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Kannauj209725

कन्नौज में विवाद के बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया

PSPRABHAM SRIVASTAVA
Oct 22, 2025 01:18:46
Kannauj, Uttar Pradesh
कन्नौज ब्रेकिंग आतिशबाजी बाजार में दो पक्षों के हुई कहासुनी ने बड़े विवाद का रूप लिया। थाने पर तहरीर देकर लौट रहे युवकों पर दूसरे पक्ष के द्वारा हमले का आरोप। दो पक्षों में हुए विवाद के बाद मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती। दो पक्षों में हुई मारपीट में 2 लोगों को आई गंभीर चोट, पुलिस ने कई को हिरासत में लिया। कन्नौज जिले के विशुनगढ़ थाना क्षेत्र का मामला।
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GLGautam Lenin
Oct 22, 2025 03:34:30
Lohardaga, Jharkhand:लोहरदगा- दीपावली खत्म होने के साथ ही छठ महापर्व का गीत घरों में गूंजने लगे है। लोहरदगा में भी पूरे आस्था और विश्वास के साथ छठ महापर्व मनाया जाता है। शहरी क्षेत्र के विभिन्न नदी तलाबों में व्रती पहुंचते है। लोहरदगा शहर से कुछ दूरी पर स्थित कोयल और शंख नदी में छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ती है। लेकिन लोहरदगा के कई तलाबों की साफ सफाई अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। ग्रामीणों का कहना है कि समाजिक पहल पर जल्द ही इसकी साफ सफाई की जाएगी। वही डीसी डॉक्टर ताराचंद ने कहा कि नदी तालाबों की साफ सफाई के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए है। इनके द्वारा स्वयं भ्रमण कर वस्तुस्थिति का जायजा लिया जाएगा।
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RSRajkumar Singh
Oct 22, 2025 03:33:03
Hajipur, Bihar:वैशाली विधानसभा क्षेत्र में एक तरफ जहां महागठबंधन के बीच घमासान मचा हुआ है और राजद कांग्रेस उम्मीदवार आमने सामने है तो वहीं जदयू प्रत्याशी सिद्धार्थ पटेल के परिवार में ही महाभारत छिड़ गया है।क्योंकि जदयू उम्मीदवार के चाचा और पूर्व मंत्री रहे वृषण पटेल अपने भतीजे के खिलाफ ही ताल ठोक रहे है और भतीजे को चुनौती दे रहे है।एक तरफ सिद्धार्थ पटेल चाचा के बारे में बता रहे है कि पहले भी चाचा ने उनका विरोध किया था और जब 2015 में नीतीश कुमार से अलग होकर चुनाव लड़े तो 35 हजार वोट से हारे तो वहीं पूर्व मंत्री रहे वृषण पटेल का कहना है की महाभारत में जिस तरह परिवार अन्याय और न्याय के बीच बंट गया था उसी तरह यहाँ भी न्याय और अन्याय की लड़ाई है और मैं जनता की लड़ाई लड़ रहा हूँ जिससे जाहिर होता है कि मैं न्याय की लड़ाई लड़ रहा हूँ।उन्होंने भतीजे सिद्धार्थ के बारे में यह तक कह दिया कि इंसान रोटी खाता है लेकिन अहंकार इंसान को खाता है।चाचा भतीजे की इस लड़ाई से वैशाली विधानसभा का चुनाव रोचक हो गया है ऐसे में देखना होगा कि महागठबंधन के बीच मचे घमासान और चाचा भतीजे के महाभारत में जनता किसके साथ न्याय करती है।
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RMRam Mehta
Oct 22, 2025 03:31:47
Baran, Rajasthan:बारां जिले के अंता में दीपावली के मौके पर रास्ते में पड़ी मिली करीबन एक लाख रुपए की लागत की सोने की अंगूठी लौटकर एक गरीब महिला ने ईमानदारी का परिचय दिया है जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह बहुत कम है। बताएं कि महंगाई के इस दौर में ईमानदारी आज भी जिंदा है यह पूरा मामला नील कंठ कॉलोनी का है जहां दीपावली पर्व के मौके पर सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक ओम प्रकाश मेघवाल की पत्नी की 10 ग्राम सोने की अंगूठी एक दूसरे के यहां दीपक रखने समय रास्ते में गिर गई थी जिसे आशा महावर नामक एक गरीब महिला जो कपड़े सिलाई का काम करती है उसने रास्ते में पड़ी हुई मिली जिसने अपनी ईमानदारी का परिचय देते हुए सुबह सोने की अंगूठी लौटकर ईमानदारी की मिसाल कायम की है।
