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दिल्ली बम मामले में अल-फलाह यूनिवर्सिटी के इमाम के परिवार से नया खुलासा
AKAshok Kumar1
Nov 15, 2025 07:21:47
Noida, Uttar Pradesh
अल-फलाह यूनिवर्सिटी मस्जिद के इमाम की बीवी सामने आई: बोली- दोस्त का सामान रखने की कह मुजम्मिल ने कमरा लिया; उमर रोज आता था मस्जिद दिल्ली बम ब्लास्ट के बाद हिरासत में लिए गए फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मस्जिद के इमाम मोहम्मद इश्तियाक की पत्नी हसीना पहली बार कैमरे के सामने आई। हसीना ने कहा- "डॉ. मुजम्मिल ने पहले उसके पति से मस्जिद में पहचान बनाई और फिर उनसे दूध खरीदना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया, "डॉ. मुजम्मिल ने अपने दोस्त का सामान रखने की बात कहकर उनके फतेहपुरा तगा वाले घर में कमरा किराए पर लिया था। मुजम्मिल ने 1500 रुपए महीने के हिसाब से एक कमरा किराए पर सामान रखने के लिए लिया था। डॉ. मोहम्मद उमर नबी भी रोज मस्जिद में आता था।" 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसी ने फरीदाबाद में अपना डेरा जमाया हुआ है। इन धमाकों में अल-फलाह यूनिवर्सिटी सबसे ज्यादा चर्चाओं में है। इसी यूनिवर्सिटी के 2 डाक्टरों डॉ. मुजम्मिल, लेडी डॉ शाहीन सईद, यूनिवर्सिटी की मस्जिद के मौलवी इश्तियाक सहित एचआर विभाग में काम करने वाले जमील को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते पकड़ा गया है। पुलिस ने इमाम इश्तियाक के फतेहपुर तगा वाले घर से 2540 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद की थी। सामग्री को उसी कमरे से बरामद किया गया था, जिसे डॉ मुजम्मिल ने करीब 3 महीने पहले ही किराए पर लिया था। जबकि 360 किलो धौज गांव के एक कमरे से मिला था। धौज के कमरे का 2400 रुपए किराया डॉ. मुजम्मिल ने दिया था। अब जानिए इमाम की पत्नी हसीना ने क्या खुलासे किए... दो हजार पगार पर मस्जिद में इमाम बना, 2008 में निकाह इमाम इश्तियाक को हिरासत में लिए जाने के बाद गांव भीमा पहाड़ी की रहने हसीना ने बताया कि इश्तियाक साल 2005 में यहां पर आकर रहने लग गया था। तब यूनिवर्सिटी की तरफ से मस्जिद में रहने और काम करने के 2 हजार रुपए मासिक मिलते थे। साल 2008 में इश्तियाक संग निकाह हुआ। उनके 2 बेटियां और 2 बेटे हैं। सबसे बड़ी बेटी की उम्र 16 साल की है, जबकि सबसे छोटे बेटे की उम्र 7 साल है। इश्तियाक को हाफिज का दर्जा, यानी कुरान मुंह जुबानी याद हसीना ने बताया कि वह करीब 20 साल से यूनिवर्सिटी की इस मस्जिद में नमाज अदा कराते हैं। वह मूलरूप से नूंह के सिंगार गांव के रहने वाले हैं। उन्हें हाफिज का दर्जा मिला हुआ है, यानी कुरान शरीफ मुंह जुबानी याद है। यूनिवर्सिटी अभी उनको करीब 10 हजार रुपए मासिक वेतन दे रही थी। डॉ. मुजम्मिल से जान-पहचान हुई हसीना ने बताया कि दो-तीन साल से मुलाकात होने के कारण उनके शौहर की डॉ. मुजम्मिल से जान-पहचान हुई। मुजम्मिल ने करीब 5 महीने पहले इश्तियाक से किराए के लिए कमरे की बात की थी। जिस पर इश्तियाक ने अपने गांव में बने घर के कमरे को किराए पर देने की पेशकश की। जिसका कोई किराया तय नहीं किया गया था। उसने बताया कि मुजम्मिल का घर दिखाकर उसकी चाबी दे दी। इसके बाद वो गांव में घर को देखने के लिए नहीं गए। इमाम के घर से ही डॉक्टरों को दूध सप्लाई हसीना ने बताया कि उनके घर से यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों को रोजाना 5 से 6 किलो दूध सप्लाई होता था। डॉ. मुजम्मिल भी दूध लेते थे। पिछले करीब 20 दिनों से डॉ. मुजम्मिल दूध लेने के लिए नहीं आ रहा था। बताया जा रहा है कि इस दौरान डॉ. मुजम्मिल छुट्टी लेकर पुलवामा गया था। 2 हजार रुपए गज में जमीन खरीदी हसीना ने बताया कि कई साल पहले उन्होंने 2 हजार रुपए प्रति गज के हिसाब से फतेहपुर तगा में 100 गज जमीन खरीदी थी। साल 2012 में उन्होंने इस मकान का निर्माण कराया था। 10 नवंबर को उनके पति सुबह 6 बजे खेतों में काम करने गए थे, जिसके बाद वह खुद भी खेत गई थी कि कुछ देर बाद पुलिस की 10 से 12 गाड़ियां आईं और इश्तियाक को अपने साथ ले गईं। यूनिवर्सिटी की जमीनों की जांच के आदेश, पैमाइश शुरू जिला प्रशासन ने अल फलाह यूनिवर्सिटी की जमीनों के जांच के आदेश दिए हैं। जिसको लेकर जमीन की पैमाइश की जा रही है। शुक्रवार को रेवेन्यू विभाग की कर्मचारी पहुंचे थे। इसके साथ डीटीपी विभाग की टीम भी यूनिवर्सिटी पहुंची थी। रेवेन्यू विभाग के पटवारियों के द्वारा मशीन लगाकर पैमाइश की जा रही है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी 73 एकड़ में बनी हुई है। पिछले साल मई में डॉ. उमर ने जॉइन किया दिल्ली ब्लास्ट में कार में विस्फोट करके खुद को उड़ाने वाले डॉ उमर नबी ने 7 मई 2024 को अल फलाह यूनिवर्सिटी में जॉइन किया था। डॉ. नबी भी रोजाना मस्जिद में नमाज अदा करने आता था। डॉ. नबी 30 अक्तूबर से यूनिवर्सिटी से गायब था। 10 अक्टूबर को लाल किला के सामने कार में विस्फोट किया। यूनिवर्सिटी खाली, डॉक्टर भी कम दिखे, स्टूडेंट्स घर लौटे शुक्रवार को अल फलाह यूनिवर्सिटी के काफी स्टूडेंट्स घर लौट गए। हालांकि वीक एंड पर कई बच्चे घर चले जाते हैं, लेकिन इस बार यह संख्या ज्यादा रही। यूनिवर्सिटी कैंपस में लगातार जांच एजेंसियों की आवाजाही है। कई पेरेंट्स खुद बच्चों को लेने पहुंचे। इ
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