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अबूझमाड़ में पाँच साल बाद जेल से मुक्त हुए पति: जयमती की अविश्वसनीय संघर्ष कहानी
HSHEMANT SANCHETI
Dec 28, 2025 03:17:36
Narayanpur, Chhattisgarh
एंकर - नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र से एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जो सावित्री–सत्यवान की कथा की याद दिलाती है। घोर नक्सल प्रभावित पद्मकोट गाँव की रहने वाली जयमती वड्डे ने अपने अटूट विश्वास, आत्मबल और लगातार पाँच वर्षों की कठिन मेहनत से अपने बेगुनाह पति बंधु सुक्कू वड्डे को नक्सली मामले से बाइज्जत रिहा कराकर घर वापस लाया। आज जयमती अपने पति और दो बच्चों के साथ फिर से खुशहाल जीवन जी रही है।
पद्मकोट गाँव, जो महाराष्ट्र सीमा के पास अबूझमाड़ का एक दुर्गम इलाका है, लंबे समय तक नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता रहा है। इसी वजह से महाराष्ट्र पुलिस की नक्सल विरोधी गश्त और सर्चिंग यहाँ होती रहती थी। वर्ष 2020 में एक ऐसी ही कार्रवाई के दौरान जयमती के पति बंधु सुक्कू और अन्य ग्रामीणों को महाराष्ट्र पुलिस पकड़कर ले गई।
पति के पकड़े जाने की खबर मिलते ही जयमती गाँव के अन्य ग्रामीणों के साथ पैदल ही महाराष्ट्र के लहरी गाँव पहुँची और थाने जाकर अपने पति के लिए मिन्नतें कीं। काफी प्रयासों के बाद पुलिस ने बताया कि बंधु सुक्कू और अन्य ग्रामीण अहरी में रखे गए हैं। पति से मिलकर जयमती को कुछ राहत जरूर मिली, लेकिन जल्द ही यह पता चला कि उन पर नक्सलियों की मदद करने का आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया है।
अनपढ़ होने के बावजूद जयमती ने हार नहीं मानी। अपने बेगुनाह पति को छुड़ाने का संकल्प लेकर वह बार-बार पद्मकोट से महाराष्ट्र आने-जाने लगी। खर्च के लिए जंगल से वनोपज एकत्र कर बाजार में बेचती और उसी पैसे से नागपुर जेल जाकर पति से मिलती रही। इसी दौरान लहरी गाँव के कुछ लोगों ने उसे वकील से मिलने की सलाह दी।
इसके बाद जयमती ने वकील के जरिए कानूनी लड़ाई शुरू की। पति और अन्य ग्रामीणों को छुड़ाने के लिए परिजनों के साथ मिलकर उसने लगभग पाँच वर्षों तक संघर्ष किया। वकील की फीस और यात्रा खर्च के लिए उसने करीब दो लाख रुपये जुटाए, जो उसके लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था।
आखिरकार जयमती के विश्वास और मेहनत की जीत हुई। पाँच साल बाद बंधु सुक्कू वड्डे नक्सली मामले से बाइज्जत रिहा होकर घर लौटे। वर्षों बाद बच्चों का अपने पिता से और पिता का बच्चों से मिलना बेहद भावुक पल था।
आज जब अबूझमाड़ क्षेत्र नक्सलवाद से मुक्त होता दिख रहा है, उसी समय जेल से रिहा होकर अपने गाँव को बदलते देख बंधु सुक्कू बेहद खुश हैं। वे खुलकर अपनी पत्नी जयमती की तारीफ करते नहीं थकते। यह कहानी न केवल एक पत्नी के प्रेम और संघर्ष की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाती है कि विश्वास और हौसले के आगे सबसे कठिन हालात भी हार मान लेते हैं。
बाइट 01 जयमती, अबूझमाड़ की सावित्री
बाइट 02 बंधु सुक्कू वड्डे, पति
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