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RMRam Mehta
Oct 22, 2025 03:31:30
Baran, Rajasthan:बारां जिले के अंता विधान सभा में 11 नवंबर को होने वाले उप चुनाव में मतदाताओं को जागरुक करने को लेकर स्वीप कार्यक्रम के तहत खेम जी गार्डन के तालाब पर महिला बाल विकास की कार्यकर्ताओ,सहित सहयोगिनियों द्वारा दीपदान कर शत प्रतिशत मतदान का संकल्प आमजन के साथ किया गया । इस मौके पर स्वीप टीम सदस्य ओम मेरौठा द्वारा महिलाओं को निर्वाचन की शपथ दिलवाते हुए बताया गया कि दिवाली पर हम दीपक के माध्यम से तिमिर दूर करते है तो दीपक के माध्यम से हम अपना दायित्वबोध भी समझें और लोभ लालच पक्षपात, भेदभाव जाति धर्म भाषा आदि से ऊपर उठकर आने वाली ग्यारह नवम्बर को मतदान केंद्र पर जाकर योग्य उम्मीदवार को अपना वोट अवश्य करें। साथ ही वोट से संबंधित जानकारी लेने हेतु वोटर हेल्प लाइन, सक्षम, के वाई सी, सी विजिल् जैसे निर्वाचन आयोग के ऐप्स को डाउन लोड कर उनपर उपलब्ध सुविधा प्राप्त करें। विजुअल _ शपथ दिलाते हुए
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RVRaunak Vyas
Oct 22, 2025 03:30:35
Bikaner, Rajasthan:दीपावली पर हुई आतिशबाज़ी के बाद बीकानेर की हवा हुई जहरीली AQI 214 के पार, प्रदूषण बढ़ने से अस्थमा और श्वास रोगियों की संख्या में तेज़ वृद्धि, पीबीएम अस्पताल में मरीजों की बढ़ती भीड़ से बढ़ी चिंता, डॉक्टर ने लोगों से सावधानी बरतने और मास्क पहनने की दी सलाह Intro - दीपावली की चमक अब बीकानेर की हवा में धुंध और प्रदूषण की परत छोड़ गई है। शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI 214 के पार पहुंच गया है, जो कि गंभीर श्रेणी में गिना जाता है। आतिशबाज़ी के बाद बीकानेर की आबो-हवा पूरी तरह बदल चुकी है — आसमान में धुआँ और धूल का घना आवरण छाया हुआ है, जिससे सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। इस बढ़ते प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर अस्थमा और श्वास संबंधी रोगियों पर देखा जा रहा है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो सांस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के श्वास रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गुंजन सोनी ने बताया कि दीपावली के बाद पिछले कुछ दिनों में अस्थमा और अन्य श्वास रोगियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डॉ. सोनी ने कहा कि यह हालात बुजुर्गों, बच्चों और पहले से अस्थमा या एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि सुबह और रात के समय खुले में ज्यादा देर तक न रहें, मास्क का प्रयोग करें, घर के अंदर वेंटिलेशन बनाए रखें और प्रदूषण से बचाव के लिए पर्याप्त पानी पिएं। त्योहार की खुशियों के बीच बीकानेर की हवा में फैला यह ज़हर अब स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है — और विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर सावधानी नहीं बरती गई, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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MKMANTUN KUMAR ROY
Oct 22, 2025 03:20:06
