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झाबुआ के बच्चे सड़क पर पढ़ाई करने को मजबूर, प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
Jhabua, Madhya Pradesh
ये झाबुआ का कैसा प्रशाशन हे
देश का भविष्य सड़कों पर पढ़ने को मजबूर
भरी बारिश में..बच्चे स्कूल के बाहर पढ़ते हे बच्चे
पुराने भवन गिरा दिए....नए भवनों की नहीं हो रही स्वीकृति....
जर्जर स्कूल में बैठते हे तो लगता हे हादसों का डर
बच्चों की कलेक्टर से गुहार...मेडम हमरी स्कूल बनवा दो
आदिवासी अंचल झाबुआ में शिक्षा विभाग के हाल बेहाल हे....जीहा यहां प्रशाशन के जिम्मेदारों ने जर्जर पुराने भवन तो गिरा दिए परंतु अब नए भवन स्वीकृत नहीं हो रहे हे जिस कारण अब यहां स्कूल अब किराए के भवनों में लग रही हे तो कही बच्चे स्कूल के बाहर सड़क पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हे... अगर शिक्षा विभाग के पास बजट नहीं था तो ऐसे में उन भवनों की मरम्मत करवाई जा सकती थी..या उचित व्यवस्था पहले से तय करना थी जिस कारण इन बच्चों को परेशानी न आए....हम बताते चले कि 150 के करीब ऐसे भवन हे जो प्रशाशन द्वारा गिराए गए हे...अब ऐसे में यह बच्चे अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे या अपनी जान हथेली पर रखकर स्कूल में पढ़ाई करे....
ग्राउंड जीरो...
इस मामले की पड़ताल करने जी मीडिया की टीम ग्राउंड जीरो पर झाबुआ के लोहारिया गांव पहुंची जहां की प्राथमिक शाला में करीब 120 बच्चे पढ़ते हे...जब हम वहां पहुंचे तो हमने देखा कि यह सब बच्चे स्कूल के बाहर सड़क पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हे..हमने पूरे मामले में ग्राउंड जीरो से इस खबर को कवर किया....हमने स्कूल के टीचर से बात की तो उन्होंने बताया कि हमने लिखित में बड़े अधिकारी को कई बाद अवगत करवाया हे परंतु आज तक बच्चो को दूसरी जगह बैठने की व्यवस्था नहीं की....बच्चो के माता पिता से भी बात की तो बच्चे बोले हमारे छोटे छोटे बच्चे स्कूल आते हे परंतु हमे डर रहता हे कही हमारे बच्चे हादसे का शिकार न हो जाए स्कूल पूरी जर्जर हो चुकी हे तो बाहर बैठकर पढ़ाई बच्चे करते हे जिसमें कभी बरसात कभी ठंड कभी धूप आती हे ऐसे में हमारे बच्चे कैसे पढ़ाई कर पाएंगे.....
स्कूल के एक बच्चे ने तो कलेक्टर मेडम से गुहार लगाते हुए कहा कि कलेक्टर मेडम हमारी स्कूल बनवा दीजिए ....इस स्कूल में कभी हादसा हुआ तो हमारी जान भी जा सकती हे...इस मासूम की इस अपील को सुनकर शायद जिम्मेदारों के मन पसीजे या न पसीजे परंतु आदिवासी गरीब बच्चे आज जिस स्थिति में इस स्कूल में पढ़ रहे हे वहां की परेशानियां तो बहुत हे.....सरकार कहती हे पढ़ो लिखो आगे पढ़ो आखिर इस तरह से देश का भविष्य सड़कों पर पढ़ने के लिए मजबूर हे...फिर कैसे देश का भविष्य आगे बढ़ेगा.....
पूरे मामले में देखी जाए तो जिला समन्वय अधिकारी से लेकर ब्लाक के बड़े अधिकारियों की बड़ी लापरवाही इस मामले में सामने आ रही हे यह जिम्मेदार अपने केबिन से ही बाहर नहीं निकले इन्होंने यह जानने की कोशिश नहीं की आखिर गांव गांव में हालात क्या हे ...कौनसे भवन खराब हो चुके हे ...अब ये बच्चे कहा पढ़ेंगे इसकी व्यवस्था पहले ही हो जाना थी परंतु जिम्मेदार इतने लापरवाह हे कि वह इन मासूम बच्चों पर भी तरस नहीं खा रहे...प्रशाशन के बड़े जिम्मेदार सिर छोटे कर्मचारी को निशाना बनाकर मामले में इतिश्री कर लेते हे क्या इस बार इन बड़े बड़े जिम्मेदारों पर कार्यवाही होगी....?
ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट ..विजुअल..बच्चे की की कलेक्टर से भावुक अपील अपील
बाइट..शरद गुप्ता ब्लाक शिक्षा अधिकारी झाबुआ
बाइट..मूलचंद मेड़ा उप यंत्री जनपद शिक्षा केन्द्र झाबुआ
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