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Pratapgarh312605

प्रतापगढ़: जेल परिसर में मोरों की मधुर आवाज़ का जादू!

HITESH UPADHYAY
Jun 27, 2025 07:35:08
Pratapgarh, Rajasthan
Slug : 2706ZRJ_PRTP_PEACOCK_R जिला : प्रतापगढ़ विधानसभा : प्रतापगढ़ खबर की लोकेशन : प्रतापगढ़ जिला संवादाता : हितेष उपाध्याय, 9079154796 हेडर/हेडलाईन : जीवदया और जैव विविधता का अद्भुत संगम बना प्रतापगढ़ का जेल व थाना परिसर एंकर/इंट्रो : जब शहरीकरण के दबाव में जंगल सिमट रहे हों और पशु-पक्षियों का प्राकृतिक वास उजड़ता जा रहा हो, तब प्रतापगढ़ का जेल व थाना परिसर जैव विविधता के संरक्षण की एक प्रेरणादायक मिसाल पेश करता है। यहां हर सुबह मोरों की मधुर आवाज और गिलहरियों की चहलकदमी से प्रकृति जीवंत होती है। यह स्थान सिर्फ एक प्रशासनिक परिसर नहीं, बल्कि जीवों और मानव के सह-अस्तित्व का दुर्लभ उदाहरण बन गया है। देखे यह खबर... प्रतापगढ़ शहर का जीरो माइल चौराहा स्थित थाना परिसर और उससे सटा जेल परिसर जैव विविधता और जीवदया के संरक्षण का प्रेरक उदाहरण बनकर उभर रहा है। यहां का शांत, हरा-भरा वातावरण न केवल मानव के लिए बल्कि दर्जनों जीव-जंतुओं के लिए भी एक सुरक्षित प्राकृतिक आश्रयस्थल बना हुआ है। यह परिसर बरसाती नाले, घने वृक्षों और खुले मैदानों से घिरा हुआ है, जो विशेष रूप से राष्ट्रीय पक्षी मोर, गिलहरी, चिड़िया, कबूतर, कौवा और दुर्लभ हॉर्नबिल जैसे पक्षियों के लिए अनुकूल आवास प्रदान करता है। यहां के मोर अब सिर्फ पक्षी नहीं रहे, वे यहां के लोगों के परिवार का हिस्सा बन चुके हैं। वे सुबह-शाम निश्चित समय पर दाना चुगने आते हैं और परिसर में निर्भय विचरण करते हैं। बाईट- किशनचंद मीणा, जिला जेल अधीक्षक इस परिसर में निवास करने वाले पुलिसकर्मी और उनके परिवारजन जीवों के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैं। महिलाएं और बच्चे रोजाना मोरों व अन्य पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करते हैं। जिनके घर की देहरी पर मोर रोज आते हैं। वहीं बच्चे सुबह-सुबह छतों पर जाकर बाजरा, मक्का आदि डालते हैं। बाईट- श्यामलाल मीणा, एएसआई दिनभर मोरों की मधुर पीहू-पीहू और अन्य पक्षियों के कलरव से यह परिसर एक प्राकृतिक संगीत स्थल जैसा अनुभव कराता है। जेल के पीछे बहता बरसाती नाला भी जीवों का महत्त्वपूर्ण आश्रयस्थल बना हुआ है। स्थानीय निवासी व कर्मचारी इस स्थल को संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने की मांग कर रहे हैं। यह परिसर न केवल जीवों का घर है, बल्कि विद्यार्थियों के लिए भी प्राकृतिक ज्ञान का जीवंत उदाहरण है। यहां बच्चों को किताबों से परे, प्रकृति को निकट से देखने, समझने और अनुभव करने का अवसर मिलता है। प्रतापगढ़ का यह छोटा सा क्षेत्र यह संदेश देता है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो मनुष्य और प्रकृति का सहअस्तित्व पूरी संवेदनशीलता से संभव है। जीवंत जैव विविधता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है, बशर्ते इसे संरक्षित किया जाए।
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