Bihar:रोसरा सीट पर भाजपा की पकड़ रहेगा बरकरार या महागठबंधन दरार के बाद भी करेगा वापसी? पासवान वोटरों पर टिकी दोनों की नजर । रोसरा सीट सुरक्षित सीट है जो एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दशकों तक यह सीट वामपंथी (सीपीआई) और सीपीआई विचारधारा का गढ़ रही, लेकिन पिछले एक दशक में यहां भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पकड़ मजबूत रखी है ।2020 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के वीरेंद्र पासवान ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के नागेंद्र कुमार पासवान विकल को 35744 वोटों के अंतर से हराया था. 35,744 वोटों का यह विशाल अंतर रोसरा की चुनावी राजनीति में भाजपा की ताकत को दर्शाता है. वीरेंद्र पासवान ने न केवल जीत दर्ज की, बल्कि 47.93 प्रतिशत वोट शेयर के साथ यह साबित किया कि इस सुरक्षित सीट पर मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा उनके समर्थन में मजबूती से एकजूट हुआ. कांग्रेस, महागठबंधन का हिस्सा होते हुए भी केवल 28.27 प्रतिशत वोटों पर सिमट गई, जबकि एलजेपी के कृष्ण राज ने भी 22,995 वोट (12.64 प्रतिशत) काटकर मुकाबले को और जटिल बना दिया था ।रोसरा का चुनावी इतिहास बेहद दिलचस्प और उतार-चढ़ाव वाला रहा है. 1977 से लेकर अब तक इस सीट पर भाजपा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) दोनों ने चार-चार बार जीत दर्ज की है, जो यहां की जनता के वैचारिक ध्रुवीकरण को दर्शाता है. यह आंकड़ा बताता है कि रोसरा कभी वामपंथ का गढ़ रहा लेकिन अब पूरी तरह से दक्षिणपंथी विचारधारा के प्रभाव में है. 2020 में भाजपा उम्मीदवार वीरेंद्र पासवान ने यहां से जीत हासिल की थी. इससे पहले 2015 में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. अशोक कुमार ने इस सीट को अपने नाम किया. 2010 में भाजपा उम्मीदवार मंजू हजारी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 2015 के परिणाम पर अगर गौर करें तो कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार ने 85,506 वोट पाकर 34,361 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. यह जीत 2020 के परिणाम के ठीक विपरीत थी, जो दिखाता है कि रोसरा का मतदाता किसी एक पार्टी के प्रति स्थायी रूप से वफादार नहीं है ।इससे पहले 2010 में, भाजपा की मंजू हजारी ने 12,119 वोटों के करीबी अंतर से जीत दर्ज की थी, जो इस क्षेत्र में भाजपा के उदय का शुरुआती संकेत था.रोसरा एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है, इसका अर्थ है कि यहां दलित समुदायों, विशेष रूप से पासवान और रविदास जैसे समुदायों की राजनीति निर्णायक भूमिका निभाती है. 2020 में दोनों प्रमुख उम्मीदवारों का पासवान समुदाय से होना, इस समुदाय के राजनीतिक महत्व को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है. यह सीट दलित अस्मिता, आरक्षण और स्थानीय विकास के मुद्दों पर केंद्रित रहती है. यहां की राजनीति में महागठबंधन (राजद-कांग्रेस) का पारंपरिक दलित-अल्पसंख्यक आधार है, जिसे भाजपा ने केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के जरिए इस सीट पर अपनी पकड़ बनाया है । यह सीट एक ऐसा राजनीतिक अखाड़ा है, जहां वामपंथ ने अपनी जड़ें खोई हैं और भाजपा ने उन्हें मजबूती से पकड़ लिया है. कांग्रेस और राजद के महागठबंधन के लिए इस चुनाव में रोसरा में वापसी एक बड़ी चुनौती होगी. यहां पहले से ही गठबंधन में दरार पड़ गया है पहले कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी तमिलनाड़ू के पूर्व डीजीपी बीके रवि को बनाया उसके बाद महागठबंधन के घटक दल सीपीआई ने अपने प्रत्याशी लक्ष्मण पासवान को मैदान में उतारा लेकिन सीपीआई उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया ।