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अयोध्या: मोक्ष की पहली पुरी, जानें क्या है इसका महत्व?
Ayodhya, Uttar Pradesh
ANCHOR - धर्मनगरी अयोध्या सप्तपुरियों में प्रथम पुरी है।सप्तपुरियो को विशेष महत्व की तीर्थ मानी गई है पुराणों में एक श्लोक उल्लेखित है।
अयोध्या मथुरा माया काशी कांची
अवंतिका, पूरी द्वारावती यतः सप्तैता मोक्षदायिका।
इस संस्कृत श्लोक का अर्थ है अयोध्या मथुरा हरिद्वार अर्थात माया काशी कांचीपुरम अर्थात कांची उज्जैन अर्थात अवंतिका और द्वारिका ये सातों पूरियां आत्मा का कल्याण
करने व मोक्ष प्रदान करने वाली है
हिन्दू आस्था के अनुसार प्राणी की मृत्यु के पश्चात उसकी आत्मा को कर्मों के अनुसार भिन्न भिन्न गतियां प्राप्त हो सकती है।ऐसी ही एक गति को मोक्ष कहा जाता है। यदि कोई आत्मा मोक्ष को प्राप्त कर लेती है तो वह जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाती है।अर्थात वो आत्माएँ स्थितप्रज्ञ हो जाती है।सप्तपुरियों में देह त्यागने वाला प्राणी मोक्ष की गति प्राप्त कर लेता है
इसलिए इन सप्त पुरियों को हिन्दू आध्यात्म में विशेष स्थान प्राप्त है।
सप्तपुरियों में से प्रथम पुरी अयोध्या जी को समर्पित है ये नगरी शांत निर्मल एवं जीवनदायिनी सरयू नदी के तट पर बसी हुई है हिन्दू ग्रंथों के वर्णन के अनुसार अयोध्या सत्य और धर्म के पर्याय प्रभु श्री रामचन्द्रजी की जन्मभूमि है भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने अधर्म व असत्य का अंत करने के लिए राजा दशरथ के पुत्र के रूप में अयोध्या में ही जन्म लिया था इसलिए अयोध्या को धर्मनगरी भी कहा जाता है
प्रभु श्री रामचन्द्रजी के प्रथम पूर्वज मनु थे जो सूर्य के पुत्र थे इसलिए प्रभु जी का वंश सूर्य वंश कहलाता है
अयोध्या नाम तत्रास्ति नगरी लोकविश्रुता। मनुना मानवेन्द्रेण पुरैव निर्मिता स्वयम्॥"
रामायण के अनुसार सूर्य पुत्र वैवस्वत मनु के द्वारा ही सरयू नदी के तट पर अयोध्या नगरी बसाई गई थी अयोध्या को साकेत धाम से भी जाना जाता है
स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या नगरी भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर स्थापित है
बाद में श्री रामचन्द्रजी के कुल में एक रघु नामक राजा भी हुए थे जिनके कारण श्री राम को रघुवंशी भी कहा जाता है
सभी पुरुषों में सर्वोत्तम प्रभु श्रीराम आजीवन मर्यादा करुणा दया सत्य सदाचार और धर्म के मार्ग पर चले इस कारण से उनका जीवन सभी लोगों के लिए अनुकरणीय है
अपने जीवन की सभी परिस्थितियों का सामना श्री राम ने पूर्ण मर्यादा के साथ किया और इसी कारण से उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है जनमानस की आस्था है कि विश्वास के साथ श्री राम का जाप करने मात्र से मनुष्य का कल्याण हो जाता है तुलसीदास जी ने भी कहा है
कलिजुग सम जुग आन नहिं जौं नर कर बिस्वास। गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास॥
अर्थात यदि मनुष्य विश्वास रखें तो कलियुग के समान दूसरा युग मिलने वाला नहीं है क्योंकि इस युग में व्यक्ति केवल श्री राम के गुणगान करके ही भवसागर से पार हो सकता है
विद्वानों के अनुसार अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है जिसे युद्ध के द्वारा जीता न जा सके
सभी सप्तपुरियों में धर्मनगरी अयोध्या को प्रथम पूरी माना गया है
सामान्यतः लोग अवैध तथा अयोध्या को एक ही शहर के दो नाम मानते हैं किन्तु यह धारणा गलत है यदि विद्वानों की मानें तो अयोध्या का प्राचीन नाम भी अयोध्या ही था
प्राचीन काल में अयोध्या कौशल क्षेत्र के अवध की राजधानी थी जिसके कारण इसे अवधपुरी भी कहा जाने लगा था कुछ ही समय पहले एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हिंदुओं को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की अनुमति प्राप्त हुई
