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राज्य ने इन-हाउस ऑडिट से शहरों की स्वच्छता रैंकिंग सुधारने की तैयारी की
DGDeepak Goyal
Dec 28, 2025 07:18:50
Jaipur, Rajasthan
प्रदेश के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए स्वायत्त शासन विभाग ने अब इन-हाउस ऑडिट की नई व्यवस्था लागू कर दी है। इसके तहत नगरीय निकायों के कामकाज का आकलन अब राज्य स्तर पर ही किया जा रहा है, ताकि कमियों की पहचान समय रहते कर सुधार किया जा सके। यह कवायद ऐसे समय शुरू की गई है, जब देश की स्वच्छता रैंकिंग में राजस्थान की स्थिति संतोषजनक नहीं मानी जा रही और राजधानी जयपुर के हालात भी चिंताजनक बने हुए हैं। शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार के लिए अब राज्य सरकार ने अपने स्तर पर नगरीय निकायों का होमवर्क चैक करना शुरू कर दिया है। केन्द्र सरकार के मापदंडों के अनुसार ही प्रदेश के निकायों को रैकिंग देना शुरू कर दिया गया है। आबादी के आधार पर चार कैटेगिरी में बांटा गया है। स्वायत्त शासन विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह रैंकिंग पूरी तरह केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण के मापदंडों के अनुरूप ही तैयार की जा रही है, ताकि निकायों को वास्तविक स्थिति का आईना दिखाया जा सके। प्रदेश के सभी शहरों को वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी के आधार पर चार कैटेगरी में विभाजित किया गया है और हर महीने किए गए कार्यों के आधार पर रैंकिंग जारी की जा रही है। नवम्बर माह के प्रदर्शन के आधार पर 3 लाख से 10 लाख आबादी वाली श्रेणी में भीलवाड़ा नगर निगम ने पहला स्थान हासिल किया है। अलवर नगर निगम दूसरे और उदयपुर नगर निगम तीसरे स्थान पर रहा। यह संकेत देता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाए, तो बेहतर परिणाम संभव हैं। 50 हजार से 3 लाख की आबादी वाली कैटेगरी में भरतपुर 45.70 अंकों के साथ प्रदेश के 47 शहरों में अव्वल आया है। छोटे निकायों में 20 से 50 हजार आबादी वाले शहरों में नाथद्वारा 56.33 अंक के साथ सबसे आगे रहा। पुष्कर दूसरे और डूंगरपुर तीसरे स्थान पर रहे। 20 हजार से कम आबादी में बड़ी सादड़ी प्रथम रहा। वहीं राजधानी जयपुर की आबादी 10 लाख से अधिक होने के कारण इसे अलग श्रेणी में रखा गया है। लेकिन इसी श्रेणी में जयपुर की स्थिति सबसे ज्यादा चिंता का कारण बनकर सामने आई है। इन-हाउस आकलन में जयपुर ग्रेटर नगर निगम को महज करीब 35 प्रतिशत अंक और हैरिटेज नगर निगम को केवल 21 प्रतिशत अंक ही मिल पाए हैं। जयपुर में एक नगर निगम बनने से पहले यह हुआ। स्वायत्त शासन विभाग ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए तत्काल काम में जुटने के निर्देश दिए हैं। स्वायत्त शासन विभाग के इस इन-हाउस ऑडिट का मुख्य उद्देश्य कमजोर प्रदर्शन करने वाले निकायों की स्थिति सुधारना है। इसके तहत यह विश्लेषण किया जाएगा कि किस मापदंड में कितने अंक मिले। जहां कम अंक मिले हैं, वहां कारणों की पहचान की जाएगी। संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। सुधार के लिए समयबद्ध कार्ययोजना बनाई जाएगी। शहरों को साफ रखने के लिए राज्य सरकार ने स्टेट लेवल पर सफाई को लेकर नवंबर में प्रतिस्पर्धा करवाई। अब ये हर माह होगी। कचरा निस्तारण, पोर्टल अपडेट, ओडीएफ प्लस, जीएवी फ्री शहर और जन जागरूकता श्रेणी के आधार पर रैंकिंग दी गई। स्वायत्त शासन विभाग ने सफाई को अंक देते हुए शहरों की नवंबर माह की सफाई रैंकिंग जारी की है। कमजोर निकायों की स्थिति सुधरना, रिड्यूज, रिसाइकिल और रियूज (आरआरआर) पर काम हो, क्योंकि इसके 100 अंक हैं। रैकिंग में कमजोर रहने वाले निकायों में समय रहते सुधार किया जाएगा। यह देखेंगे कि किस मापदंड में कितने अंक मिले। कम अंक मिले तो उसकी वजह क्या है और कैसे सुधारा जाए। हर निकाय में मुख्यमंत्री सद्भावना केन्द्र खोले जाएं। देश में स्वच्छता रैकिंग में राजस्थान की स्थिति अच्छी नहीं है। राजधानी जयपुर के हालात भी स्वच्छता को लेकर परेशान करने वाले हैं। इसी कारण स्वायत्त शासन विभाग ने इन-हाउस काम शुरू किया है। बहरहाल, स्वायत्त शासन विभाग की यह पहल साफ संकेत देती है कि अब स्वच्छता के नाम पर केवल कागजी दावे नहीं चलेंगे। हर महीने होने वाला इन-हाउस आकलन निकायों पर लगातार दबाव बनाए रखेगा और कमजोर प्रदर्शन करने वालों पर सख्ती तय मानी जा रही है। विशेषकर जयपुर जैसे बड़े शहरों के लिए यह चेतावनी है कि यदि जमीनी स्तर पर ठोस काम नहीं हुआ, तो स्वच्छता रैंकिंग में सुधार की उम्मीद बेमानी साबित होगी।
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