जिसके बाद जी मीडिया से बातचीत करते हुए सीपीआई जिला सचिव सुरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ मुन्ना ने बिना नाम लिए कहा कि साजिश के तहत नामांकन रद्द हुआ है ।जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा ।ऐसे में एक बड़ा वोट बैंक सीपीआइ के पास है जिससे गठबन्धन को सहमती बनानी होगी तभी भाजपा की मजबूत पकड़ को तोड़ पाएगी साथ ही बल्कि दलित वोटों के बिखराव को भी रोकना होगा. रोसरा की राजनीति का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या महागठबंधन दलित मतदाताओं के बीच अपनी विश्वसनीयता दोबारा स्थापित कर पाता है ।इस संबंध में कांग्रेस के उम्मीदवार बीके रवि का बताना है कि रोसरा विधानसभा में कई विकास के काम अभी भी अधूरे हैं। जल जमाव की समस्या है, शहर में जाम की समस्या है ,पलायन की समस्या है ,रोसरा कभी व्यापार क्षेत्र के लिए जाना जाता था वहां से व्यापार नहीं हो पा रहा है ,ट्रेनों का ठहराव नहीं हो पता है जिस कारण मूलभूत समस्याओं से लोग अभी भी जूझ रहे हैं ।इस बार परिवर्तन तय है । वीरेंद्र पासवान फिर दूसरी बार मैदान में भाजपा के नेतृत्व में अपनी प्रचंड जीत की गति को बनाए रखना चाहेगी ।बीरेंद्र पासवान ने जी मीडिया से बातचीत करते हुए कहा यह रोसड़ा सीट इस बार भी बीजेपी के खाते में जाएगी ।यहां जो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास का काम किया है ।वो गांव गांव में नाम ले रहा है इसलिए जनता ने विकास को वोट करने का मन बना लिया है ।
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MKMANTUN KUMAR ROY
Oct 22, 2025 03:19:24
Bihar:समस्तीपुर जिले के रोसरा विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है जो एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दशकों तक यह सीट वामपंथी (सीपीआई) और सीपीआई विचारधारा का गढ़ रही, लेकिन पिछले एक दशक में यहां भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पकड़ मजबूत रखी है। 2020 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के वीरेंद्र पासवान ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के नागेंद्र कुमार पासवान विकल को 35744 वोटों के अंतर से हराया था. 35,744 वोटों का यह विशाल अंतर रोसरा की चुनावी राजनीति में भाजपा की ताकत को दर्शाता है. वीरेंद्र पासवान ने न केवल जीत दर्ज की, बल्कि 47.93 प्रतिशत वोट शेयर के साथ यह साबित किया कि इस सुरक्षित सीट पर मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा उनके समर्थन में मजबूती से एकजुट हुआ. कांग्रेस, महागठबंधन का हिस्सा होते हुए भी केवल 28.27 प्रतिशत वोटों पर सिमट गई, जबकि एलजेपी के कृष्ण राज ने भी 22,995 वोट (12.64 प्रतिशत) काटकर मुकाबले को और जटिल बना दिया था। रोसरा का चुनावी इतिहास बेहद दिलचस्प और उतार-चढ़ाव वाला रहा है. 1977 से لیک अब तक इस सीट पर भाजपा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) दोनों ने चार-चार बार जीत दर्ज की है, जो यहां की जनता के वैचारिक ध्रुवीकरण को दर्शाता है. यह आंकड़ा बताता है कि रोसरा कभी वामपंथ का गढ़ रहा लेकिन अब पूरी तरह से दक्षिणपंथी विचारधारा के प्रभाव में है. 2020 में भाजपा उम्मीदवार वीरेंद्र पासवान ने यहां से जीत हासिल की थी. इससे पहले 2015 में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. अशोक कुमार ने इस सीट को अपने नाम किया. 