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गांव में जर्जर ट्रॉली और गुलदार का खौफ, ग्रामीण कैद!
Uttarkashi, Uttarakhand
स्लग ग्रामीण गांव में कैद जर्जर ट्रॉली का खतरा तो दूसरी गुलदार का डर
रिपोर्ट-हेमकांत नौटियाल उत्तरकाशी
एंकर-उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से लगे स्यूंणा गांव के ग्रामीणों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ग्रामीण एक ओर जहां सिस्टम की उपेक्षा का दंश लंबे समय से झेल रहे हैं। वहीं अब प्रकृति भी ग्रामीणों की परीक्षा ले रही है। गांव को जोड़ने के लिए भागीरथी नदी के ऊपर लगी जर्जर ट्राली से जहां वर्तमान में भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ने के चलते दुर्घटना का खतरा है। वहीं, अब तेखला पुल से लगे जंगल से आवाजाही में ग्रामीणों को गुलदार का डर सता रहा है। ऐसे में ग्रामीण गांव में ही कैद हो कर रह गये हैं।।
वी ओ-भटवाड़ी विकास खंड का स्यूंणा गांव जिला मुख्यालय से करीब चार किमी दूरी पर है। इस गांव में करीब 35 से अधिक परिवार लंबे समय से गांव को सड़क या पुल से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। लेकिन दोनों में से कोई मांग पूरी नहीं हो पायी है, जिसके चलते ग्रामीण आवाजाही का संकट झेलने को मजबूर हैं। एक और उफनती भागीरथी नदी है तो दूसरी ओर घना जंगल जहां आजकल गुलदार की चहलकदमी देखी जा रही है। स्कूली बच्चों सहित अकेली महिला के लिए ट्राली का रस्सा खींच पाना आसान नहीं है। इसके साथ ही ट्राली का रस्सा फंसने से कई बार इसके पलटने का भी खतरा बना रहता है। इस कारण ग्रामीण गांव से लगे जंगल से आवाजाही करते हुए तेखला पुल पहुंचते हैं और फिर यहां से जनपद मुख्यालय। लेकिन पिछले करीब एक-दो माह से तेखला पुल से लगे जंगल में एक मादा गुलदार अपने कुछ शावकों के साथ दिखाई दे रही है। इसके कारण ग्रामीणों में वन क्षेत्र से आवाजाही करने में भय का माहौल बना हुआ है। यहां दिन के समय भी मादा गुलदार अपने दो शावकों के साथ नजर आ चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि एक और ट्रॉली का खतरा दूसरी और गुलदार के डर के कारण ग्रामीण गांव में ही कैद होकर रह गये हैं।
बाइट-ग्रामीण
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