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15 साल बाद न्याय की उम्मीद, परिजन बोले – अब भगवान से है आस!
Jaunpur, Uttar Pradesh
न्याय न मिलने पर बिलख पड़े परिजन, बोले – अब भगवान की अदालत से ही उम्मीद है
जौनपुर केराकत।बेलाव घाट दोहरे हत्याकांड मामले में 15 साल बाद आया अदालत का फैसला पीड़ित परिवारों के जख्मों पर नमक जैसा साबित हुआ। गुरुवार को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में पूर्व सांसद धनंजय सिंह, आशुतोष सिंह, पुनीत सिंह सहित सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया। जैसे ही फैसले की खबर मृतक संजय निषाद के परिजनों को मिली, कोर्ट परिसर में कोहराम मच गया।
"हमें इंसाफ नहीं मिला... अब भगवान से ही उम्मीद है,"– कहते हुए संजय के पिता राजेंद्र प्रसाद कोर्ट में फूट-फूट कर रो पड़े। उन्होंने कहा, "ईश्वर के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं।"
15 साल पहले हुई थी दोहरी हत्या
घटना 1 अप्रैल 2010 की सुबह करीब 5 बजे की है, जब ठेकेदारी के विवाद को लेकर बेलाव घाट पर संजय निषाद और नंदलाल निषाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। परिजन दोनों को घायलावस्था में इलाज के लिए बनारस ले जा रहे थे, लेकिन चंदवक के पास ही दोनों ने दम तोड़ दिया था। इस दर्दनाक घटना ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया था।
संजय की मौत से उजड़ गया घर
संजय निषाद अपने छह भाइयों में सबसे छोटे और होनहार थे। महज 29 साल की उम्र में उन्होंने ठेकेदारी में बड़ा नाम कमा लिया था। उनकी तरक्की से कुछ लोगों में ईर्ष्या भी थी। हत्या के बाद उनके सभी ठेके बंद हो गए। परिजन अधिकारियों के दबाव में लगभग 25 लाख रुपये खुद खर्च करके काम चलाते रहे, जिससे आर्थिक स्थिति चरमरा गई। छह साल बाद उनके पिता अभयराज की भी मौत हो गई, जिससे परिवार पूरी तरह टूट गया।
फैसले से निराश, पर ईश्वर से उम्मीद बाकी
अदालत के फैसले से न केवल संजय के परिवार, बल्कि नंदलाल निषाद के परिजन भी टूट गए हैं। उनका बेटा आजीविका के लिए प्रदेश से बाहर मजदूरी करने को मजबूर है। परिजन कहते हैं कि उन्हें कानून से नहीं, अब ऊपर वाले से इंसाफ की उम्मीद है।
15 साल तक न्याय की आस में जले इन परिवारों के लिए यह फैसला केवल कानूनी नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी गहरा झटका है। अब उनकी आखिरी उम्मीद भगवान की अदालत से है – जहां न गवाहों की जरूरत होती है और न सबूतों की।
अधिवक्ता उमेश शुक्ला ने बताया कि जांच एजेंसी ने धनंजय सिंह समेत चार लोगों पर चार्ज फ्रेम किए थे. लेकिन न्यायालय में इन चारों लोगों पर घटना में सम्मिलित होने जैसा कोई भी साक्ष्य नहीं मिला. न्यायालय ने इन चारों लोगों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया.
शुक्ला ने कहा कि यह जांच एजेंसियों का काम था कि वह यह पता करती कि आखिर में डबल मर्डर किसने किया था. धनंजय सिंह समेत चार लोगों को पॉलिटिकल इंप्लिकेट किया गया था.
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