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बाबूलाल मरांडी: शराब घोटाले में आईएएस अधिकारियों के दबाव की सीबीआई से जांच की मांग
UMUJJWAL MISHRA
Dec 18, 2025 12:22:30
Ranchi, Jharkhand
आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता का आयोजन किया।
उन्होंने कहा कि आज आप सबके समक्ष जो विषय है, वह आप सभी के संज्ञान में है। शराब घोटाले से जुड़ा मामला बेहद गंभीर है। आप जानते हैं कि एमसीबी का जांच चल रहा है और इस घोटाले के एक आरोपी विनय कुमार चौबे इस समय जेल में हैं。
इसके बाद लगातार अखबारों में उस समय उत्पाद विभाग में आयुक्त रहे अमित कुमार और कर्ण सत्यार्थी के बयान प्रकाशित हुए हैं। अखबारों के अनुसार, अमित कुमार कहते हैं कि विनय चौबे जो चाहते थे, वही होता था, जबकि कर्ण सत्यार्थी का कहना है कि केस दर्ज करने पर विनय चौबे ने विरोध किया था। तीनों अधिकारियों के बयान लगभग एक जैसे हैं。
यह कोई सामान्य मामला नहीं, बल्कि बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। ये सभी आईएएस अधिकारी हैं और नियम-कानून से भली-भांति परिचित हैं। यदि सचिव स्तर से दबाव बनाया जा रहा था, तो इनका दायित्व था कि वे फाइल पर आपत्ति दर्ज करते, चीफ सेक्रेटरी को जानकारी देते और मुख्यमंत्री या विभागीय मंत्री को पूरे मामले से अवगत कराते。
इसलिए सवाल यह है कि विनय चौबे के दबाव के खिलाफ इन अधिकारियों ने क्या किया? क्या फाइलों में विरोध की कोई नोटिंग है? क्या चीफ सेक्रेटरी और मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी दी गई थी? यह सब जांच का विषय है。
जैसे तरह से सभी अधिकारियों के बयान एक जैसे सामने आ रहे हैं, उससे साफ लगता है कि उन्हें एक तय स्क्रिप्ट के तहत बयान देने के लिए तैयार किया गया है, ताकि बड़े घोटालेबाजों को बचाया जा सके।
उस वर्ष हमने शराब घोटाले को लेकर दो चिट्ठियाँ मुख्यमंत्री को लिखी थीं, लेकिन उस पर क्या कार्रवाई हुई—यह सवाल आज भी कायम है。
आज मैं साफ कहना चाहता हूँ कि इस घोटाले में सिर्फ विनय चौबे ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। मुख्यमंत्री को बचाने के लिए यह सारी कवायद हो रही है। यदि सरकार सच में निर्दोष है, तो इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
एसीबी की निष्पक्षता पर भी सवाल उठते हैं, क्योंकि उसके डीजी पर खुद भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
आज ऐसे ही कमजोर और दबाव में काम करने वाले अधिकारियों को रामगढ़ और जमशेदपुर जैसे महत्वपूर्ण जिलों का उपायुक्त बनाकर बैठाया गया है। जो अधिकारी दबाव में गलत फैसले लेते हैं, उन्हें इन पदों से हटाया जाना चाहिए। एक तरफ उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है और दूसरी तरफ वही अधिकारी गलत काम करते हैं—यह दोहरा रवैया किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है。
बाइट: बाबूलाल मरांडी (नेता प्रतिपक्ष)
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