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बालाघाट अस्पतालों में अमानक दवाओं का मामला, रिपोर्ट आने में देरी से हड़कंप
ASASHISH SHRIVAS
Oct 08, 2025 12:11:19
Raebareli, Uttar Pradesh
बालाघाट ज़िले में शासकीय अस्पतालों में मरीजों, खासकर बच्चों को दी जा रही दवाओं की गुणवत्ता एक बार फिर कटघरे में खड़ी हो गई है। कभी पैरासिटामॉल सिरप फेल, तो कभी मल्टीविटामिन अमानक... यह पूरा मामला बताता है कि सिस्टम की लापरवाही आम जनता की सेहत से सीधा खिलवाड़ कर रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि दवाओं की सैंपलिंग सालों पहले हो गई थी, लेकिन रिपोर्ट आने में दो-दो साल तक का वक्त लग गया। तब तक ये दवाएं हज़ारों बच्चों और मरीजों तक पहुंच चुकी थीं।
वॉयसओवर 1 – सबसे ताज़ा मामला बच्चों को दी जाने वाली पैरासिटामॉल सिरप का है। बैच नंबर 4179 की यह सिरप धार की एक कंपनी से मंगाई गई थी। चार हज़ार बोतल सप्लाई हुईं, सैंपलिंग 2023 में ही हो गई थी, लेकिन रिपोर्ट जून 2025 में आई। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि इस सिरप में पैरासिटामॉल पूरी तरह घुला ही नहीं था। यानी बच्चों को बुखार में दी जा रही ये दवा बेअसर थी।
वॉयसओवर 2 – बालाघाट में यह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी 8 मार्च 2024 को एक लाख मल्टीविटामिन की मांग की गई थी। 2 सितंबर 2024 को ड्रग इंस्पेक्टर ने वारासिवनी सिविल अस्पताल से इसका सैंपल लिया। 14 मई 2025 को जब रिपोर्ट आई तो इस दवा को अमानक घोषित कर दिया गया। खास बात ये कि कोटेक हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, देहरादून से आई इन कैप्सूल्स की एक लाख खेप पहले ही मरीजों को बांटी जा चुकी थी। हालांकि किसी को नुकसान न होने की वजह से मामला रफा-दफा कर दिया गया। यानी सवाल ये है कि जब दवा की सैंपलिंग हो चुकी थी तो रिपोर्ट आने से पहले ही उसका वितरण कैसे कर दिया गया? क्या सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति के लिए सैंपलिंग होती है और जनता की सेहत की कोई परवाह नहीं?
जब इस मामले पर सीएमएचओ डॉक्टर परेश उपलव से सवाल किया गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। बोले कि रिपोर्ट आने के बाद कारपोरेशन को पत्र लिखा गया है। लेकिन कार्रवाई कहां तक पहुंची, इसकी जानकारी उनके पास भी नहीं है। रिपोर्ट में देरी क्यों हुई, इसके लिए उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर जो जिम्मेदार बताया। चूंकि दवाईयों की सैंपलिंग का कार्य और लेब भेजने का कार्य उन्हीं का होता है।
वॉयसओवर 3 – तो ज़रा सोचिए... एक तरफ अस्पतालों में बच्चों को अमानक दवाएं दी जा रही हैं, दूसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी सवालों से बच रहे हैं। सिस्टम की यह सुस्ती और लापरवाही किसी भी वक्त बड़ा हादसा बन सकती है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर जनता की सेहत के साथ ऐसा खिलवाड़ कब तक होता रहेगा? कांग्रेस इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ी कर रही है।
बाइट - अनूप सिंह बैंस senior कांग्रेस नेता।
- बाइट - डॉ परेश उपलप सीएमएचओ बालाघाट।
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