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जमुई में डॉ. आशा लकड़ा की बैठक: आदिवासी शिक्षा पर गंभीर चर्चा!
Jamui, Bihar
जमुई राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, भारत सरकार की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा गुरुवार को जमुई पहुंचीं। उनके साथ आयोग के रिसर्च अधिकारी एच.आर. मीणा एवं इन्वेस्टिगेटर सार्थक भी मौजूद थे। उन्होंने जिले के संवाद कक्ष में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जिले में अनुसूचित जनजातियों की स्थिति, शिक्षा व्यवस्था और आधारभूत संरचना पर विस्तार से चर्चा की। प्रेस वार्ता में डॉ. लकड़ा ने बताया कि वे दो दिनों से बिहार दौरे पर हैं। 2 जून को वे बांका में थीं और 3 जून को जमुई पहुंचीं। उन्होंने कहा कि आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 (क) के तहत गठित है और इसका कार्य जनजातीय समाज के हितों की रक्षा करना है। इसी उद्देश्य से टीम बनाकर विभिन्न क्षेत्रों का रिव्यू किया जा रहा है। डॉ. लकड़ा ने कहा कि जमुई के कई आदिवासी बहुल इलाकों में शिक्षा व्यवस्था बेहद दयनीय स्थिति में है। कई गांव ऐसे हैं जो नदी के पार हैं, जहां तक प्राथमिक विद्यालय भी नहीं पहुंच सके हैं। उन्होंने कहा कि कुछ गांवों में एक ही भवन में दो स्कूल चल रहे हैं, लेकिन न भवन की संरचना उचित है और न ही बच्चों के बैठने की व्यवस्था या अन्य मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया है कि ऐसे विद्यालयों के लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजें ताकि आयोग उन्हें राज्य सरकार को भेज सके और समीक्षा बैठक में यह मुद्दा प्रभावी ढंग से रखा जा सके। उन्होंने शिक्षकों के प्रशिक्षण और बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए नियमित कार्यक्रम चलाने के निर्देश भी दिए।
ग्रामीणों की शिकायत पर उन्होंने यह भी बताया कि कई शिक्षक विद्यालय तो आते हैं, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं देते। केवल उपस्थिति दर्ज कर खानापूर्ति की जाती है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर डीएम श्री नवीन गंभीर हैं और समाधान के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
डॉ. लकड़ा ने बताया कि जिला मुख्यालय में स्थित एससी-एसटी छात्रावास में अब केवल एससी वर्ग के छात्र रह पा रहे हैं जबकि पहले दोनों वर्ग के छात्र रहते थे। उन्होंने 300 बेड के नए छात्रावास की आवश्यकता जताते हुए प्रस्ताव भेजने की बात कही। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एक समावेशी हॉस्टल बनाया जाए जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी और सामान्य वर्ग के छात्र एक साथ रहकर पढ़ाई कर सकें।उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा प्रखंड स्तर पर एकलव्य मॉडल विद्यालय की स्वीकृति मिल चुकी है और उन्होंने संबंधित विभाग को शीघ्र प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है ताकि कार्य प्रारंभ किया जा सके। डॉ. लकड़ा ने आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कई गांवों में आज भी आंगनबाड़ी केंद्र नहीं हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग को इस संबंध में जानकारी दे दी गई है और सूची भी उपलब्ध कराई गई है। झाझा स्थित एक हॉस्टल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वहां छात्र स्वयं गौस (ईंधन) जुटाकर भोजन बनाते हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने छात्रावासों की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही। प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने प्रखंड और अंचल कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि नियमित रूप से निरीक्षण कर ग्रामीणों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्या का समाधान करें।
बाइट....डॉ.आशा लकड़ा,राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग,भारत सरकार की सदस्य
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