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फर्रुखाबाद में आस्था पर करोड़ों का डाका, अधिकारी भी शामिल!
Farrukhabad, Uttar Pradesh
फर्रुखाबाद
अरुण सिंह
आस्था पर करोड़ो का डाका
जानकर अधिकारी भी इस घोटाले में शामिल
जांच में मेला व्यवस्थापक को हटाया पर जांच में फसे अधिकारियों को बचाने का खेल
अधिकारी दोषी अधिकारियों को बचाने में लगे
रामनगरिया मेला करोड़ों का खेल नगद, नियम दरकिनार कर होते रहे भुगतान
न आडटि, न वाउचर एकल हस्ताक्षर से कटते रहे चेक
पीसीएस सचिव और बिना पद के व्यवस्थापक पर चुप्पी
फर्रुखाबाद गंगा तट पर लगने वाला रामनगरिया मेला श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, लेकिन इसकी आड़ में वित्तीय अनियमितताओं का अघोषित खेल सालों से जारी है। डीएम के आदेश पर मुख्य विकास अधिकारी द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट ने मेला समिति के बहीखातों की पोल खोल दी है। बीते छह वर्षों में करीब 9.17 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसमें अधिकांश भुगतान नगद कर दिया गया। हद तो यह कि मेला अधिकारी पद पर तैनात रहे पीसीएस अधिकारियों ने आडिट तक कराना मुनासिब नहीं समझा। काफी भुगतानों के तो वाउचर तक उपलब्ध नहीं हैं। हद तो यह एकल हस्ताक्षर से ही चेकों से धनराशि निकाली जाती रही।
मेला रामनगरिया आयोजन समिति एक पंजीकृत संस्था है। इसके सचिव पर हमेशा नगर मजिस्ट्रेट या एडीएम स्तर के वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी की तैनाती रहती है। इसके बावजूद समिति के बाइलाज की आड़ में नियमों की खुली अनदेखी चलती रही। चेक सिर्फ सचिव के हस्ताक्षर से जारी होते रहे, जबकि नियम कोषाधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर का था। वहीं, इस पूरी प्रक्रिया में मेला व्यवस्थापक ऐसा पद है जिसका समिति के संविधान में कोई वैधानिक अस्तित्व ही नहीं है, फिर भी सालों से एक ही व्यक्ति इस पर तैनात रहा और महत्वपूर्ण दायित्यों का संचालन करता रहा। उसे भी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी गई। हालांकि सीडीओ ने रिपोर्ट में उसे हटाने की संस्तुति जरूर कर दी। रामनगरिया मेला आयोजन में वित्तीय अनियमितताएं सिस्टम की नाकामी और प्रशासनिक संरक्षण का बड़ा उदाहरण हैं।
मुख्य विकास अधिकारी अरविंद कुमार मिश्रा ने बताया कि जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दी गई है। समिति के संविधान में संशोधन और पंजीकरण का नवीनीकरण कराने की संस्तुति की गई है। खातों को नियमित आडिट कराने की भी संस्तुति की गई है।
वर्ष वार आय-व्यय विवरण
वर्ष - आय - व्यय - अतिरिक्त व्यय/घाटा
2019 - 1,01,91,000 - 83,85,573
2020 - 1,14,48,600 - 1,35,67,267
2021 - 1,34,30,413 - 1,45,07,531
2022 - 1,66,47,404 - 1,57,51,125
2023 - 2,02,10,751 - 1,98,16,386
2024 - 2,05,13,450 - 2,17,01,757
यह उजागर हुआ जांच में
हर साल चंद ठेकेदारों को मिलता काम
भुगतान वाउचर न मिलने जीएसटी का सत्यापन नहीं
करोड़ों के लेन-देन का नहीं होता आडिट
जिन मदों पर सबसे ज्यादा खर्च उन्हीं के बिल और वाउचर अधूरे
समाप्त हो चुका सोसाइटी का पंजीकरण,चेकों पर कोषाधिकारी के हस्ताक्षर ही नहीं
वाइट- लक्मन सिंह अधिवक्ता शिकायत कर्ता
बाइट--अरविंद कुमार मिश्रा मुख्य विकास अधिकारी
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