Patna, Bihar:ELECTION SPL - FACTS AND FIGURE -
रिपोर्ट निषेद
लोकेशन पटना
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है, सभी सियासी दल एक दूसरे को मात देने की रणनीति बना रहे हैं…. ऐसे में हम पटना जिले के दीघा विधानसभा क्षेत्र जानने पहुंचे कि पाँच सालो में विधायक ने क्षेत्र में कितना विकास किया है , इलाक़े में क्या क्या समस्या है जिसका समाधान होना जरूरी है …..
( दीघा इलाक़े का मुद्दा , समस्या )
जाम की समस्या से लोग परेशान , स्ट्रीट लाइट अधिकतर इलाके में ख़राब , रोड की स्थिति ख़राब, जगह जगह बड़े बड़े गड्ढे, बारिश के समय जलजमाव , जगह जगह कूड़े से गंदगी का अंबार, दीघा विधानसभा में लोगो को कई समस्या है जिसका लंबे समय से समाधान नहीं हुआ है …..
दीघा विधानसभा के लोगो ने कहा नाली , रोड के लिए विधायक जी को बहुत बार बोले लेकिन हर बार आश्वासन मिला …बारिश होने पर घुटने तक पानी भर जाता है ….रोड पर जगह जगह गड्डा है , कोई सुनता नहीं है ….स्ट्रीट लाइट की स्थिति ख़राब है , रात में जलता ही नहीं है ….नाला जाम है , नाला से पानी ऊपर निकलता है …..गाड़ी से लोग आते है तो गिर जाता है । चैम्बर टूटा हुआ है ,कभी भी कोई हादसा हो सकता है , बच्चे गिर सकते है चैम्बर में ….मेन रोड छोड़ कर कहीं विकाश नहीं दिखेगा….. लोगो ने कहा दुर्भाग्य है हमारे इलाके का की इतने दिन से संजीव चौरसिया हमारे विधायक है लेकिन लोगो का परेशानी उनको नहीं दिखता है ….गंदगी में हम जी रहे है ….भविष्य का सोच कर रोड बनाया ही नहीं जाता है । वही दीघा के लोगो ने पीके को लेकर कहा जितना लोग आते है वो बोलते है अच्छा अच्छा बात , सब जगह से उनको निकाल दिया गया तो अब अपना पार्टी बना लिए है , वोट के लिए सब वादा करता है लेकिन उसके बाद कुछ काम नहीं करते है ….
( Public VOXPOP दीघा विधानसभा के लोग,ग्राउंड जीरो से )
वही वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने बयान देते हुए कहा दीघा में मुद्दे तो बहुत है लेकिन लेकिन चुनाव के समय ध्रुवीकरण हो जाता है पार्टियो के आधार पर , और पार्टीय जातियों के आधार पर मतदाताओं को गोलबंद करती है , पूरा पटना उपेक्षित है , दीघा का भी कोई मोहल्ला को वहाँ की सड़क सायद ही दुरुस्त होगा , जल जमाव एक बड़ी समस्या है , अतिक्रमण और सड़क जाम बड़ी समस्या है लेकिन चुनाव में ये मुद्दे हवा हो जाते है …..पटना बीजेपी का गढ़ माना जाता है , दीघा विधायक के काम का आउटपुट नजर नहीं आता है ।
बिहार में जात प्रमुखता से देखा जाता है , कायस्थ बहुल क्षेत्र माना जाता है लेकिन यादव भी अच्छी संख्या में है , अगरी और पिछड़ी जाती की संख्या अच्छी है , महिला वोटर की संख्या भी अधिक है , इलेक्शन में लालच भी दिया जाता है , वही पीके फैक्टर को लेकर कहा पीके मेहनत तो बहुत कर रहे है , ये टेस्ट होना बाकी है की परिश्रम का रिजल्ट क्या आयेगा , प्रभावशाली रोल इस चुनाव में उनका होगा , जो बात वो कह रहे है उससे कोई असहमत नहीं हो सकता है , बिहार की पीड़ा को वो बता रहे है , अब जनता को समझना है की मुद्दे पर वोट करते है या जात और पार्टी देख कर वोट करते है ।
121 प्रवीण बागी , वरिष्ठ पत्रकार
(दीघा विधानसभा )
कुल मतदाता : 4 लाख 63 हजार 322
पुरुष मतदाता: 2 लाख 20 हजार 478
महिला मतदाता :2 लाख 40 हजार 844 हैं
थर्ड जेंडर मतदाता : 173
(दीघा विधानसभा )
जातीय समीकरण की बात करें तो इस विधानसभा सीट पर यादव, राजपूत, कोइरी, भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ, कुर्मी और वैश्य निर्णायक भूमिका में हैं….. दीघा विधानसभा में महिला वोटर एग्रेसिव होकर वोट करती हैं, पुरुष और महिला के मतदान में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता है ।
कायस्थ वोटर 1 लाख 30 हज़ार के करीब , इसके बाद सबसे अधिक 50 हज़ार के करीब यहां यादव वोटर हैं , मुस्लिम वोटर भी 30000 के करीब है….राजपूत वोटर 40000 , भूमिहार वोटर 26000 , कोइरी और कुर्मी वोटर करीब 30000 , वैश्य वोटर 18000 , अतिपिछड़ा समाज के वोटर की संख्या करीब 40 हज़ार है ।
दीघा विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजधानी पटना में स्थित है और पटना साहिब लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है, यह क्षेत्र 2008 में बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया……दीघा विधानसभा क्षेत्र मतदाता संख्या के लिहाज से बिहार का सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र बन चुका है।
यह क्षेत्र पटना नगर निगम के 14 वार्डों और छह पंचायतों में फैला हुआ है जो मुख्य रूप से गंगा नदी के किनारे बसे हुए हैं. …..
