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चित्रकूट की गुप्त गोदावरी गुफाओं के धार्मिक रहस्य उजागर
ARAarti Rai
Nov 28, 2025 08:20:13
Noida, Uttar Pradesh
चित्रकूट के पहाड़ों में आदिकाल से बनी पौराणिक गुप्त गोदावरी गुफाओं की धार्मिक मान्यताएं। टॉप लीड — ऐसे तो चित्रकूट का पौराणिक और धार्मिक महत्व जो रामायण काल से जुड़ा हुआ है और यहां 84 कोश में फैले हुए वन क्षेत्र में कई प्राकृतिक स्थान है जो दर्शनीय है और जिन्हें देखने के लिए लाखों पर्यटक चित्रकूट पहुंचते हैं। किंतु आज हम आपको दिखने वाले हैं चित्रकूट की वह दो रहस्मई गुफाएं जो आदिकाल से बनी हुई है यही स्थान है चित्रकूट का गुप्त गोदावरी जहां दो सकरी गुफाओं में प्रकृति का सौंदर्य देखने को मिलता है। यहां की पौराणिक मान्यता भगवान राम से जुड़ी हुई है इसके संबंध में कहा जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी ने किया था और इनका इतिहास 9 लाख वर्ष पुराना है। भगवान राम ने अपने वनवास काल के समय में कुछ समय इन गुफाओं में भी बिताया था जहां गौतम ऋषि की पुत्री गोदावरी उनके दर्शन के लिए इन गुफाओं में प्रकट हुई थी और यहीं से फिर वह विलुप्त हो गई थी। गुप्त गोदावरी की गुफा में सीता कुंड के पास बैठने वाले पुजारी रामानंद मिश्रा ने गुफा का धार्मिक महत्व बताते हुए कहा कि भगवान राम जब वनवास काल में चित्रकूट आए तो उनको देखने के लिए तमाम लोग यहां आए उन्हें माता गोदावरी नदी भी भगवान राम के दर्शन के लिए यहां प्रकट हुई थी जो दूसरी गुफा से बाहर निकल कर विलुप्त हो जाती हैं। उन्होंने खटखटा चोर की कहानी बताते हुए कहा कि माता सीता जब यहां स्नान कर रही थी तो मयंक नाम का रक्षा उनके वस्त्र चुराकर भाग रहा था जहां पहले में खड़े लक्ष्मण जी ने उसको शब्द भेदी बाण से पाषाण का बना दिया था मयंक रक्षा तो भगवान राम से माफी मांगने पर प्रभु राम ने उसके भोजन के लिए कहा कि कलयुग में यहां आने वाले लोगों के पापों का भाषण करोगे वही तुम्हारा भोजन होगा। भोपाल से चलकर आए पर्यटक मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि यहां आने पर और इसे देखकर मन नहीं भरता है ऐसा लगता है कि हम बार-बार हैं प्रभु राम ऐसे स्थान में रहे हैं यह अक्षर की बात है उन्होंने लोगों से यहां आकर यहां की नेचुरलिटी देखने की अपील भी की है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से चलकर आए अनुभव सिंह ने कहां की यहां आकर अलग ही आनंद प्राप्त हुआ उन्होंने माता गोदावरी के इस गुफा में प्रकट होने की पौराणिक कथा का भी उल्लेख किया है। दूसरी गुफा के प्रवेश द्वार में बैठे शिवजी के पुजारी राम जी दास ने गुप्त गोदावरी का धार्मिक महत्व बताया और कहां की माता गोदावरी यहीं पर प्रकट हुई थी और यही गुप्त हो गए इसलिए इस स्थान का नाम गुप्त गोदावरी हो गया। दूसरी वाली शकरी गुफा के अंतिम छोर पर बैठे ओमकार निषाद ने बताया कि इस गुफा में राम कुंड और लक्ष्मण कुंड है जहां ऊपर والی गुफा से जल निकलकर बाहर तक आता है और बाहर विलुप्त हो जाता है यहां हर मौसम में जल निकलता रहता है।
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