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बिलासपुर हाईकोर्ट ने पति की तलाक अपील को खारिज किया!

SHAILENDAR SINGH THAKUR
Jun 28, 2025 18:31:25
Bilaspur, Chhattisgarh
बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक पारिवारिक विवाद में अहम फैसला सुनाते हुए पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाने वाले पति की तलाक अपील को खारिज कर दिया है। अपीलकर्ता प्रमोद कुमार श्रीवास की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि पत्नी के चरित्र पर संदेह करना और उसकी पवित्रता पर बहनोई के सामने टिप्पणी करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने कहा कि मौखिक आरोपों के अलावा कोई ठोस सबूत नहीं दिए गए, और इस आधार पर पारिवारिक न्यायालय का निर्णय पूरी तरह उचित है।प्रमोद कुमार श्रीवास का विवाह 24 जून 2012 को हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। दंपत्ति के एक बेटा और एक बेटी हैं, जो वर्तमान में पत्नी के साथ रह रहे हैं। पति ने पारिवारिक न्यायालय में यह कहकर तलाक की मांग की थी कि पत्नी का व्यवहार दूसरे बच्चे के जन्म के बाद से बदल गया, वह घर से बिना बताए बाहर जाने लगी और देर रात बहनोई को ससुराल बुलाकर समय बिताती थी। पति का दावा था कि वह व्यभिचारी जीवन जी रही है और उसके चलते बच्चों पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। प्रमोद ने वर्ष 2018 में परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी लगाई थी, जो खारिज हो गई थी। इसके बाद वह हाईकोर्ट पहुंचा पत्नी ने आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कोर्ट को बताया कि विवाह के बाद से ही पति और ससुराल वाले उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते थे। दहेज की मांग करते थे और उसे मायके से नकदी व जेवर लाने के लिए दबाव डालते थे। उसने कहा कि वह कभी भी किसी पुरुष मित्र या बहनोई के साथ गलत संबंध में नहीं रही और पति ने झूठे आरोप लगाकर उसे बदनाम करने की कोशिश की। हाईकोर्ट ने कहा कि केवल मौखिक आरोपों और मोबाइल पर बातचीत की बात कहने से व्यभिचार सिद्ध नहीं होता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पत्नी की पवित्रता पर संदेह जताना और रिपोर्ट दाखिल करने से ठीक एक दिन पहले शिकायत करना, पति की ओर से की गई क्रूरता को दर्शाता है। ऐसे में पत्नी का अलग रहना न्यायसंगत है और पारिवारिक न्यायालय का फैसला बिल्कुल सही है। अंततः कोर्ट ने प्रमोद कुमार श्रीवास की अपील को खारिज कर दिया......
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