Back
हरियाणा के मंगाली गाँव से फुटबॉल क्रांति: 700 महिला खिलाड़ी, कई मेडल जीते
SNShashi Nair
Nov 18, 2025 08:35:45
Hisar, Haryana
स्टोरी मंगाली: यह कहानी है हौसले की, मिट्टी की महक और सपनों की उड़ान की। हरियाणा के एक छोटे से गाँव मंगाली की, जो अब महिला फुटबॉल के हब के नाम से जाना जाता है। हिसार के गांव मंगाली से अब तक 700 से अधिक महिला फुटबॉलर तैयार हो चुकी हैं। खास बात यह है कि इनमें से 35 से अधिक लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं। इन्की टीम सुब्रोतो कप फीफा कप खेल चुकी है। मंगाली गांव आज के समय में महिला फुटबॉल का गढ़ बन चुका है. यहाँ की बेटियां राज्य और देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्वभर में सफलता डंका बजा रही हैं। गाँव महज़ 13 किलोमीटर दूर... मंगाली। एक वक्त था जब यह गाँव साधारण था। लेकिन आज, इसकी पहचान बदल चुकी है। यहाँ की हवा में पसीने की महक है, और पैरों में फुटबॉल का जुनून।ये गाव 700 से ज़्यादा महिला फुटबॉलर दे चुका है ...इस क्रांति का बीज बोया मास्टर नरेंद्र कुमार जैसे निःस्वार्थ कोच ने। साल 2004 में, जब सिर्फ 6-7 लड़कियाँ खेलने आईं. कौन जानता था कि यह चिंगारी एक मशाल बनेगी? कोई शुल्क नहीं, बस समर्पण। सुबह-शाम, ये लड़कियाँ बिना किसी फीस के पसीना बहाती हैं। आज 350 से ज़्यादा ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। गाँव की 120 से ज़्यादा लड़किया अभी भी रोजाना फुटबॉल को अपनी किक से हवा में दौड़ाती हैं। इस सफ़र की नींव 2004 में रखी गई। स्कूल की डीपी सुखविंदर कौर ने अपने साथियों के साथ मिलकर, एक उबड़-खाबड़ ज़मीन को सपनों के मैदान में बदल दिया। शुरुआत में हिचक थी। लड़की फुटबॉल खेलेंगी? गाँव वालों के मन में सवाल थे। पर फिर आया साल 2007। जब मंगाली की बेटियों ने पहली स्टेट चैंपियनशिप जीती... उस जीत ने गाँव का नज़रिया हमेशा के लिए बदल दिया।अब देश भर मैं फुटबॉल की किक लगा रही है इस गाव की छोरिया । गाँव के लोगों का कहना है मंगाली की बेटियाँ... ये सिर्फ खिलाड़ी नहीं हैं, ये प्रेरणा की मूर्तियाँ हैं। नेहा और काजल, जिन्होंने फीफा वर्ल्ड कप जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का नाम रोशन किया। रेणु, जिसने नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता और सीआईएसएफ में नौकरी पाई। गाँव का कहना है इन लड़कियों ने सिर्फ मेडल नहीं जीते, इन्होंने समाज की सोच की बेड़ियाँ तोड़ी हैं। ये आज गाँव लौटकर अपनी छोटी बहनों को प्रेरित करती हैं। गाँव के सरपंच का कहना है कि उनकी कोशिश है कि सरकार इस छोटे से फुटबॉल के मैदान को अंतरराष्ट्रीय मैदान में बदलने में उनकी मदद करें। इसके लिए पंचायत 35 एकड़ जमीन देने को भी तैयार है। फिलहाल तब तक तो यह वो जगह है जहाँ मिट्टी की धूल में दबे सपने सोने के मेडल बनकर चमक रहे हैं। बीस साल के बाद भी नरेंद्र और सुखविंदर कोच के साथ इन महिला फुटबॉलर का सफ़र जारी है नयी उड़ान नए सपनों के साथ।
150
Report
हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|
Advertisement
ASAMIT SONI
FollowNov 18, 2025 10:05:400
Report
DBDEVENDRA BISHT
FollowNov 18, 2025 10:05:170
Report
TCTanya chugh
FollowNov 18, 2025 10:04:590
Report
DTDinesh Tiwari
FollowNov 18, 2025 10:04:480
Report
MMMohd Mubashshir
FollowNov 18, 2025 10:03:400
Report
SASARIFUDDIN AHMED
FollowNov 18, 2025 10:03:260
Report
0
Report
FWFAROOQ WANI
FollowNov 18, 2025 10:02:430
Report
VSVARUN SHARMA
FollowNov 18, 2025 10:02:280
Report
MTManish Thakur
FollowNov 18, 2025 10:01:190
Report
84
Report
NSNAVEEN SHARMA
FollowNov 18, 2025 09:52:4288
Report
DSdevendra sharma2
FollowNov 18, 2025 09:52:1186
Report
DCDILIP CHOUDHARY
FollowNov 18, 2025 09:51:07102
Report
KCKumar Chandan
FollowNov 18, 2025 09:50:54110
Report