गोंडा- प्रत्येक वर्ष ठंडक शुरू होते ही शहरों कस्बों मैं सड़क के किनारे रजाई गद्दा स्वेटर कंबल जैकेट जूते की दुकाने सज जाती है.दुकानदारों का दावा भी होता है की बाजार में मिलने वाले सामान से पटरियो पर सस्ते मिलते हैं। यह बात सही है समान भले ही सस्ते मिलते हैं लेकिन टिकाऊ होते या नहीं इस बात की गारंटी नहीं होती है। लेकिन इन पटरिया पर लगने वाली दुकाने ठंडक के बाद रहे या ना रहे इसकी कोई गारंटी नहीं होती है।
ठंडक शुरू होते ही सड़कों के किनारे यह गर्म कपड़े और रजाई गद्दे की दुकान सज जाती है
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भारत ने आजादी पाने के लिए बहुत संघर्ष किया है. अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए भारतीयों ने कई यातनाएं झेली लेकिन हार नहीं मानी. इसका परिणाम ये रहा कि भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो गया. इस लेख के माध्यम से आज हम आपको चौरी-चौरा कांड की उस कहानी को बयां करेंगे, जिसकी वजह से महात्मा गांधी को असहयोग आंदोलन वापस लेना पड़ा. चौरी-चौरा कांड 4 फरवरी 1922 को हुआ जिसमें भारतीयों के बलिदानों की याद में एक चौरी-चौरा शहीद स्मारक गोरखपुर में बनाया गया. आज जानेंगे इस स्मारक की पूरी कहानी.
चौरी-चौरा कांड
अंग्रजों के शासन से तंग आकर भारतीयों ने उनके विरोध में कई काम करने शुरू कर दिए थे. जैसे विदेशी सामानों का बहिष्कार, उनके आदेश को ना मानना आदि. 1922 में चौरी-चौरा में चल रहे शांति प्रदर्शन में अंग्रेजी पुलिस ने क्रांतिकारियों पर गोलीबारी शुरू कर दी. जिसके परिणाम में भारतीयों का गुस्सा उबल पड़ा और चौरी-चौरा पुलिस स्टेशन पर क्रांतिकारियों ने आग लगा दी, जिसमे 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई.
चौरी-चौरा शहीद स्मारक बनाने का कारण और महत्व
1922 में हुए चौरी-चौरा कांड में अंग्रेजों ने 19 क्रांतिकारियों को इस मामले का दोषी पाकर फांसी के फंदे पर लटका दिया. गोरखपुर में बना ये शहीद स्मारक उन्हीं 19 बलिदानों की याद में बनाया गया है. इस स्मारक को ऊंचा बनाया गया है, जो देश के प्रति कुछ कर गुजरने का संदेश भी देता है.
आज के समय में ये शहीद स्मारक गोरखपुर के जंघा में लोगों के लिए आकर्षक का केद्न बना हुआ है. जहां लोगों आते है और अपने देश के प्रति देशभक्ति को भावना को जागृत करते हैं. यह शहीद स्मारक भारत की आजादी की लड़ाई के संघर्ष को आने वाली पीढ़ियों को भी बताता रहेगा और उन्हें प्रेरणा देने का काम करेगा.
बुधवार को धानेपुर में गुमड़ी जंगल के पास बलरामपुर जिले के पी.आर.वी 112 पुलिस वाहन अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई जिससे उसमें सवार दो सिपाही गंभीर रूप से घायल हो गए ।सूचना पर पहुंचे धानेपुर पुलिस ने दोनों घायल सिपाही को सी एच सी धानेपुर में प्राथमिक उपचार के लिए एडमिट करवाया । जहां पर प्राथमिक उपचार के पश्चात डॉक्टर ने घायल दोनों सिपाही को जिला मुख्यालय के लिए रेफर कर दिया ।
मिशन शक्ति अभियान के तहत वीर बाल दिवस पर पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने बाल मित्र केंद्र में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के विजेताओं को किया सम्मानित। बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए शिक्षा और सशक्तिकरण का दिया संदेश।
लहरपुर कोतवाली बुधवार रात्रि आदर्श पुत्र संतोष शुक्ला 23 वर्ष निवासी ग्राम मोहद्दीनपुर अपने घर से मोटरसाइकिल से लहरपुर जा रहा था तभी ग्राम सुल्तानपुर हरिप्रसाद चौराहे के निकट किसी अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी . और मौके से फरार हो गया, आदर्श गंभीर रूप से घायल हो गया और घटनास्थल पर रात भर सड़क के किनारे पड़ा रहा, बृहस्पतिवार सुबह ग्रामीणों के द्वारा उसे देखे जाने पर पुलिस व एंबुलेंस को सूचना दी गई, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया,जहां पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
यूपी में पहली बार चोरी के धन से खरीदे गए बाइक और मोबाइल नीलाम। 2 लाख 1 हज़ार में बाइक और 16 हज़ार में नीलाम हुआ मोबाइल फ़ोन। 8 अगस्त को अनाज व्यापारी के यहां से नौकर ने चोरी किये थे 5 लाख रुपये। सिकंदराबाद पुलिस ने आरोपी से 1 लाख बरामद करते हुए जेल भेजा था अभियुक्त। अभियुक्त द्वारा चोरी किये गए धन से ही खरीदे गए थे बाइक और मोबाइल। एसडीएम संतोष जगराम, सीओ पूर्णिमा सिंह और कोतवाल रवि रत्न सिंह की मौजूदगी में सिकंदराबाद थाने में हुई नीलामी।
कांग्रेस पदाधिकारियों ने शहर अध्यक्ष नोमान खान के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और लखनऊ विधानसभा घेराव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पाण्डेय की मृत्यु की न्यायिक जांच की मांग की। कांग्रेस ने महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन अतिरिक्त उपजिलाधिकारी देवेन्द्र कुमार को सौंपा। ज्ञापन में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 18 दिसंबर को लखनऊ में विधानसभा घेराव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पाण्डेय की पुलिस के लाठीचार्ज के कारण मृत्यु हो गई।
बुलंदशहर SSP कार्यालय पहुंचे भारतीय हलधर किसान यूनियन के कार्यकर्ता और ग्रामीण। 21 दिसंबर को अहमदगढ़ थाने पर चार लोगों के खिलाफ लिखा गया था झूठा मुकदमा। झूठा मुकदमा लिखा जाने के बाद किस कार्यकर्ता और ग्रामीणों में आक्रोश। किसान कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने SSP से पूरे मामले की गहनताते जांच कराने की अपील की। SSP ने किसान कार्यकर्ता और ग्रामीणों को निष्पक्ष जांच का दिया आश्वासन। एक युवक ने पानी की टंकी पर से कूद कर खुद की थी आत्महत्या । निर्दोष लोगों को फसाने के लिए लिखवाया गया था अहमदगढ़ थाने में झूठा मुकदमा।