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24 साल देश सेवा के बाद सुखदेव दुग्गा का पालकी में शानदार स्वागत
HSHEMANT SANCHETI
Oct 03, 2025 08:01:42
Narayanpur, Chhattisgarh
नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के पालकी गांव का माहौल रविवार को देशभक्ति और गर्व से सराबोर हो गया। गांव का बेटा सुखदेव दुग्गा, जिसने थल सेना में पूरे 24 साल सेवा करने के बाद सेवानिवृत्ति ली, जब अपने गांव लौटा तो ग्रामीणों ने उसे गले लगाकर, आरती उतारकर और पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया। यह क्षण न केवल सुखदेव और उसके परिवार के लिए बल्कि पूरे पालकी गांव और जिले के लिए गर्व का विषय रहा।
सेवानिवृत्त हवलदार सुखदेव दुग्गा का स्वागत जगदीश मंदिर परिसर में परंपरागत ढंग से किया गया। अखिल भारतीय रिटायर्ड सेना परिषद और ग्रामीणों ने मिलकर तिलक और माला पहनाकर उनका सम्मान किया। इस दौरान मंदिर में पूजा-अर्चना कर भगवान जगन्नाथ और मां दुर्गा का आशीर्वाद लिया गया। इसके बाद गांव और जिला मुख्यालय में सम्मान यात्रा निकाली गई। यात्रा में शामिल लोगों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर और घर-घर में आरती उतारकर उन्हें नायक की तरह सम्मानित किया। पूरा पालकी गांव इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बना।
सुखदेव दुग्गा ने भावुक होकर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2001 में उन्होंने थल सेना ज्वाइन की थी। उस समय नारायणपुर नक्सलवाद के चरम दौर से गुजर रहा था। लोगों में भय का माहौल था, यहां तक कि सेना या सुरक्षा बलों में भर्ती होने का नाम लेते ही डर लगता था। मगर देश सेवा की भावना ने उन्हें साहस दिया और वह सेना में भर्ती हो गए। “24 साल देश सेवा करने के बाद जब घर लौटा हूं तो अपार खुशी है कि अब नक्सलवाद अपनी समाप्ति की ओर बढ़ रहा है,” उन्होंने कहा।
युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि आज का समय अवसरों से भरा है। गांव और जिले के युवा आगे बढ़कर सेना में भर्ती हों और देश की सेवा करें। साथ ही उन्होंने नक्सलवाद की ओर भटके युवाओं से भी अपील की कि वे हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौट आएं और राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें।
इस अवसर पर सुखदेव दुग्गा के साथी और गांव के निवासी जागेश उसेंडी ने कहा, “सुखदेव के 24 साल देश सेवा कर लौटने का पल पूरे गांव के लिए गौरवशाली और भावुक करने वाला है। यह दृश्य आजीवन याद रहेगा। उनके स्वागत में गांव का हर घर शामिल हुआ, यह इस बात का प्रतीक है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में भी लोग अब विकास और देशभक्ति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।”
गांव के बुजुर्गों और महिलाओं ने भी गर्व व्यक्त किया कि उनके गांव का बेटा सेना से सम्मानपूर्वक सेवा पूरी कर लौटा है। बच्चों ने तिरंगे लहराकर उनका अभिनंदन किया।
नारायणपुर जैसे जिले, जहां दशकों तक नक्सलवाद ने भय और असुरक्षा का वातावरण बनाया, वहां सुखदेव दुग्गा जैसे सपूतों का स्वागत यह संदेश देता है कि अबूझमाड़ और बस्तर बदल रहे हैं। देश सेवा का जज्बा नक्सलवाद पर भारी पड़ रहा है और गांव-गांव में नई उम्मीद की किरण जग रही है।
बाइट 01 सुखदेव दुग्गा, हवलदार थल सेना रिटायर जवान
बाइट 02 जागेश्वर उसेंडी , मित्र रिटायर जवान
बाइट 03 रिटायर्ड जवान , अखिल भारतीय रिटायर्ड सेना परिषद
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