरवाज़े ताले में जकड़े रहे। आस्था थी, लेकिन डर उससे बड़ा था।"
"बदलाव तब आया जब केरलापेंदा में सीआरपीएफ का कैंप स्थापित हुआ। जवानों ने ग्रामीणों की बात सुनी, मंदिर का ताला खुलवाया और खुद मंदिर की साफ-सफाई और मरम्मत करवाई। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं खुला बल्कि लोगों का मनोबल, विश्वास और सामूहिक हिम्मत भी फिर से जाग उठी।"
"आज यह गांव नक्सलमुक्त घोषित हो चुका है। यहां का कोई भी व्यक्ति अब नक्सली संगठनों से नहीं जुड़ा है। हर शाम राम मंदिर में जलता दीया, भक्ति की गूंज, और निर्भय होकर गूंजते भजन यह दर्शाता है कि अगर सुरक्षा और भरोसा साथ हों, तो आस्था दोबारा लौट आती है, डर की जगह उम्मीद ले लेती है।"
वीडियो-
बाईट - भीमसेन वेट्टी ,सरपंच केरलापेंदा
बाईट - हेमला मुक़ा ग्रामीण
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