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जैसलमेर में गोडावण के 9 चूजों की सुरक्षित वापसी, जानें क्या हुआ!
Jaisalmer, Rajasthan
जिला - जैसलमेर
विधानसभा-जैसलमेर
खबर की लोकेशन-जैसलमेर
रिपोर्टर -शंकर दान
मोबाइल -9799069952
ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान सुरक्षा को लेकर भेजे गये
गोडावण के 9 चूजों को वापस लाए जैसलमेर,
पाकिस्तानी ड्रोन अटैक के कारण लिया था फैसला
ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान सुरक्षा को लेकर भेजा था अजमेर
चूजों को शिफ्टिंग के दौरान परेशानी नहीं हो, इसके लिए बॉक्सनुमा जगह बनाकर रेत और गद्दे रखवाए गए थे।
जैसलमेर
भारत- पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच राज्य पक्षी गोडावण के जिन 9 चूजों को सुरक्षा के लिहाज से अजमेर भेजा गया था, उनको वापस जैसलमेर लाया गया है। दरअसल, ड्रोन अटैक के कारण 5 से 28 दिन के चूजों को सुरक्षा कारणों से अजमेर भेजा गया था।
मगर अब माहौल शांत होने व सीजफायर की स्थिति के 1 महीने बाद सभी 9 चूजों को वापस अजमेर से जैसलमेर लाया गया है। सभी को सुरक्षित लाकर गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में रखा गया है। सभी विशेषज्ञ इनकी देखभाल का काम कर रहे हैं।
जैसलमेर DNP के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने बताया पहलगाम में आतंकी हमले के बाद दोनों के बीच हालात असामान्य हो गए थे। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी ड्रोन्स की जैसलमेर में गतिविधियां ज्यादा बढ़ गई थी। सुरक्षा खतरों को देखते हुए वैज्ञानिकों और अधिकारियों की टीम ने आपसी डिस्कशन किया। जिसके बाद गोडावण की सुरक्षा के लिए अजमेर के अरवर स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के सेंटर में शिफ्ट करने का फैसला किया गया।
डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने बताया की गोडावण तेज आवाज के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए शिफ्टिंग की प्रक्रिया अपनाई गई थी। उन्हें सुदासरी व रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर से अजमेर जिले के अरवर गांव भेजा गया था।
दरअसल, जैसलमेर सीमा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर सम और रामदेवरा केंद्र में देश का पहला और एकमात्र बस्टर्ड रिकवरी कार्यक्रम संचालित है। यह भारतीय वन्यजीव संस्थान WII और प्रदेश के वन विभाग की संयुक्त पहल है, जिसमें काफी प्रयासों के बाद इस साल लगभग 18 चूजों का जन्म हुआ। अधिकारियों की मानें तो वहां पहले से ही लेसर फ्लोरिकन के संरक्षण के लिए एक मौजूदा बुनियादी ढांचा है। साथ ही चूजों का पालन और पोषण भी अच्छा किया जाएगा इस कारण उन्हें शिफ्ट किया गया था। अब वे वापस सुरक्षित लाए गए हैं और वे हेल्थी है।
18 में से 9 चूजों को किया था शिफ्ट
डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि आधे से अधिक चूजों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का विकल्प चुना गया था, जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करना और संरक्षण कार्यक्रम की निरंतरता सुनिश्चित करनाथा। WII के वरिष्ठ वैज्ञानिक व जैसलमेर DNP के DFO ने बताया- 10 मई को जैसलमेर में स्थिति बिगड़ने के बाद, हमने इस साल पैदा हुए 18 चूजों में से 9 को सुरक्षित स्थान पर भेजने का फैसला किया था। 5 से 28 दिन की उम्र वाले चूजों को अजमेर ले जाया गया था। बता दें कि ब्रीडिंग सेंटर में चूजों सहित मिलाकर 59 गोडावण है, जिनमें से 9 को अजमेर शिफ्ट करने के बाद वे 50 रह गए थे। मगर अब दुबारा लौट आने से उनकी संख्या वापस 59 हो गई है।
विशेष सस्पेंशन वाली गाड़ी में में पहुंचे जैसलमेर
विशेष रूप से डिजाइन किए गए सॉफ्ट सस्पेंशन से स्पेशल डिजाइन की गई 2 इनोवा गाड़ी में सभी चूजों को लाया गया। गाड़ियों में 10 घंटे की यात्रा के दौरान तनाव को कम करने के लिए रेत के बिस्तर वाले विशेष गद्देदार डिब्बों की व्यवस्था की गई थी, ताकि चूजे डरे नहीं। शिफ्टिंग में सभी सुविधाओं का ध्यान रखा गया। चूजे स्वस्थ हैं और अच्छी तरह से अभ्यस्त हो गए हैं।
बाइट -बृजमोहन गुप्ता, DFO, DNP, जैसलमेर
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