और अब वहां एक भव्य राम मंदिर निर्मित हो चुका है प्रत्येक सनातनी श्रद्धालु चाहे वह विश्व के किसी भी कोने में निवासरत हो एक बार अयोध्या आकर नवनिर्मित प्रभु श्री रामचन्द्रजी के मंदिर में प्रभु के दर्शन अवश्य करना चाहता है निश्चित रूप से आप भी अयोध्या आकर प्रभु श्री रामचन्द्रजी
के दर्शन करना चाहेंगे आप को अयोध्या यात्रा में सुविधा हो इसके लिए हम कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आपके साथ साझा कर रहे हैं प्रथम पूरी अयोध्या का विशेष आकर्षण श्री राम मंदिर सुबह साढ़े छह बजे से दोपहर बारह बजे तक तथा उसके बाद दोपहर ढाई बजे से रात्रि दस बजे तक
श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है प्रथम मंगला आरती सवेरे साढ़े चार बजे एवं शयन आरती रात्रि नौ बजे की जाती है मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह में प्रभु श्री रामचन्द्रजी के बाल्यकाल अवस्था को दर्शाती राम लला की प्रतिमा विराजमान है मंदिर में भक्तों को प्रसाद स्वरूप चीनी तथा
इलायची के दानों का मिश्रण दिया जाता है
धनु स्वयं मंदिर प्रशासन की अनुमति से मिठाई और मेरी का भोग भगवान को लगा सकते हैं मंदिर परिसर में कुबेर दिलाई स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया गया है
अयोध्या में राम नवमी और दीपावली का उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है क्योंकि इन पर्वों का सीधा संबंध श्री रामचन्द्रजी जी से है श्रावण में लगने वाला झूला मेला भी अयोध्या का एक लोकप्रिय आयोजन है जिसमें देश विदेश से अनेक श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं
श्री राम
के अतिरिक्त भी श्रद्धालुओं के लिए अयोध्या में भगवान राम से संबंधित अनेक धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल हैं इनमें से एक है गुप्तार घाट जिसे प्रभु श्रीराम के संसार से प्रस्थान करने का स्थान माना जाता है
गुप्ता घाट ही वह स्थान है जहां से प्रभु श्रीराम अंतिम डुबकी लगाकर बैकुंठ धाम को लौट गए थे अयोध्या आने वाले श्रद्धालु बजरंगबली के दर्शन के लिए हनुमान अवश्य जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि हनुमान गढ़ी के दर्शन के बिना अयोध्या यात्रा पूर्ण नहीं होती
जनश्रुति के अनुसार रावण का वध करने के बाद जब श्री रामचन्द्रजी अयोध्या वापस आए तब उन्होंने हनुमान गढ़ी नामक यह स्थान हनुमान जी को रहने के लिए प्रदान किया था अथर्ववेद में वर्णन है कि भगवान श्री रामचंद्र जी ने हनुमान जी को हनुमान गढ़ी समर्पित करते हुए आशीर्वाद दिया था
था कि जब भी कोई अयोध्या में मेरे दर्शन करने आएगा तो पहले उसे आपके अर्थात हनुमान जी के दर्शन करने होंगे तब से लेकर आज तक भक्त राम लला के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी जाकर बजरंगबली के दर्शन करते हैं
अयोध्या की उत्तर दिशा में बहने वाली अमृत तुल्य सरयू नदी के तट भी धार्मिक महत्व के स्थल है
श्री रामचरित्र मानस में तुलसीदास जी ने सरयू स्नान का महत्व बताया है
हिन्दू मान्यता के अनुसार सरयू नदी के जल में स्नान मात्र से ही सभी तीर्थों के पुण्य की प्राप्ति हो जाती है अपनी धार्मिक महत्व के कारण सरयू नदी श्रद्धालुओं के लिए अति पूजनीय है पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा सरयू तट आधुनिक रूप से विकसित कर दिया गया है
जिसके कारण यह अब श्रद्धालुओं के साथ साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है सांयकाल में सैलानी यहां नौका विहार तथा पैदल विचरण करने के लिए आते हैं इनके अतिरिक्त भी अयोध्या में दर्शन एवं पर्यटन के लिए अनेक स्थान है जैसे छोटी देवकाली मंदिर,कनक भवन, सीता रसोई,भरतकुंड सहित अयोध्या में 10 हजार से ज्यादा मठ मन्दिर है।
बाइट- शशिकांत दास महन्त नित्य सरयू आरती
बाइट - राम शरण दास पीठाधीश्वर रंग महल
Wkt 1- प्रवेश पांडेय संवाददाता (हनुमानगढ़ी के सामने से)
Wkt 2- प्रवेश पांडेय संवाददाता (सरयू के पास से)
Wkt 3 - प्रवेश पांडेय संवाददाता (राम मंदिर के सामने से)
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