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ओंकारेश्वर में नर्मदा स्नान सुरक्षा: 24 मौतों के बाद घाटों पर सुरक्षा कड़े
PSPramod Sinha
Dec 01, 2025 13:21:31
Khandwa, Madhya Pradesh
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नर्मदा नदी में स्नान करना खतरों से खाली नहीं है। इस साल अभी तक 24 श्रद्धालुओं की नर्मदा नदी में डूबने से मौत हो गई। पिछले 4 सालों में लगभग 65 श्रद्धालु स्नान करते समय नर्मदा नदी में समा गए। आपदा प्रबंधन के सुरक्षा गार्ड, स्थानीय वालेंटियर्स, और पुलिस कर्मियों की तैनाती के बावजूद थोड़ी सी लापरवाही श्रद्धालुओं की जान पर बन आती है। दरअसल नर्मदा नदी के तल में बड़े बड़े गड्ढे, घाटों पर जमी काई और पानी का जलस्तर सामान्य नहीं होने के कारण यह हादसे से होते हैं। स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के द्वारा सुरक्षा चेतावनियों को नजर अंदाज करना इसकी सबसे बड़ी वजह है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पवित्र नर्मदा नदी के तट पर बना हुआ है। जो भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने आते हैं पहले वह नर्मदा नदी के किनारे बने घाटों पर स्नान करते हैं उसके बाद पवित्र नर्मदा जल से ही भगवान भोलेनाथ का जल अभिषेक करते हैं। नदी के किनारे बने अधिकांश घाट श्रद्धालुओं के स्नान की दृष्टि से सुरक्षित नहीं है। आए दिन यहां नदी में डूबने से हादसे की खबर आती है। यहां आपदा प्रबंधन के सदस्य, स्थानीय वालंटियर, पुलिस के सुरक्षा गार्ड घाटों पर स्नान करते समय श्रद्धालुओं को सचेत करते हैं, लेकिन इसके बावजूद अधिकांश श्रद्धालु इन चेतावनियों की अनुदेखी करते हुए घाटों से दूर नर्मदा नदी के बीच बनी चट्टानों या पानी की कम गहराई को देखते हुए आगे चले जाते हैं और यही हादसों का कारण बनते हैं।
बाइट, रविंद्र महिवाल प्लाटून कमांडर आपदा प्रबंधन
नर्मदा नदी सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में बहने वाली वर्षों पुरानी नदी है। लगातार पानी के बहने के कारण इसकी तलहटी में गहरे गड्ढे, खाई और कोह बन गई है। स्नान के दौरान श्रद्धालुओं को पता ही नहीं चलता है कि जिस जगह कम पानी दिखाई देता है अगले ही कदम पर वहां पानी की गहराई कई गुना ज्यादा हो। इन्हीं सब हादसों से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन के सुरक्षा गार्ड घाटों पर और नदी में भी तैनात रहते हैं। इनकी अपनी नाव भी है और कोई घटना होने पर तुरंत यह बचाव के काम में लग जाते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि सुरक्षा गार्ड की चेतावनी को भी नजर अंदाज करते हुए श्रद्धालु नदी के बीच बनी चट्टानों तक पहुंच जाते हैं।
आपदा प्रबंधन के हेड प्लाटून कमांडर रविंद्र महिवाल बताते हैं कि नर्मदा नदी में पानी का जलस्तर कम ज्यादा होता रहता है। साथ ही कई जगह नदी में पानी की गहराई 200 फीट से भी ज्यादा है। आपदा प्रबंधन के पास अनेक सुरक्षा यंत्र भी है लेकिन उनकी भी एक सीमा है इस सीमा से आगे वह भी असफल हो जाते हैं।
वर्ष 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन होना है। इसे देखते हुए ओंकारेश्वर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे आठ नए घाटों का निर्माण किया जा रहा है। इन घाटों पर सुरक्षा की दृष्टि से रेलिंग, चेन और अन्य उपकरण लगाए जाएंगे। साथी आपदा प्रबंधन के लिए विशेष संसाधन और सुरक्षा बलों को ट्रेन किया जा रहा है। बड़ी संख्या में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए ही नर्मदा स्नान के दौरान सुरक्षा के दृष्टि से कार्य योजना बनाई जा रही है।
बाइट, के आर बढ़ोले अपर कलेक्टर
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