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भागलपुर की पिंक बस: महिलाओं की जगह पुरुष यात्रियों का कब्जा, सुरक्षा योजना पर सवाल
AKAshwani Kumar
Dec 31, 2025 08:35:56
Bhagalpur, Bihar
महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक सफर देने के लिए शुरू की गई पिंक बस सेवा भागलपुर में अपने मकसद से भटकती नजर आ रही है। हकीकत यह है कि महिलाओं के लिए आरक्षित बसों में पुरुष यात्रियों की भरमार दिख रही है, जबकि महिलाएं गिनी-चुनी रह गई हैं। चालक और कंडक्टर की मनमानी से नियम कागजों तक सिमटते नजर आ रहे हैं। यह तस्वीर पिंक बस सेवा की जमीनी सच्चाई और निगरानी की कमी को साफ तौर पर उजागर करती है। भागलपुर शहर में भी चल रही पिंक बस में महिला की संख्या कम और पुरुष की संख्या ज्यादा देखने को मिली। चालक और कंडक्टर नियमों को ताक पर रखकर पुरुष यात्रियों को बिना रोक-टोक बस में सवारी कराते दिखे। आज भागलपुर शहर के बीच उल्टा पुल के रास्ते पिंक का संचालन हो रहा था, जिसमें महिलाओं से ज्यादा पुरुष यात्री बैठे नज़र आये, चालक और कंडक्टर ने कहा कि महिलाओं के पति को बैठने की अनुमति हम लोग देते हैं, जब हमने अपने कैमरे पर तस्वीरों को कैद किया और यात्रियों से पूछा तो मालूम पड़ा की कई लोग ऐसे हैं जो लोकल यात्री है वह भी अपने दिनचर्या के लिए पिंक बस में सफर कर लेते हैं। बस में महिलाओं की मौजूदगी महज एक-दो तक सिमट कर रह गई, जबकि पुरुष यात्रियों की भरमार थी। यह दृश्य अपने आप में पिंक बस सेवा की जमीनी हकीकत बयां कर रहा था। पिंक बस की शुरुआत इस सोच के साथ की गई थी कि महिलाएं बिना डर और असहजता के अपने कार्यस्थल, शिक्षा संस्थान या अन्य जरूरी कामों के लिए यात्रा कर सकें। लेकिन जब उसी बस में पुरुष यात्रियों की भीड़ होगी, तो महिलाओं के लिए सुरक्षित और अलग माहौल कैसे बनेगा, यह बड़ा सवाल खड़ा करता है। इससे न सिर्फ योजना का उद्देश्य कमजोर पड़ रहा है, बल्कि सरकारी संसाधनों का भी खुला दुरुपयोग हो रहा है। इस पूरे मामले में बस के चालक और कंडक्टर की भूमिका भी संदेह के घेरे में है जो नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। चालक मदन कुमार राय ने बताया कि हम लोग महिला के साथ जो पुरुष रहते हैं उनको भी बैठा लेते हैं, और लोकल को भी बैठा लेते हैं, इस बस में महिलाएं काफी कम बैठती है हम लोग खाली बस लेकर ही जाते हैं, सीएनजी भी भरवाना पड़ता है, इस लिए बैठा लेते हैं, वैसे हम चालक हैं महिला कंडक्टर और संचालक जाने की इसको लेकर क्या करना है। वही महिला कंडक्टर ने बताया कि डीएम का भी आदेश है कि महिला के पति और अन्य पुरुष भी हों तो उनको बैठा लीजिए, और कुछ लोकल को भी हम लोग बैठा लेते हैं। यह स्थिति परिवहन विभाग और प्रशासनिक निगरानी की कमी को भी उजागर करती है। अगर समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर शुरू की गई यह महत्त्वाकांक्षी योजना महज दिखावा बनकर रह जाएगी।
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