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अरावली बचाओ: सांकेतिक धरना से उठी वन-जल सुरक्षा की पुकार
AMANIL MOHANIA
Dec 26, 2025 11:51:18
Nalhar, Haryana
अरावली पर्वतमाला के संरक्षण की मांग को लेकर अरावली बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले शहर के अंबेडकर सर्किल पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया गया। यह धरना समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ पर्यावरणविद फजरुदीन बेसर की अध्यक्षता में शांतिपूर्ण और अनुशासित वातावरण में संपन्न हुआ। धरने में पर्यावरणविदों, सामाजिक संगठनों, जल संरक्षण से जुड़े लोगों तथा बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने भाग लेकर अरावली को बचाने की मांग को मुखर किया। धरने को संबोधित करते हुए पर्यावरणविद फजरुदीन बेसर ने कहा कि अरावली पर्वतमाला केवल पहाड़ियों की एक श्रृंखला नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए प्राकृतिक सुरक्षा कवच है। यह भूजल रिचार्ज, पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में अवैध खनन, अतिक्रमण और नीतिगत कमजोरियों के कारण अरावली को भारी क्षति पहुंची है। यदि समय रहते ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में क्षेत्र को गंभीर जल और पर्यावरण संकट का सामना करना पड़ेगा। धरने में जल बिरादरी के अध्यक्ष हाजी इब्राहिम, डॉक्टर अशफाक आलम और ईसब खान ने संयुक्त रूप से अरावली संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अरावली के कमजोर होने का सीधा असर क्षेत्र के भूजल स्तर, बढ़ते जल संकट और तापमान में वृद्धि के रूप में सामने आ रहा है। यह केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं है, बल्कि आम जनजीवन और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा हुआ प्रश्न है। समिति के सदस्य अख्तर अलवी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली पर्वतमाला को लेकर दी गई 100 मीटर ऊंचाई वाली नई परिभाषा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परिभाषा अरावली संरक्षण के उद्देश्य को कमजोर करती है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के तहत केवल स्थानीय भू-आकृति से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ी को ही अरावली माना गया है, जिससे अरावली का बड़ा हिस्सा संरक्षण के दायरे से बाहर हो सकता है। इससे अवैध खनन और अतिक्रमण को बढ़ावा मिलने का खतरा है। उन्होंने मांग की कि इस 100 मीटर की परिभाषा को समाप्त कर अरावली को उसकी ऐतिहासिक, भौगोलिक और पर्यावरणीय पहचान के आधार पर पूर्ण संरक्षण दिया जाए। सामाजिक कार्यकर्ता रमेश कामरा ने घटते जलस्तर को गंभीर चिंता का विषय बताया उन्होंने यह भी कहा कि यह धरना पूरी तरह संविधान के दायरे में रहकर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान ने नागरिकों को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार दिया है और उसी अधिकार का प्रयोग करते हुए यह एक दिवसीय सांकेतिक धरना आयोजित किया गया।
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