पूर्व में दीघा और पहलेजा घाट के बीच एक जल परिवहन सेवा चलती थी जो दक्षिण और उत्तर बिहार को जोड़ती थी, आज इसकी जगह जेपी सेतु ने ले ली है…..एक रेल-सह-सड़क पुल जो दीघा को सारण जिले के सोनपुर से जोड़ता है, 4,556 मीटर लंबा यह पुल असम के बोगीबील पुल के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा रेल-सह-सड़क पुल है….यह महात्मा गांधी सेतु के बाद पटना को उत्तर बिहार से जोड़ने वाला दूसरा पुल भी है, जो 1982 में खोला गया एक सड़क पुल है जो पटना को हाजीपुर से जोड़ता है। जेपी सेतु 1959 में बने राजेंद्र सेतु के बाद बिहार में गंगा पर बना दूसरा रेल-सह-सड़क पुल है,पुल के बन जाने के बाद पाटलिपुत्र जंक्शन रेलवे स्टेशन की स्थापना हुई और उत्तर बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश (जैसे गोरखपुर) के लिए नई रेल सेवाएं शुरू हुईं। दीघा विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास काफी छोटा है, अब तक केवल तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं…. पहले चुनाव (2010) में जेडीयू ने 60,462 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की, लेकिन 2015 में जब जेडीयू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया तब मुकाबला पूर्व सहयोगियों के बीच सीधा हो गया और बीजेपी ने 24,779 वोटों से जीत हासिल की, 2020 में जब दोनों पार्टियां फिर से गठबंधन में आई तो बीजेपी के संजीव चौरसिया ने सीपीआई(एमएल)की शशि यादव को 46,234 वोटों से हराया।
(पिछले कुछ चुनाव पर नजर )
2020 के चुनाव में दीघा विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार संजीव चौरसिया ने जीत का परचम लहराया था। संजीव चौरसिया को 97 हजार तीन सौ 18 वोट मिला था तो सीपीआई एमएल एल कैंडिडेट शशि यादव को 51 हजार 84 वोट ही मिल पाया था। इस तरह से संजीव चौरसिया ने शशि यादव को 46 हजार दो सौ 34 वोट के बड़े भारी अंतर से हरा दिया था। वहीं आरएलएसपी कैंडिडेट संजय कुमार सिन्हा 5 हजार पांच सौ 83 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।
2015 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार संजीव चौरसिया ने जीत हासिल की थी। संजीव चौरसिया ने जेडीयू कैंडिडेट राजीव रंजन प्रसाद को 24 हजार सात सौ 79 वोट के बड़े अंतर से हराया था। संजीव चौरसिया को कुल 92 हजार छह सौ 71 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे राजीव रंजन प्रसाद को कुल 67 हजार आठ सौ 92 वोट मिले थे तो वहीं तीसरे स्थान पर रहे एचवीडी के उदय चंद्र चौधरी को कुल 2 हजार छह सौ 73 वोट मिले थे।
2010 में हुए विधानसभा चुनाव में दीघा सीट पर जेडीयू कैंडिडेट पूनम देवी ने जीत हासिल की थी। पूनम देवी ने लोजपा उम्मीदवार सत्यानंद शर्मा को 60 हजार चार सौ 62 वोटों के विशाल अंतर से हराया था। पूनम देवी को कुल 81 हजार दो सौ 47 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे सत्यानंद शर्मा को कुल 20 हजार सात सौ 85 वोट मिले थे तो वहीं तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस कैंडिडेट राजेश कुमार सिन्हा को कुल 9 हजार दो सौ 15 वोट मिले थे।