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मतदाता सूचियों में उम्र-रिश्तों की विसंगतियों पर निर्वाचन विभाग ने घर-घर सत्यापन शुरू किया
ASARUN SINGH
Dec 18, 2025 03:01:42
Farrukhabad, Uttar Pradesh
फर्रुखाबाद: विशिष्ट गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के दौरान जिले की मतदाता सूची में ऐसी विसंगतियां सामने आई हैं, जो सीधे तथ्यों पर सवाल खड़े करती हैं। कई मामलों में माता-पिता और दादा दादी की उम्र का संतानों से उम्र का अंतर बहुत कम या बहुत अधिक पाया गया, जो सामान्य पारिवारिक ढांचे से मेल नहीं खाता। इसके अलावा पिता के नाम में गड़बड़ी, लिंग का मेल न खाना और असामान्य रूप से अधिक संख्या में संतानों के नाम दर्ज होने जैसे मामले भी सामने आए हैं। इन अतार्किक प्रविष्टियों को निर्वाचन आयोग ने गंभीर मानते हुए बीएलओ को सत्यापन के निर्देश दिए हैं। निर्वाचन आयोग के स्तर पर किए गए विश्लेषण में सामने आया है कि जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता दर्ज हैं, जिनकी संतान संख्या छह से अधिक दिखाई गई है। कुछ प्रविष्टियों में पिता का नाम मेल नहीं खा रहा है। कई जगह माता-पिता और मतदाता की उम्र का अंतर 15 वर्ष से कम या 50 वर्ष से अधिक पाया गया है। दादा-दादी और मतदाता की उम्र का अंतर 40 वर्ष से कम दर्ज होने के भी मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही कुछ रिकॉर्ड में मतदाता का लिंग भी गलत दर्ज पाया गया है। वहीं 45 वर्ष से आयु के ऐसे मतदाताओं का भी सत्यापन किया जाएगा जिनका नाम 2003 की सूची में नहीं है। आंकड़ों के आधार पर तस्वीर साफ है कि विशेष गहन पुनरीक्षण में तार्किक विसंगतियां केवल तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि प्रशासनिक चुनौती हैं। जनपद के कुल 13,98,009 मतदाताओं में से 3,28,115 मतदाता ऐसे पाए गए हैं, जिनके रिकार्ड में किसी न किसी प्रकार की गड़बड़ी है। यह कुल मतदाताओं का 23.47 प्रतिशत है, जो अपने आप में बड़ा आंकड़ा है। सबसे खराब स्थिति भोजपुर विधानसभा क्षेत्र की है, जहां 3,22,688 मतदाताओं में से 8,84,43 यानी 27.41 प्रतिशत मतदाताओं के विवरण में विसंगति पाई गई। इसके बाद कायमगंज में 25.01 प्रतिशत, अमृतपुर में 22.02 प्रतिशत और फर्रुखाबाद में 19.64 प्रतिशत मतदाता इस श्रेणी में आए हैं। उप जिला निर्वाचन अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि इन गड़बड़ियों को सामान्य तकनीकी त्रुटि मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कई मामलों में यह डुप्लीकेट प्रविष्टि, गलत जानकारी या पुराने रिकार्ड बिना सत्यापन अपडेट होने का परिणाम हो सकता है। इसी कारण एसआइआर के मौजूदा चरण में बीएलओ को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे सभी मामलों में घर-घर जाकर सत्यापन करें। जिन मतदाताओं के रिकार्ड में उम्र, माता-पिता या लिंग से जुड़ी विसंगति पाई जाएगी उनका सत्यापन पूरा होने के बाद ही नाम को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। इससे मतदाता सूची अधिक साफ और भरोसेमंद बनेगी। आंकड़ों के नजरिए से तार्किक विसंगतियां
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