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कोटा की आदिवासी बालिकाएं बनीं डॉक्टर, माता-पिता के सपने साकार!
Kota, Rajasthan
कोटा.
एंकर....डॉक्टर्स और इंजीनियर बनने की फैक्ट्री कहे जाने वाले कोटा में राजकीय जनजाति बालिका बहुउद्देशीय छात्रावास में पढ़ने वाली सुदूर ग्रामीण अंचल की आदिवासी बालिकाएं अब डॉक्टर बनकर माता पिता के सपने को साकार करेगी,,
इन बालिकाओं के सपने को पंख लगाने के लिए सरकार की योजनाएं व निशुल्क छात्रावास वरदान साबित हुआ है,,,
कोटा के इस माडा छात्रावास में पढ़ने वाली 20 से अधिक आदिवासी बालिकाएं अब डॉक्टर बनने जा रही है,, कोटा ग्रामीण ,भीलवाड़ा, टोंक, उदयपुर, प्रतापगढ़ और बांसवाड़ा जिले कि यह सुदूर ग्रामीण अंचल की आदिवासी परिवारों की इन बेटियों
स्कूल जाने तक के लिए संघर्ष भरा रास्ता तय किया और अब इस मुकाम पर पहुंची की यह परिवार और गांव की पहली डॉक्टर बनने जा रही है,,
यह ज्यादातर बेटियां ऐसी है जिनको स्कूल जाने के लिए खेतों की पगडंडियों के साथ नदी, झील और पथरीला रास्तों का का सामना करना पड़ा ,,
प्रतिदिन यह करीब 10 किलोमीटर तक का सफर तय कर स्कूल पहुंचा करती थी,,, गांव और ढाणियों की पगडंडियों से निकली इन बालिकाओं ने नीट के रिजल्ट में अच्छे अंक लाकर अपने परिवार और गांव का नाम भी रोशन किया,, और यह साबित कर दिया कि कठिन मेहनत और दृढ़ निश्चय से हर कोई अपनी मंजिल पा सकता है,,
अशिक्षित होने के साथ खेतीबाड़ी और मजदूरी करने वाले ज्यादातर बालिकाओं के माता- पिता इस खुशी से फुले नही समा रहे है,,, बांसवाड़ा की धामिष्ठा मीणा,इशिता,लीलावती, वह खुशबू सहित 20 से अधिक बालिकाएं हैं जो डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने जा रही है,,
हॉस्टल अधीक्षक बबीता जाखड ने बताया कि यहां सरकार की अनुप्रति योजना का लाभ लेने वाली छात्राएं इस छात्रावास में पढ़ती है,,
वर्तमान में छात्रावास में अभी तक 75 छात्राओं ने प्रवेश लिया है।
Bite1 लीलावती,प्रतापगढ़ जिला
Bite 2,धनिष्ठा मीणा,बांसवाड़ा जिला
Bite 3,दिव्या मीणा,बारां जिला
Bite 4,इशिता मीणा
Bite 5,बबीता जाखड़,अधीक्षक छात्रावास
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