2010 में भाजपा उम्मीदवार मंजू हजारी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 2015 के परिणाम पर अगर गौर करें तो कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार ने 85,506 वोट पाकर 34,361 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. यह जीत 2020 के परिणाम के ठीक विपरीत थी, जो दिखाता है कि रोसरा के मतदाता किसी एक पार्टी के प्रति स्थायी रूप से वफादार नहीं है। इसके पहले 2010 में, भाजपा की मंजू हजारी ने 12,119 वोटों के करीबी अंतर से जीत दर्ज की थी, जो इस क्षेत्र में भाजपा के उदय का शुरुआती संकेत था. रोसरा एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है, इसका अर्थ है कि यहां दलित समुदायों, विशेष रूप से पासवान और रविदास जैसे समुदायों की राजनीति निर्णायक भूमिका निभाती है. 2020 में दोनों प्रमुख उम्मीदवारों का पासवान समुदाय से होना, इस समुदाय के राजनीतिक महत्व को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है. यह सीट दलित अस्मिता, आरक्षण और स्थानीय विकास के मुद्दों पर केंद्रित रहती है. यहां की राजनीति में महागठबंधन (राजद-कांग्रेस) का पारंपरिक दलित-अल्पसंख्यक आधार है, जिसे भाजपा ने केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के जरिए इस सीट पर अपनी पकड़ बनाया है. यह सीट एक ऐसा राजनीतिक अखाड़ा है, जहां वामपंथ ने अपनी जड़ें खोई हैं और भाजपा ने उन्हें मजबूती से पकड़ लिया है. कांग्रेस और राजद के महागठबंधन के लिए इस चुनाव में रोसरा में वापसी एक बड़ी चुनौती होगी. यहां पहले से ही गठबंधन में दरार पड़ गया है पहले कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी तमिलनाड़ू के पूर्व डीजीपी बीके रवि को बनाया उसके बाद महागठबंधन के घटक दल सीपीआई ने अपने प्रत्याशी लक्ष्मण पासवान को मैदान में उतारा लेकिन सीपीआई उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया। जिसके बाद जी मीडिया से बातचीत करते हुए सीपीआई जिला सचिव सुरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ मुन्ना ने बिना नाम लिए कहा कि साजिश के तहत नामांकन रद्द हुआ है। जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। ऐसे में एक बड़ा वोट बैंक सीपीआइ के पास है जिससे गठबन्धन को सहमती बनानी होगी तभी भाजपा की मजबूत पकड़ को तोड़ पाएगी साथ ही बल्कि दलित वोटों के बिखराव को भी रोकना होगा. रोसरा की राजनीति का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या महागठबंधन दलित मतदाताओं के बीच अपनी विश्वसनीयता दोबारा स्थापित कर पाता है. इस संबंध में कांग्रेस के उम्मीदवार बीके रवि का बताना है कि रोसरा विधानसभा में कई विकास के काम अभी भी अधूरे हैं। जल जमाव की समस्या है, शहर में जाम की समस्या है ,पलायन की समस्या है ,रोसरा कभी व्यापार क्षेत्र के लिए जाना जाता था वहां से व्यापार नहीं हो पा रहा है ,ट्रेनों का ठहराव नहीं हो हो pata है जिस कारण मूलभूत समस्याओं से लोग अभी भी जूझ रहे हैं। इस बार परिवर्तन तय है। वीरेंद्र पासवान फिर दूसरी बार मैदान में भाजपा के नेतृत्व में अपनी प्रचंड जीत की गति को बनाए रखना चाहेगी। बीरेंद्र पासवान ने जी मीडिया से बातचीत करते हुए कहा यह रोसड़ा सीट इस बार भी बीजेपी के खाते में जाएगी। यहाँ जो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास का काम किया है वो गांव गांव में नाम ले रहा है इसलिए जनता ने विकास को वोट करने का मन बना लिया है.
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