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थुनाग में छात्रों ने प्राकृतिक आपदा के बाद सरकार से सुरक्षा की गुहार लगाई!
Bilaspur, Chhattisgarh
स्टोरी आईडिया अप्रोवड बाय- ज़ी पीएचएच असाइनमेंट.
स्लग- 30 जून को मंडी जिला के थुनाग में आयी प्राकृतिक आपदा के गवाह बने कॉलेज ऑफ होल्ट्रीकल्चर एंड फोरेस्ट्री थुनाग के छात्रों ने सरकार से लगाई गुहार, असुरक्षित एरिया घोषित होने के चलते उनकी क्लासेज व परीक्षाएं की जाएं अन्य कॉलेज में शिफ्ट, पहली बार प्राकृतिक आपदा देख सहमे हैं कॉलेज के छात्र तो बिलासपुर से सम्बंधित छात्रों ने परिजनों सहित उपायुक्त बिलासपुर के जरिए मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन.
रिपोर्ट- विजय भारद्वाज
टॉप- बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश.
एंकर- हिमाचल प्रदेश में मानसून के दौरान भारी बारिश के चलते आयी प्राकृतिक आपदा से मंडी जिला को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. बादल फटने, भूस्खलन व नदियों का जल स्तर बढ़ने से जहां चारों तरफ तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है तो वहीं इस प्राकृतिक आपदा के चलते कईं लोगों ने अपने घर खोए तो कइयों ने अपनों को ही खो दिया है. जी हां 30 जून को मंडी जिला के थुनाग में बादल फटने से पहाड़ों से गिरे भारी मलबे की चपटे में आने से कईं आशियाने उजाड़ गए हैं। वहीं इस प्राकृतिक आपदा के गवाह बने डॉक्टर वाई एस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ होल्ट्रीकल्चर एंड फोरेस्ट्री के छात्रों के जहन में आज भी वो मंजर वैसा ही बना हुआ है जैसा मंजर उन्होंने अपने जीवन में पहली बार देखा है, जिसे याद करते हुए कॉलेज के छात्र अब दुबारा वहां जाना नहीं चाहते हैं. वहीं डॉक्टर वाई एस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ होल्ट्रीकल्चर एंड फोरेस्ट्री थुनाग में पढ़ने वाले छात्र जो बिलासपुर जिला से संबंध रखते हैं उन्होंने अपने परिजनों के साथ मिलकर उपायुक्त बिलासपुर के जरिये मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु को ज्ञापन भेजा है और मांग की है कि मंडी जिला में बने डॉक्टर वाई एस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ होल्ट्रीकल्चर एंड फोरेस्ट्री थुनाग का भवन सुरक्षित नहीं है और खड्ड के साथ लगता हुआ है जहां 30 जून को बादल फटने की घटना के साथ ही पहाड़ों से भारी मलबा कॉलेज परिसर में जा पहुंचा है. साथ ही उन्होंने मांग की है वर्तमान हालात को देखते हुए छात्रों की परीक्षाओं की तारीख को आगे बढ़ाया जाए और कॉलेज को भी किसी सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए. वहीं डॉक्टर वाई एस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ होल्ट्रीकल्चर एंड फोरेस्ट्री थुनाग में पढ़ने वाले छात्रों ने प्राकृतिक आपदा की जानकारी देते हुए बताया कि इस घटना के दौरान वह बड़ी मुश्किल से वह सुरक्षित स्थान पर पहुंच पाए थे और करीब 20 किलोमीटर पहाड़ों पर ट्रैकिंग कर ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां से उन्हें गाड़ी मिल पाई और फिर वह बिलासपुर अपने घर पहुंच सके. साथ ही छात्रों ने कहा कि इस प्राकृतिक आपदा में लोगों के घर, दुकानें बह गयी और कईं लोग लापता हो गए. वह बिना बिजली, पानी के मुश्किल से समय व्यतीत कर पाए और जब अपने घर पहुंचे तब जाकर चैन की सांस ली. वहीं छात्रों का कहना है कि इस भयावह मंजर को देखने के बाद अब वह वापिस थुनाग नहीं जाएंगे और उन्होंने मुख्यमंत्री व यूनिवर्सिटी प्रशासन से मांग की है इसे सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जाए और तक तक उनकी कक्षाएं व परीक्षाएं नौनी मेन कैंपस या फिर नैहरी में आयोजित की जाए ताकि सभी छात्र सुरक्षित रह सकें. वहीं छात्रों के परिजनों ने भी 30 जून को आई प्राकृतिक आपदा पर चिंता जाहिर करते हुए छात्रों की सुरक्षा को लेकर सरकार से उचित व्यवस्था करने की मांग की है. वहीं परिजनों का कहना है कि छात्रों की इस मांग को लेकर उन्होंने उपायुक्त बिलासपुर के जरिये मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है ताकि भविष्य छात्रों की सुरक्षा हेतु सरकार उचित कदम उठाए और सुरक्षा के मानकों को देखते हुए इस यूनिवर्सिटी को कहीं अन्य सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट किया जाए.
बाइट- अंशिका ठाकुर, छात्रा, डॉक्टर वाई एस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ होल्ट्रीकल्चर एंड फोरेस्ट्री थुनाग, जिला मंडी.
गंधर्व पाल, छात्रा, डॉक्टर वाई एस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ होल्ट्रीकल्चर एंड फोरेस्ट्री थुनाग, जिला मंडी.
राजेंद्र पाल, छात्र गंधर्व के पिता.
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