176215हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में विद्यार्थीकेंद्रित लर्निंग पर दो दिवसीय करिकुलम डिज़ाइनिंग वर्कशॉप
VKVipan Kumar
Nov 04, 2025 10:49:46
Dharamshala, Himachal Pradesh
केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में दो दिवसीय कार्यशाला में करिकुलम डिजाइनिंग पर हुआ मंथन
कुलपति बोले, अब शिक्षा का केंद्र होगा विद्यार्थी, विश्वविद्यालय बनेगा स्टूडेंट-सेंट्रिक लर्निंग का रोल मॉडल
यह कार्यशाला आउटकम-आधारित शिक्षा  और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्घाटन और सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने की।
कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि यह कार्यशाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय करिकुलम डिजाइनिंग फॉर ट्रांसफॉर्मेटिव लर्निंग पर केंद्रित रही। उन्होंने कहा कि आज के दौर में शिक्षा के स्वरूप में बड़ा बदलाव जरूरी है। हमें “व्हाट टू थिंक” से “हाउ टू थिंक” की ओर बढ़ना होगा। शिक्षा अब सिर्फ सूचना तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उसे लर्निंग से नॉलेज की दिशा में परिवर्तित करना होगा।
कुलपति ने कहा कि आने वाले समय में शिक्षा का पूरा ढांचा विद्यार्थी केंद्रित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि “जब हम लर्निंग टू लीव टुगेदर की बात करते हैं तो यह आवश्यक है कि विद्यार्थी केवल ज्ञान का उपभोक्ता न रहे, बल्कि अपने सीखने की प्रक्रिया का निर्माता भी बने।
उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है ऐसे क्लासरूम तयार करने की, जो भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप हों। 2030 तक जब हम एसडीजी (Sustainable Development Goals) को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, तो हमें ऐसे शिक्षण वातावरण तैयार करने होंगे, जहां विद्यार्थी स्वयं अपने सिलेबस के डिजाइन में भागीदारी करें। यही वास्तविक इनोवेशन का आधार होगा।
प्रो. बंसल ने कहा कि यदि हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो सबसे पहले हमें आत्मनिर्भर विद्यार्थी तैयार करने होंगे। विद्यार्थी तभी आत्मनिर्भर बनेंगे जब उन्हें शिक्षा की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य  प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल शिक्षण पद्धतियों में नवाचार पर केंद्रित है, बल्कि इसका मुख्य लक्ष्य ऐसे ‘ट्रेनर टीचर्स’ तैयार करना है, जो आगे चलकर अपने-अपने विश्वविद्यालयों और संस्थानों में प्रशिक्षण देकर इस नये मॉडल को लागू करें।
उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए विशेषज्ञों ने भाग लिया और शिक्षा में बदलाव की रूपरेखा पर गहन विचार-विमर्श किया। हमारा लक्ष्य है कि इस मॉडल को देशभर के विश्वविद्यालयों में अपनाया जाए और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला इस दिशा में एक रोल मॉडल बने।
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