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गाजीपुर के 450 साल पुराने शिव मंदिर का हिस्सा गंगा में समाया; घाट बंद
ATALOK TRIPATHI
Oct 06, 2025 03:41:16
গাজীপুর, ঢাকা বিভাগ
गाजीपुर
गाजीपुर में बारिश का कहर — 450 साल पुराना शिव मंदिर धराशायी, रामगंगा घाट पर प्रशासन ने लगाया प्रतिबंध
सदर कोतवाली इलाके के राजागांधी की गढ़ी में हुआ हादसा
किला कोहना स्थित रामगंगा घाट पर बारिश से टूटा शिव मंदिर
मंदिर का आधा हिस्सा गंगा में समाया, घंटा और सिखर दिखे नदी किनारे
तीन दिन की लगातार बारिश बनी हादसे की वजह
नव निर्माण कार्य के दौरान रात करीब 9:30 बजे गिरा मंदिर का हिस्सा, 2 लोगों ने गंगा में कूदकर बचाई अपनी जान
मंदिर के पुजारी काशीदास बोले, 30 साल से कर रहा हूँ देखभाल
प्रशासन ने घाट पर लगाया प्रतिबंध, रास्ता किया गया बंद, बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस की तैनाती
रामगंगा घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, माहौल गमगीन
कहा जाता है—यहीं स्नान किए थे भगवान राम और लक्ष्मण, इसीलिए पड़ा घाट का नाम रामगंगा घाट
गंगा पार ताड़ी घाट पर भगवान राम ने किया था ताड़का का वध
ऐतिहासिक धरोहर पर अब खतरे के बादल
गाजीपुर में हुई बेतहाशा बारिश का असर अब डराने लगा है। सदर कोतवाली इलाके के राजागांधी की गढ़ी, जिसे किला कोहना के नाम से जाना जाता है, वहां का ऐतिहासिक रामगंगा घाट अब खतरे के निशान पर है। इसी घाट पर स्थित करीब 450 साल पुराना शिव मंदिर बारिश की मार झेल नहीं सका और बीती रात इसका आधा हिस्सा धराशायी हो गया।
गाजीपुर के इस ऐतिहासिक घाट की पहचान, राम, जानकी और शिव मंदिर, अब मलबे में तब्दील हो गई है। लगातार तीन दिनों की बारिश के बाद मंदिर के नीचे की मिट्टी खिसक गई और रात करीब साढ़े नौ बजे शिव मंदिर का आधा ढांचा भरभराकर गिर पड़ा। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि मंदिर का आधा हिस्सा गंगा की धारा तक जा पहुंचा है।
गंगा के किनारे से अब भी मंदिर का सिखर और घंटा दिखाई दे रहा है। जिला प्रशासन ने हालात को देखते हुए रामगंगा घाट पर आम आवाजाही पूरी तरह रोक दी है, बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया है और पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया है। करीब 30 साल से इस मंदिर की देखभाल कर रहे पुजारी काशीदास ने बताया कि मंदिर का नव निर्माण कार्य चल रहा था। लेकिन लगातार हुई बारिश ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। उन्होंने बताया कि जिस वक्त मंदिर का हिस्सा गिरा, उस समय घाट पर दो लोग मौजूद थे। जो किसी तरह गंगा में कूदकर अपनी जान बचा पाए। रामगंगा घाट न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है बल्कि इतिहास और आस्था का प्रतीक भी है।
मान्यता है कि राजा गाधी के पुत्र विश्वामित्र इसी स्थान पर भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर आए थे। कहा जाता है कि भगवान राम ने यहीं गंगा स्नान किया था, और इसी कारण इस घाट का नाम पड़ा रामगंगा घाट। यहीं से गंगा के उस पार है ताड़ी घाट, जहां भगवान राम ने ताड़का का वध किया था。
बरसों से आस्था का केंद्र रहा यह शिव मंदिर अब इतिहास के एक दर्दनाक अध्याय में बदल गया है। फिलहाल प्रशासन ने घाट पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी है और मंदिर के अवशेषों को सुरक्षित करने की तैयारी चल रही है。
लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है। क्या हमारी धरोहरें प्राकृतिक आपदाओं के आगे सुरक्षित हैं?
बाइट- काशी दास- मंदिर के पुजारी
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