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क्या हाथी की मौत के पीछे है वन विभाग की लापरवाही?
Chaibasa, Jharkhand
दो राज्य की वन विभाग और वनतारा की टीम भी घायल हाथी को नहीं बचा पाई, ईलाज के दौरान हाथी की सारंडा में मौत, लोग उठा रहे वन विभाग के ईलाज पर सवाल
ANCHOR READ:- नक्सली विस्फोट में घायल हाथी की सारंडा जंगल में बीती रात ईलाज के दौरान मौत हो गयी. हाथी के मौत की खबर से पूरे सारंडा में शोक की लार दौड़ गयी है. 10 दिनों तक घायल हाथी जंगल में घूमता रहा. लेकिन जब 11 वें दिन उसका ईलाज शुरू हुआ तो कुछ ही घंटों में हाथी ने दम तोड़ दिया. हाथी के शव को फिलहाल सारंडा जंगल से बाहर निकालकर जरायकेला समता वन विभाग के कार्यालय ले जाया गया है. यहाँ हाथी का पोस्टमार्टम के बाद उसके शव को दफनाया जायेगा.
मालूम रहे कि शनिवार को ओडिशा और झारखण्ड वन विभाग के टीम के साथ साथ गुजरात की वनतारा टीम के द्वारा हाथी के रेस्क्यू का अभियान चलाया गया था. इसके बाद हाथी को औषधीय तीर मारकर ट्रैंक्यूलाइज कर बेहोश किया गया था. ताकि उसका ईलाज किया जा सके. लेकिन रात में ही हाथी की ईलाज के दौरान मौत हो गयी.
हाथी के मौत के बाद अब लोग वन विभाग के रेस्क्यू ऑपरेशन और ईलाज पर ही सवाल खड़े करने लगे हैं. लोगों का कहना है कि 10 दिन तक हाथी घायल होने के बावजूद ठीक था. वह पूरी फुर्ती के साथ अपने तीन पैरों में भी तेजी से दौड़ रहा था. लेकिन हाथी को ट्रैंक्यूलाइज कर बेहोश करने की प्रक्रिया के बाद हाथी दोबारा उठा नहीं. लोगों ने आशंका जाहिर की है की रेस्क्यू ऑपरेशन और ईलाज में ही विभाग के द्वारा लापरवाही बरती गयी होगी. जिसके कारण हाथी ने ईलाज के क्रम में दम तोड़ा है.
बता दें की हाथी को ट्रैंक्यूलाइज कर बेहोश करने के लिए विभाग के द्वारा हाथी को दो इंजेक्शन मारे गए थे. आशंका जाहिर की जा रही है कि हाथी को बेहोशी की ओवरडोज दवा दिए जाने से हाथी कोमा में चला गया और वह दोबारा उठ नहीं पाया होगा. बहरहाल अब यह पूरा मामला जांच का विषय है. लेकिन जिस तरह से हाथी की मौत की खबर आई है उससे सारंडा के ग्रामीण वन विभाग पर नाराज भी हैं और हाथी की मौत से दुखी भी. सारंडा के ग्रामीणों ने हाथी की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग कर कार्रवाई की मांग की है.
बता दें की कि यह हाथी 27 जून को पहली बार घायल अवस्था में देखा गया था. बताया जा रहा था कि हाथी नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आईईडी विस्फोट की चपेट में आ गया था, जिससे उसका पिछला बायां पैर गंभीर रूप से घायल हो गया था. विस्फोट के कारण हाथी के पैर के चीथड़े उड़ गए थे. सूजन और दर्द में तड़पता हुआ हाथी 10 दिनों से जंगल में घूम रहा था. जिसके बाद उसे बचाने और उसका ईलाज करने के लिए शनिवार को वन विभाग और वनतारा की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था. लेकिन अफ़सोस इस ऑपरेशन में ही हाथी की मौत हो गयी.
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